World Poetry Day: अपनी लेखनी से झारखंड को दिलायी अलग पहचान, देश-विदेश तक पढ़ी जा रही हैं इन कवियों की रचनाएं
हर साल 21 मार्च को विश्व कविता दिवस (World Poetry Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन कई कवि-कवयित्री कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं. झारखंड के भी कई कवि-कवयित्री हैं जो देश ही नहीं, विदेशों में भी पहचान दिलायी है.
World Poetry Day: कविताएं दुनिया की खूबसूरती और मनोभाव को व्यक्त करने का माध्यम हैं. झारखंड के भी कई कवि-कवयित्री कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. इनकी कविताएं देश ही नहीं, विदेशों में भी प्रकाशित हो चुकी हैं. इन्होंने अपनी कविताओं से झारखंड को देश-विदेश में पहचान दिलायी. विश्व कविता दिवस पर कुछ ऐसे ही कवियों के बारे में पढ़िए…
आदिवासी पृष्ठभूमि की
हिंदी कवयित्री जसिंता केरकेट्टा
आदिवासी पृष्ठभूमि की हिंदी कवयित्री जसिंता केरकेट्टा की कविताएं वैश्विक हो चुकी हैं. 2016 में जसिंता का पहला द्विभाषिक हिंदी-अंग्रेजी कविता संग्रह ‘अंगोर’ आदिवाणी, कोलकाता से प्रकाशित हुआ. उसी साल हिंदी-जर्मन कविता संग्रह भी द्रौपदी वेरलाग, हाइडलबर्ग, जर्मनी से प्रकाशित हुआ. 2016 में जसिंता ने जर्मनी के करीब 13 शहरों में कविता पाठ किया.
प्रतिष्ठित प्रकाशनों ने वार्षिकांक में शामिल किया
2022 में इंडिया टुडे ने अपने विशेषांक में जसिंता को नयी नस्ल के 100 नये नुमाइंदों में शामिल किया था. चेन्नई की तमिल साप्ताहिक पत्रिका विकातान ने 2022 में भारत की 10 प्रतिभाशाली महिलाओं में जसिंता को चुना. फोर्ब्स इंडिया ने 2022 की 22 सेल्फ मेड वुमन में जसिंता को शामिल किया. कीव, यूक्रेन की टारस स्केचेन्कोक्यीव नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रो यूरी बोत्वींकिन ने 2022 में जसिंता केरकेट्टा के लेखन को आधार बनाकर यूक्रेन की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका में आलेख प्रकाशित किया है.
संगीता कुजारा टाक
कवयित्री संगीता कुजारा टाक जीवन, दर्शन, विज्ञान और प्रेम से संबंधित कविताएं लिखती हैं. स्कूल में रहने के दौरान उन्होंने कई कविताएं लिखीं. उनकी कविताएं सरिता जैसी पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुईं. देश-विदेश के पत्र-पत्रिकाओं के अलावा अखबारों में भी कविताएं प्रकाशित हुईं. सेतु, अभिनव इमरोज, विभोम स्वर, इंद्रप्रथ भारती, कदाम्बिनी, प्रणाम पर्यटन, द अंडरलाइन, सरस्वती सुमन व संरचना इनसाइड इंडिया पत्रिका में उनकी कविताएं छपी.
अनुज लुगुन
क वि अनुज लुगुन सिमडेगा के रहनेवाले हैं. उन्होंने एमए और पीएचडी बीएचयू से की. मुंडारी आदिवासी गीतों में जीवन राग व आदिम आकांक्षाएं पर पीएचडी की. उनकी कविता बाघ और सुगना मुंडा की बेटी, पत्थलगड़ी काफी प्रचलित रही. उन्हें भारत भूषण अग्रवाल सम्मान, सावित्री त्रिपाठी साहित्य सम्मान, भारतीय भाषा युवा सम्मान, साहित्य अकादमी युवा सम्मान मिल चुका है. उन्होंने कहा कि उनका कविता संग्रह अघोषित उलगुलान जल्द प्रकाशित होने वाला है.
रश्मि शर्मा
कवयित्री रश्मि शर्मा शुरू से प्रकृति प्रेमी रही हैं. उनकी अधिकतर कविताएं प्रकृति और प्रेम पर आधारित होती हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पहली कविता प्रभात खबर में छपी थी. जब उस पर प्रतिक्रिया में दो-तीन पोस्टकार्ड मिले, तो हौसला बढ़ा. अब तक कादम्बिनी, पूर्वग्रह, प्रसंग, मधुमती, नीलांबरा, पुष्पांजलि, लोकमत, कनाडा की पत्रिका हिंदी चेतना आदि में उनकी कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं.
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