23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

World Photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो

फोटोग्राफी हमारी कहानी कहती है. यानी, तस्वीर के माध्यम से बदलाव की कहानी को बयां करना. अपनी रांची वर्ष 1910 में फोटोग्राफी से परिचित हुई. 1922 में मेन रोड में पहला फोटो स्टूडियो खुला

अभिषेक रॉय, रांची :

तस्वीरें बीते लम्हों को जिंदा रखती हैं. इसलिए कहावत भी है कि एक तस्वीर हजार शब्द के बराबर होती है. फोटोग्राफी एक शक्तिशाली माध्यम है, जो लोगों को अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करने की इजाजत देती है. फ्रांसीसी आविष्कारक लुई डैगर जिन्हें फोटोग्राफी का जनक कहा जाता है. उन्होंने 1837 में पहली व्यावहारिक फोटोग्राफिक प्रक्रिया तैयार की थी.

Undefined
World photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो 6

उनकी याद में 19 अगस्त को पूरा विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाता है. इस वर्ष का थीम है : फोटोग्राफी हमारी कहानी कहती है. यानी, तस्वीर के माध्यम से बदलाव की कहानी को बयां करना. अपनी रांची वर्ष 1910 में फोटोग्राफी से परिचित हुई. 1922 में मेन रोड में पहला फोटो स्टूडियो खुला. इसके बाद लोग धीरे-धीरे पत्रिका व समाचार पत्र में प्रकाशित होनेवाली तस्वीरों के माध्यम से रोजाना की घटनाओं को देखकर स्मृति बनाने लगे.

Undefined
World photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो 7
1927 के बाद कई स्टूडियो खुले

1922 के बाद फोटोग्राफी के शौकीन रांची में अपनी पैठ मजबूत करने लगे. इस दौरान कई फोटो स्टूडियो खुले. रॉय स्टूडियो खुलने के पांच वर्ष बाद 1927 में कौरोनेशन स्टूडियो, 1936 में लवली फोटो एंड ग्रामोफोन कंपनी, 1941 में बोस एंड बैन और स्टूडियो एवेन्यू, 1942 में स्टूडियो एलिट, 1947 में जेफिर स्टूडियो और 1948 में उप्पल स्टूडियो की शुरुआत हुई. कुलदीप सिंह दीपक ने बताया कि 1947 के बाद लगभग 15 वर्षों तक मेन रोड स्ट्रीट फोटोग्राफी का हब बन चुका था. मेन रोड स्थित टैक्सी स्टैंड और रिफ्यूजी मार्केट के आस-पास फोटोग्राफर पर्दा लगातार प्लेट कैमरे से फोटोग्राफी करते थे.

1922 में खुला था पहला स्टूडियो

नया टोली रांची के पीटर कुमार 1910 में फोटोग्राफी करते थे, लेकिन उनका कोई स्टूडियो नहीं था. जबकि, स्व बसंत कुमार रॉय उर्फ बसंतो बाबू ने मलहा टोली रांची में 1922 में पहला फोटो स्टूडियो रॉय स्टूडियो के नाम से खोला. इसके बाद रांची फोटोग्राफी से परिचित होने लगी. लोग पासपोर्ट साइज फोटो और परिवार संग अपनी तस्वीर खिंचवाने स्टूडियो पहुंचा करते थे. बंसतो बाबू के पोते सुदीप रॉय, जो वर्तमान में रॉय स्टूडियो के संचालक हैं, उन्होंने बताया कि उस समय फोटोग्राफी काफी महंगी हुआ करती थी. पासपोर्ट साइज फोटो की तीन कॉपी की कीमत तीन रुपये थी.

Undefined
World photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो 8
कभी चार आने में मिलता था एक पाेस्टकार्ड साइज फोटो

वरिष्ठ फोटोग्राफर कुलदीप सिंह दीपक कहते हैं : फोटोग्राफी हमेशा से महंगी कलाकारी रही है. 1941 से पहले तक एक पोस्टकार्ड साइज फोटो पर चार आने खर्च होते थे. अब इसपर 30 से 65 रुपये प्रति कॉपी खर्च करने पड़ रहे हैं. एक समय ऐसा भी था जब 120 एमएम की फिल्म की कीमत बारह आने (75 पैसे) हुआ करती थी. वहीं, कोडैक ब्राउनी कैमरे की कीमत चार रुपये बारह आने (4.75 पैसे) थी.

Undefined
World photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो 9
जब रातू महाराज ने खिंचवाई थी फोटो
Undefined
World photography day: राजधानी की ये तस्वीरें बता रही है रांची बदलती तस्वीरें, 1922 में खुला था पहला स्टूडियो 10

छोटानागपुर के नागवंशी राजा प्रताप उदयनाथ शाहदेव फोटो खिंचवाने के शौकीन थे. रांची में स्व बिस्टो बाबू ने 1918 में स्टूडियो फाइन आर्ट गैलरी की स्थापना की थी, जो कलात्मक वस्तुओं की दुकान हुआ करती थी. यहां फोटोग्राफी की भी सुविधा थी. इसके खुलने के बाद राजा प्रताप उदयनाथ ने अपनी तस्वीर खिंचवाने की इच्छा जाहिर की. फोटोग्राफी के लिए उन्होंने तांगा भेजवाकर बिस्टो बाबू को रातू महल बुलवाया. इसके बाद राजा और उनके मैनेजर मेजर एटी पेपी साहब ने साथ में तस्वीर खिंचवायी. अपनी तस्वीर देख राजा काफी खुश हुए और बिस्टो बाबू को कई उपहार दिये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें