World Menstrual Hygiene Day : रांची से सटे इस गांव ने कैसे तय किया कपड़े से पैड तक का सफर ?

आज पूरे विश्व में वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे मनाया जा रहा है, जिसका मकसद महिलाओं को माहवारी के समय साफ-सफाई की मत्वाकांक्षा को समझाना है. इसी सिलसिले में हम रांची के एक ऐसे गांव के बदलाव की कहानी लाएं हैं जहां महिलाओं ने कपड़ों से पैड तक का सफर की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2022 2:46 PM

रांची: विश्वभर में प्रत्येक वर्ष मई महीने की 28 तारीख को ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे’ मनाया जाता है. इसका मकसद महिलाओं को माहवारी के समय साफ-सफाई की मत्वाकांक्षा को समझाना है. क्योंकि अब भी कई महिला इससे जुड़ी जानकारियों से अपरिचित हैं. तो कई महिलाएं अब भी घर में मौजूद गंदे कपड़े को पैड के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं.

वो अब भी इस बात से अनजान है कि उनकी इस लापरवाही से उन्‍हें हेपेटाइटिस बी, सर्वाइकल कैंसर, योनी संक्रमण जैसी बीमारियां हो सकती है. इसका असर न सिर्फ महिलाओं को शारीरिक समस्या होती है बल्कि मानसिक रूप से भी लंबी उम्र तक परेशान कर सकता है. कई महिलाएं तो अब भी इस विषय पर चर्चा करने से कतराती हैं तो कई लोग शर्म की वजह से बाजार में उपलब्ध पैड खरीदने से बचती हैं. आज हम आपको रांची के धुर्वा स्थित तिरिल गांव की स्थिति बताएंगे कि कैसे वहां पर बदलाव आया.

क्या है गांव की स्थिति

जब हमारे सहयोगी ने इस मुद्दे पर गांव की महिलाओं से बातचीत की तो पता चला कि ज्यादातर लोग बाजार में मिलने वाले पैड की ही इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ये तक नहीं पता कि बाजार में इस तरह के कोई पैड मिलते भी हैं. वहीं कई महिलाएं तो शर्म की वजह से इस मुद्दे पर बातचीत ही नहीं करना चाहती.

हालांकि स्कूल की बच्चियों को इस संबंध बताया जाता है. जिस वजह से वो बाजार में मिलने वाले पैड का ही इस्तेमाल करती हैं. एक स्कूली छात्रा से जब हमने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि हमें स्कूल में चित्र खींचकर इसकी शिक्षा दी जाती है साथ ही साथ हमें इसके इस्तेमाल करने को लेकर भी बताया जाता है. वहीं एक आंगनबाड़ी सेविका ने कहा कि इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन से अब महिलाएं शिक्षित हो गई हैं इसलिए ज्यादातर महिलाएं अब इसका इस्तेमाल करने लगी हैं.


क्या है भारत की स्थिति

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएचएचएस) 4 के अनुसार पहले देश की सिर्फ 57.6% महिलाएं ही पीरियड्स के दौरान हाइजीन मैथड यूज करती थी, वहीं एनएचएचएस 5 के सर्वे से पता चलाता है कि 77.3% महिलाएं हाइजीन मैथड यूज करती हैं. जिसमें शहरी क्षेत्र में 89.4% और ग्रामीण क्षेत्र में 73.3% महिलाएं हाइजीन मेंटेन करती है जो एक अच्छा संकेत है.

“वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे’’ का महत्व

मेन्सट्रुअल हाइजीन आज भी एक ऐसा मुद्दा बना हुआ है, जिसपर अब भी महिलाएं खुलकर बात नहीं करना चाहती. ऐसे में उन्हें पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई व संक्रमण फैलने वाली बीमारियों से बचने के लिए मुख्य जानकारियां भी नहीं मिल पाती है. इसलिए आज के दिन ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे’ पर कोशिश की जाती है कि लोगों को ये बताया जा सके कि मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है. जिस पर घर और समाज में खुलकर बात करने की जरूरत है. जिससे महिलाओं और बच्चियों को गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके.

रिपोर्ट : हिमांशु कुमार देव

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