रांची, अभिषेक रॉय : आज विश्व जनसंख्या दिवस है. थीम है : लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना. केंद्र सरकार की पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट (पीपीआर) के अनुसार 2026 तक झारखंड की आबादी 4.09 करोड़ हो जायेगी. 2016 में राज्य की आबादी 3.58 करोड़ थी, जो 2021 तक 3.84 करोड़ पहुंच चुकी है. वर्ष 2011 में राज्य की आबादी 3.29 करोड़ थी, जो देश की आबादी का 2.72% था. पीपीआर के अनुसार 2026 तक झारखंड में लैंगिक अनुपात लगभग बराबरी पर होगा. क्योंकि पुरुषों की आबादी 2.09 करोड़ और महिलाओं की आबादी दो करोड़ का आंकड़ा पार कर जायेगी. वहीं रांची जिले की बात करें, तो 2001 में रांची शहर की आबादी 23,50,612 थी, जिसमें पुरुषों की 12,18,830 और महिलाओं की संख्या 11,31,782 थी.
2011 जनगणना के अनुसार रांची जिले की आबादी 29,14,253 लाख थी. इसमें 14,94,937 पुरुष और 14,19,316 महिलाएं शामिल हैं. पिछले एक दशक में राज्य की जनसंख्या की वृद्धि दर 22.3% को औसत मान लिया जाये, तो वर्तमान में रांची जिला की आबादी 35,64,130 हो चुकी है. 2011 की जनगणना के अनुसार रांची जिले में कुल जनसंख्या की 5.25% आबादी अनुसूचित जाति और 35.76% अनुसूचित जनजाति की है. वहीं रांची जिले का लिंगानुपात 949 है, जबकि झारखंड का औसत लिंगानुपात 948 हैं. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रांची जिले में लैंगिक समानता बरकरार है. इससे शहरी क्षेत्र की जीवनशैली में लगातार बदलाव हो रहा है.
2001 में हुई जनगणना के आधार पर झारखंड की आबादी 2,69,45,829 करोड़ थी. उस समय देश में राज्य की आबादी का हिस्सा 2.62% था. एक दशक यानी 2011 में जनसंख्या में वृद्धि हुई, जिससे आबादी 3,29,66,238 करोड़ पहुंच गयी. जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड के एक पदाधिकारी ने बताया कि राज्य में पिछले एक दशक में जनसंख्या वृद्धि 22.42% की रफ्तार से हो रही है. ऐसे में राज्य गठन के 25वें वर्ष में आबादी दोगुना पार कर जायेगी.
पीपीआर के अनुसार राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर 2015 के बाद लगातार घट रही है. वर्ष 2011-15 में जनसंख्या वृद्धि दर जहां 16.4% थी, वह 2016-20 में घटकर 14.4% पर पहुंच गयी. वहीं, 2021 के बाद यह घटकर 12.5% हो गयी. पिछले पांच वर्षों में जनसंख्या वृद्धि दर में 1.9% की गिरावट आयी है. वहीं 2016 से 2020 तक राज्य में मृत्यु दर 6.1% थी, जो 2021 के बाद 6.3% पहुंच चुकी है. आंकड़ों के अनुसार पुरुषों के जीवनकाल की तुलना में महिलाओं का जीवन काल बढ़ा है. 2021 के बाद महिलाएं औसतन 71 वर्ष और पुरुष 70 वर्ष की आयु तक जीवन यापन कर पा रहे हैं.
झारखंड की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है. 2011 की जनगणना के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्रवाले युवाओं की संख्या 1.89 करोड़ थी, जो 2016 में बढ़कर 2.18 करोड़ पहुंची. वहीं, 2021 में युवाओं की संख्या 2.48 करोड़ पहुंच चुकी है. पिछले एक दशक में राज्य में युवाओं की आबादी 0.59 करोड़ बढ़ी है. वहीं 2026 तक युवाओं की आबादी का आंकलन 2.77 करोड़ किया गया है. वहीं, शून्य से 14 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 2011 में 1.19 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 1.12 करोड़ पहुंच चुकी है. दूसरी ओर 60 से अधिक उम्रवाले सीनियर सिटीजन की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है. 2011 में 21.4 लाख थी. वर्ष 2016 में 27 लाख और 2021 में 32.5 लाख हो गयी है.
सरकार महिला सशक्तीकरण पर जोर दे रही है. बेटियों को परिवार में भी सहयोग मिल रहा है. सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है. लड़कियां पढ़ सकें, इसके लिए स्कूली शिक्षा में ही कई सुविधाएं दी जा रही हैं. लड़का हो या लड़की लोग अब दो बच्चे ही चाह रहे हैं. अब महिलाएं बाहर निकल रही हैं. पहले यह दायरा काफी सीमित था.
-डॉ रश्मि, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र विभाग, रांची विवि
आज की स्थितियाें में काफी बदलाव आया है. बडी कंपनियों में लड़कियां नेतृत्व कर रही हैं. सरकार बेटियों की बुलंदी के लिए कार्यक्रम चला रही है. कई प्रावधान हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं. अब लड़कियों के मामले में कुछ भी होता है, तो सरकार और समाज की प्रतिक्रिया शीघ्र दिखती है. महिलाएं पहले की तुलना में ज्यादा आत्माविश्वासी हो गयी हैं. पहले लैंगिक असमानता एक गंभीर समस्या थी. सामाजिक समानता आयी है.
-पीके सिंह, समाजशास्त्री
शैक्षणिक संस्थानों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. यह अनुपात अब लगभग 55-45 प्रतिशत पहुंच चुका है. राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा का स्तर लगातार बढ़ रहा है. विभिन्न संकायों में शिक्षकों की कमी है. बावजूद इसके पारंपरिक और व्यवसायिक विषयों की शिक्षा पर फोकस किया जा रहा है. प्रत्येक संकाय में महिला वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ी है. खासकर व्यवसायिक शिक्षा में छात्राओं की उपस्थिति और शैक्षणिक प्रदर्शन में लगातार वृद्धि हो रही है.
– डॉ परवेज हसन, सहायक प्राध्यापक, रांची विवि
राज्य की 94.3 फीसदी लोगों के घर में बिजली की व्यवस्था है. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार 99 फीसदी शहर और 92.9 फीसदी ग्रामीण इलाके के लोगों को बिजली सुविधा मिल रही है. वहीं, एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 81.2 फीसदी था.
राज्य में बेहतर पेयजल स्रोत वाले घरों में रहनेवाली आबादी 86.6 फीसदी है. हालांकि चिंता की बात यह है कि ग्रामीण अभी भी इसमें पीछे हैं. एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में 94.6 फीसदी शहर और 84.1 फीसदी ग्रामीण बेहतर पेयजल के स्रोतवाले घरों में रहते हैं.
राज्य में बेहतर स्वच्छता का ख्याल रखने वालों की आबादी पहले से बढ़ी है. एनएफएचएस-4 की अपेक्षा एनएफएचएस-5 में स्वच्छता का ख्याल रखने वालों का आंकड़ा 25 फीसदी से बढ़कर 56.7 फीसदी हो गया है. हालांकि ग्रामीण इलाकों में इसकी स्थिति और बेहतर करने की जरूरत है. शहर में यह आंकड़ा 75.9 फीसदी है, तो ग्रामीण में 50.8 फीसदी.
एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की 61.7 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं. हालांकि ग्रामीण महिलाओं की स्थिति शहरी की तुलना ठीक नहीं है. आंकड़ों के अनुसार शहर की 80.1 और 55.6 फीसदी ग्रामीण की महिलाएं साक्षर हैं. वहीं, राज्य में 81.3 फीसदी पुरुष साक्षर हैं. इसमें 92 फीसदी शहर के और 77.4 फीसदी ग्रामीण पुरुष साक्षर हैं.
राज्य में 61.7 फीसदी महिलाओं की भागीदारी परिवार नियोजन में है. एनएफएचएस-5 के अनुसार 61.7 फीसदी महिलाएं (15 से 49 साल) परिवार नियोजन की विभिन्न विधियों का उपयोग करती हैं. इसमें 66 फीसदी शहरी और 60.4 फीसदी ग्रामीण महिलाएं हैं.
राज्य में 97.7 फीसदी घरों में आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल होता है. एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट में यह 97.6 फीसदी था. वहीं, 98.4 फीसदी शहर और 97.4 फीसदी ग्रामीण इलाकों के घरों में आयोडीन नमक का उपयोग किया जाता है.
राज्य में 31.9 फीसदी परिवार खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करते हैं. हालांकि शहरों की तुलना में ग्रामीणों की स्थिति अभी भी बेहतर नहीं है. शहर में 71 फीसदी परिवार खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करते हैं, जबकि 19.5 फीसदी ग्रामीण परिवार के यहां ही स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल होता है.