रांची : आज विश्व परिवार दिवस है. बेहतर परिवारों के समन्वय से ही अच्छे समाज का निर्माण होता है. साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने परिवारों की महत्ता बताने के लिए इस दिवस की शुरुआत की थी, तब से हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जा रहा है. आज के दौर में मोबाइल और नयी तकनीक ने व्यक्तियों के बीच की दूरी बढ़ा दी है. पहले के जमाने में लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे, लेकिन आज मोबाइल परिवार पर भारी पड़ता जा रहा है. मनोचिकित्सकों के पास बच्चों और लोगों को मोबाइल की लत लगने की शिकायतें लगातार आ रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम मोबाइल को परिवार और समय के ऊपर हावी नहीं होने दें. एक-दूसरे से संवाद बढ़ायें.
मोबाइल की लत ने किया परेशान
झारखंड के मनोचिकित्सक डॉ निशांत विभाश बाताते हैं कि हमारे पास जो मामले आते हैं, वह ज्यादातर बच्चों को मोबाइल की लत लगने की रहती है. मोबाइल के कारण बच्चों का परिवार के साथ संवाद काफी कम हो रहा है. वहीं टीनएजर्स में मोबाइल यूज को लेकर चिड़चिड़ापन बढ़ गया है. र्वचुअल दुनिया में रहने से परिवार में उनका इंटरैक्शन कम हो गया है. बच्चों के सोने की अवधि बदल गयी है. बच्चे रातभर फोन पर व्यस्त रहते हैं और दिनभर सोते रहते हैं. वहीं अभिभावक भी मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रहे हैं. किशोर और युवा वर्ग भी अभिभावकों के मोबाइल में व्यस्त रहने की शिकायत लेकर आ रहे हैं. मोबाइल पर चैटिंग, डेटिंग और गेमिंग के कारण परिवार टूट रहे हैं. इस कारण आज के दौर में मोबाइल के संतुलित उपयोग पर जोर देना आवश्यक हो गया है.
परिवार को जोड़कर रखें, नहीं बढ़ायें आपसी दूरी
पीपी कंपाउंड निवासी डोरंडा कॉलेज के पूर्व वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ हरमिंदर वीर सिंह का संयुक्त परिवार है. परिवार में 12 सदस्य एक साथ एक घर में रहते हैं. वह कहते हैं कि मोबाइल आने से परिवार बिखर रहे हैं. आज अमूमन परिवार में देखा जा रहा है कि बड़े-छोटे सभी लोग मोबाइल देख रहे हैं. ज्यादातर एकल परिवारों में देखा गया है कि माताएं अपने बच्चों को खाना खिलाने के समय भी मोबाइल का प्रयोग कर रही हैं. कई बार तो पूरा परिवार एक साथ अलग-अलग मोबाइल में व्यस्त दिखते हैं. कोशिश करनी चाहिए कि मोबाइल का प्रयोग कम हो. जब मोबाइल नहीं होते थे, तो परिवार ज्यादा करीब हुआ करता था.
आपसी रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दें
महिलौंग निवासी 60 वर्षीय गीता ओझा अपने संयुक्त परिवार में रह रही हैं. परिवार में 13 सदस्य हैं. वह बताती हैं कि मोबाइल हमारे लिए जरूरी है. लेकिन आज देखा जा रहा है कि लोगों ने माेबाइल को अपनी जरूरत बना ली है. जब मोबाइल नहीं होते थे, तब भी काम होते थे. लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में शरीक होते थे. अब तो तकनीक के आ जाने पर दूरियां और बढ़ रही हैं. परिवार टूट रहे हैं. पहले नाश्ते के टेबल पर ही परिजनों के बीच तय हो जाया करता था कि आज पूरे परिवार को कहां जाना है और क्या करना है. अब तो लोग धीरे-धीरे हाथ से लिखना तक भूल जा रहे हैं. सारी बातें व्हाट्सएप पर लिखी जा रही है. लोगों का मिलना-जुलना बंद हो रहा है. लोग परिवार में आपसी रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दें.
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