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World Sepsis Day: झारखंड में भी सेप्सिस से हो रही है मौतें, WHO ने किया आगाह

13 सितंबर को World Sepsis Day मनाया जाता है. विश्व में होनेवाली मौत के पांच बड़े कारणाें में सेप्सिस भी प्रमुख वजह है. डब्लूएचओ ने भी सेप्सिस से होने वाली मौत को लेकर आगाह किया है. झारखंड में भी सेप्सिस का सही समय पर पहचान नहीं होने के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है.

Ranchi news: हर साल 13 सितंबर को World Sepsis Day मनाया जाता है. विश्व में होने वाली मौत के पांच बड़े कारणाें में सेप्सिस भी प्रमुख वजह है. डब्लूएचओ ने भी सेप्सिस से होने वाली मौत को लेकर आगाह किया है. झारखंड में भी सेप्सिस का सही समय पर पहचान नहीं होने के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है. अस्पतालों में विशेषकर आइसीयू में गंभीर मरीजों का प्रोटाेकॉल के हिसाब से इलाज नहीं हो पाता है. इससे मरीज का संक्रमण फैल जाता है, जिसे सेप्सिस कहा जाता है. इससे मरीज की माैत तक हो जाती है. सेप्सिस की चपेट में वैसे मरीज ज्यादा आ जाते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है.

सेप्सिस को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत

मेदांता के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. तापस कुमार साहू ने बताया कि जब गंभीर मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पहले उस बीमारी से लड़ने का प्रयास करती है. जब प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, तो वह सेप्सिस का रूप ले लेती है. ऐसे मरीज को एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक जैसी दवा की जरूरत होती है और उसका सही प्रबंधन भी जरूरी हाेता है. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि ग्रामीण अस्पतालों में घाव या चोट के अलावा संक्रमण का सही से इलाज नहीं होता है, तो वह सेप्सिस का रूप ले लेता है. सेप्टिक शॉक सबसे खतरनाक हो जाता है. इसके लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है, जिससे वह समय पर अस्पताल पहुंच कर इलाज करा पायें.

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सेप्टिक शॉक सबसे गंभीर अवस्था

सेप्टिक शॉक सेप्सिस की सबसे गंभीर अवस्था है. इसमें मरीज की मौत सबसे अधिक होती है. आइसीयू में भर्ती कर इलाज की आवश्यकता होती है. इसमें बीपी और ऑक्सीजन का स्तर गिरने लगता है. यह संक्रमण का फैलाव तब खतरनाक हो जाता है, तो जब समय पर दवा नहीं शुरू हो पाती है. आइसीयू में सही प्रबंधन की जरूरत होती है.

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