World earth day 2021 theme, World earth day 2021 quotes रांची : आज विश्व पृथ्वी दिवस है. 195 देशों में मनाये जानेवाले इस दिवस को हर साल जलवायु परिवर्तन संकट के प्रति जागरूकता फैलाने के तौर पर मनाया जाता है. पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी के आवश्यकता से अधिक दोहन ने गंभीर चिंता खड़ी कर दी है. अध्ययनों से पता चला है कि पृथ्वी एक साल में जितने संसाधन पैदा करती है, हम सात या आठ महीने में ही उनका उपभोग कर डालते हैं.
उपभोग संबंधी आकलन करने वाली संस्था- ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क (जीएफएन) ने बताया है कि पिछले साल 22 अगस्त को पृथ्वी से मनुष्य को सालाना दर से मिलने वाले पूरे संसाधन खत्म हो गये थे. शेष सवा चार महीनों के लिए हमने अपनी जरूरतों के लिए जितने संसाधनों का दोहन पृथ्वी से किया, वह धरती की संसाधन उपजाने की सालाना दर से अतिरिक्त था. कहा जा सकता है कि साल के बचे हुए महीने में जो संसाधन हमारी जरूरतें पूरी करने में इस्तेमाल हुए, वे एक तरह से भविष्य से लिया जाने वाला कर्ज था.
असल में संसाधनों की खपत में इजाफा इतना तेज हो गया है कि पृथ्वी उसकी उतनी ही गति से भरपाई करने में पिछड़ने लगी है. इसी बात को पृथ्वी के संसाधनों के जरूरत से ज्यादा दोहन के रूप में आंका जाता है. इसकी गणना 1986 से की जा रही है और यह प्रत्येक वर्ष निकट आता जा रहा है. वर्ष 1993 में यह 21 अक्तूबर को आया था, वर्ष 2003 में यह 22 सितंबर को आया था और वर्ष 2017 में यह दिन दो अगस्त को आया. वनों की कटाई, मिट्टी का कटाव, जैव विविधता की हानि और कार्बन डाइऑक्साइड का लगातार बढ़ता स्तर इसके प्रमुख कारणों में से हैं.
पृथ्वी की स्थिति आमदनी अठन्नी और खर्च रुपया वाली हो गयी है. ऐसे में पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए जरूरी है कि हम धरती पर मौजूद संसाधनों का संयमित होकर इस्तेमाल करें.
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दुनियाभर के 195 देशों में मनाया जाता है विश्व पृथ्वी दिवस
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इसके मनाने की शुरुआत अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड ने की
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22 अप्रैल, 1970 को पहली बार मना विश्व पृथ्वी दिवस
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तीन दिवसीय प्रोग्राम के रूप में मनाया जा रहा इस साल
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जलवायु संकट व पर्यावरण साक्षरता पर ध्यान
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थीम ‘रिस्टोर अवर अर्थ’ (ग्रह को पुनर्स्थापित करें) है
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6 अरब किलोग्राम कूड़ा हर रोज समंदर में डाला जाता है
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2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहा है भारत हर साल प्रदूषण से
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8 सेकेंड में एक बच्चा गंदा पानी पीने से मर जाता है
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10 लाख टन तेल
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की शिपिंग के
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दौरान एक टन
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तेल समंदर में बह
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जाता है
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100 सिगरेट पीने के बराबर है मुंबई की हवा में सांस लेना
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हर साल पृथ्वी से फुटबॉल के 27 मैदानों के बराबर जंगल हो रहे हैं बर्बाद
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अब धरती का बस एक-चौथाई हिस्सा ही है जंगल, 70% फीसदी पांच देशों में
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देश में पिछले आठ दशकों में 28% जंगल खत्म, हर साल 200 वर्ग किमी वन हो रहे कम
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क्लाइमेट चेंज के कारण भारतीय मॉनसून हो रहा अनियमित, खेती परहो रहा असर
साल 1990 में अर्थ डे पर्यावरण के आंदोलन की तरह हो गया था. इसमें 192 देशों को 75 हजार से अधिक पार्टनर्स जुड़े हुए हैं. इस बार इसे मनाने के लिए व्हाट्सएप और स्नैप चैट जैसे मंचों ने कई उपकरण जारी किये हैं. स्नैप चैट पर खेलने के लिए अर्थ डे सर्च करना होगा और एआर लेंस शेयर करना होगा. इसमें बिटमोजी के द्वारा दोस्तों और अपने रिश्तेदारों को बधाई भी दी जा सकती है.
वर्ल्ड अर्थ डे पर व्हाट्सएप ने भी एक नया स्टिकर पैक जारी किया है. स्टैंड अप फॉर अर्थ नाम के इस पैक में कुछ पर्यावरण संबंधी उन चुनौतियों का रेखांकित किया गया है जिसका सामना आज हम सब पूरी दुनिया में कर रहे हैं. इनके जरिये सोशल मीडिया कंपनी लोगों में रीसाइक्लिंग और पानी और बिजली को बचाने के कार्यों पर जोर देना चाह रही है.
न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन के लिए ऐसा कानून बनाया है जो वित्तीय क्षेत्रों को पर्यावरण के लिए जवाबदेह बना सकेगा. न्यूजीलैंड अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए यह आवश्यक करेगा कि वे अपने द्वारा किये निवेश के जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी दें. अधिकारियों का मानना है कि यह दुनिया का पहला कानून होगा जो वित्तीय क्षेत्र को पर्यावरण के प्रति जवाबदेह बनायेगा. न्यूजीलैंड के वाणिज्य मंत्री डेविड क्लार्क का कहना है कि कानून के मुताबिक बैंक, बीमा कंपनी और निवेश प्रतिष्ठानों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग अब अनिवार्य होगी. यह कानून साल 2023 को लागू हो जायेगा.
न्यूजीलैंड वैसे तो जलवायु परिवर्तन का बुरी तरह से शिकार देश नहीं माना जाता है, लेकिन फिर भी न्यूजीलैंड को प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डर्न ने यह संकल्प लिया है कि उनका देश साल 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन जायेगा और साल 2035 तक पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा के जरिये अपनी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करने लगेगा.
Posted By : Sameer Oraon