झारखंड में नर्सिंग कोर्स के लिए दो दर्जन से अधिक सरकारी व निजी संस्थान चल रही हैं. इसमें से करीब एक दर्जन संस्थान रांची व आसपास के जिले में संचालित है. राज्य के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में दाखिले के लिए प्रत्येक वर्ष झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीइसीइबी) की ओर से प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है. यह परीक्षा खास तौर पर महिलाओं के लिए आयोजित होती हैं.
प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एएनएम व जीएनएम पाठ्यक्रम से जुड़ कर नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की जा सकती है. 17 से 35 वर्ष तक की महिलाएं एएनएम कोर्स से जुड़ सकती हैं. प्रवेश परीक्षा में आवेदन के लिए छात्रा का 12वीं पास होना जरूरी है. साइंस, कॉमर्स व आर्ट्स संकाय की छात्राएं इस कोर्स से आसानी से जुड़ सकती हैं. वहीं, वोकेशनल कोर्स के तौर पर हेल्थ केयर साइंस की पढ़ाई कर चुकीं छात्राएं भी इस कोर्स से जुड़ सकती हैं. इसके अलावा जीएनएम कोर्स के लिए छात्राओं का 12वीं में साइंस संकाय होना जरूरी है. बोर्ड परीक्षा में 40 फीसदी या इससे अधिक अंक से पास होने पर भी छात्राएं कोर्स से जुड़ सकती हैं.
नर्सें रोगियों का मनोबल बढ़ाने के साथ साथ मरीज को बीमारी से लड़ने और स्वस्थ होने के लिए भी प्रेरित करती हैं. मरीजों को समय पर दवा, खाना आदि के लिए प्रेरित करती हैं, वहीं अपने कार्यकाल के हर परिस्थितियों का सामना करती हैं. रिम्स रांची में नर्सों की कुल संख्या 622 हैं. यह नर्सें रिम्स के विभिन्न वार्डों में अपनी सेवाएं दे रही हैं. वहीं, सदर हॉस्पिटल में 155 नर्स स्थापना समय से काम कर रही है. वहीं, आउटसोर्सिंग से करीब 155 नर्स विभिन्न संकायों में सेवा दे रही हैं. कई हॉस्पिटल में नर्स की नियुक्ति नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से भी की गयी है. इसके अलावा शहर के विभिन्न निजी हॉस्पिटल में करीब 2500 नर्स कार्यरत हैं.
जीएनएम का कोर्स महिला और पुरुष दोनों कर सकते हैं. जबकि एएनएम का कोर्स सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं. जीएनएम का कोर्स तीन वर्षीय होता है, जबकि एएनएम का दो वर्षीय होता है. इसके लिए आवेदन ऑनलाइन किया जाता है. जीएनएम के लिए बायोलॉजी के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी होता है. इसके बाद राज्य स्तर पर मेरिट बनती है, जबकि एएनएम के लिए 12वीं की प्रतिशत के आधार पर जिला स्तरीय मेरिट बनती है. जीएनएम की पढ़ाई में तीन साल में ही छह महीने का इंटर्नशिप शामिल होता है. इसमें प्रथम व द्वितीय वर्ष में चार-चार तथा तृतीय वर्ष में दो पेपर होते हैं.
21 सालों से मरीजों की सेवा में लगी हूं. इस दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. खास कर कोरोना काल मुश्किलों भरा रहा. कोरोना काल में इंचार्ज रहते हुए मरीजों की सेवा की. 20-20 दिनों तक परिवार से नहीं मिल पाती थी. अस्पताल में ही रहकर मरीजों की सेवा करती रही. मरीज जब ठीक होते और उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर खुशी मिलती है. मरीज की सेवा और परिवार का कर्तव्य दोनों निभा रही हूं.
आइवीएल रानी खलखो, सर्जरी सी टू इंचार्ज, रिम्स
रिम्स के आई वार्ड में इंचार्ज हैं. नर्स बनने के सफर में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. पिताजी हमेशा नर्सिंग की पढ़ाई के लिए सपोर्ट करते रहे. उनके आशीर्वाद से ही सालों से मरीजों की सेवा कर रहे हैं. कोरोना काल में बच्चों को दूर से देखा करती लेकिन उस चुनौती को मुस्कुरा कर निभाती चली गयी. अब परिवार के सभी गर्व से कहते हैं कि नर्स बनकर मरीजों की सेवा करती है. यही मेरी नर्सिंग सेवा का सम्मान और खुशी है.
मंजु कुमारी, आई वार्ड इंचार्ज, रिम्स