मेट्रो शहर की तरह खराब होने लगी है रांची की आबो-हवा, अगले कुछ दिनों तक बन सकती है गंभीर स्थिति
रांची की हवा की गुणवत्ता भी खराब हो रही है. विकास के दौर में मेट्रो शहर की तरह ही यहां की हवा प्रभावित होने लगी है. ऐसे में इससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है
रांची : राजधानी रांची की भी हवा मेट्रो सिटी की तरह खराब होने लगी है, इससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. हाल ही जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स पर नजर डालें तो राजधानी का प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.
शनिवार शाम साढ़े पांच बजे अमेरिकी एक्यूआइ के अनुसार प्रदूषण का स्तर 152 आंका गया है और हवा में फाइन पार्टिकुलेट मैटर का स्तर 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो एक स्वस्थ इंसान के लिए हानिकारक है. आज विश्व पर्यावरण दिवस पर इस मामले को लेकर चर्चा करना लाजिमी है. इस वर्ष यूएन ने इस दिवस विशेष का थीम ‘केवल एक पृथ्वी’तय किया है.
पांच से आठ जून तक की हवा संवेदनशील :
एक्यूआइ के अनुसार हवा का यह स्तर लोगों को बीमार करनेवाला है. वहीं, आंकड़ों की मानें तो पांच से आठ जून तक की हवा संवेदनशील लोगों के लिए नुकसानदायक है. विशेषज्ञों की मानें तो हवा में प्रदूषण का स्तर 100 से अधिक होने पर यह शरीर को नुकसान पहुंचाता है, जबकि हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-2.5) 10 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक कम करके लोगों का जीवन काल बढ़ाया जा सकता है.
10 जून को 158 तक पहुंचेगा वायु प्रदूषण का स्तर
दिन प्रदूषण का स्तर एक्यूआइ
पांच जून नुकसानदायक 145
छह जून नुकसानदायक 144
सात जून नुकसानदायक 147
आठ जून नुकसानदायक 135
नौ जून अस्वस्थ 154
10 जून अस्वस्थ 158
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत 2019 में हुई है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर पार्टिकुलेट पॉल्युशन को 20 से 30 फीसदी तक कम करना है. अगर कार्यक्रम अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा और प्रदूषण स्तर में कमी हुई, तो एक औसत भारतीय की उम्र 1.3 फीसदी तक बढ़ जायेगी.
इन कारणों से बढ़ रहा वायु प्रदूषण
एसी का इस्तेमाल
गर्मी के दिन में एसी का इस्तेमाल किया जाता है. एसी का इस्तेमाल करना वातावरण के लिए काफी नुकसानदेह है. इससे निकलने वाला कार्बन पर्यावरण को दूषित कर रहा है.
परिवहन से प्रदूषण
कार, स्कूटर व बस आदि वाहन लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन गये हैं. कार से निकलनेवाला धुआं प्रदूषण की वजह बनता है. इको फ्रेंडली वाहन को बढ़ावा देना होगा.
पॉलिथीन का इस्तेमाल
पॉलिथीन में पाया जाने वाला पॉलीयूरीथेन नामक रसायन नष्ट नहीं होता. इसके जमीन में दबने से जहरीली गैस बन रही है, जो पर्यावरण में वायु प्रदूषण का कारक है.
प्लास्टिक का फैलाव
पर्यटन के दौरान लोग खाने-पीने का सामान जैसे डिस्पोजल प्लेट और ग्लास लेकर चलते हैं. इनके इस्तेमाल के बाद उन्हें वहीं फेंक दिया जाता है. इससे पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है