Suicide Prevention In Jharkhand रांची: जिंदगी बेहद खूबसूरत है. यह भी सच है कि इसमें लगातार उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं. कई मौकों पर हम खुद को बेबस पाते हैं. ऐसे ही एक कमजोर पल में कई दफा लोग जिंदगी से मुंह मोड़ने जैसा फैसला कर बैठते हैं. इन्हीं मुश्किल पलों को जीतना ही जिंदगी है. इसके लिए सबसे जरूरी है उम्मीद.
आर्थिक कारणों से वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (10 सितंबर) से एक दिन पहले धनबाद में मां और बेटे ने आत्महत्या कर ली. पति फेरी का काम करता था. आर्थिक कारणों से पारिवारिक विवाद भी होता था. यह पहली घटना नहीं है. आये दिन इस तरह की घटना घट रही है. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया जाता है.
हर साल इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (आइएएसपी) इसका थीम तय करता है. इस साल का थीम है : क्रिएटिंग होप थ्रू एक्शन. इस अभियान में जुड़ी संस्थाएं आत्महत्या रोकने को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी चला रही हैं. मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक चाहते हैं कि परेशानी हो, तो एक बार संपर्क जरूर करें. रिनपास और सीअाइपी जैसी मनोचिकित्सा संस्थानों में इसके लिए अलग से क्लिनिक भी है.
सुसाइड के लक्षण वालेवाले व्यक्तियों में पूर्व से ही कई प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं. वह नशे का अत्याधिक सहारा लेने लगता है. अलग-थलग रहने लगता है. लोगों व परिवार से बातचीत करना बंद कर देता है. आत्महत्या करने के तरीके के बारे में सर्च करने लगता है. कई बार लोग जॉब पर जाना छोड़ देता है. मजाक में अक्सर बोल देता है कि वह जिंदगी से उब चुका है. जीने की इच्छा नहीं है. इसी परिस्थिति में वह व्यक्ति क्षण भर में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है.
रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा मेंटल हेल्थ अवयरनेस पेज चला कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इस पेज पर लोगों को मानसिक परेशानी से संबंधी जानकारी दी जा रही है. 2014 से यह सेवा नि:शुल्क है. डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि काफी संख्या में लोग इस पेज से जुड़ रहे हैं.
परेशानियों को दूर करने की जानकारी ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि अवसाद अभिशाप नहीं है. वर्तमान में लोग न्यूक्लियर फैमिली में सिमटते जा रहे हैं. इसलिए किसी भी तकलीफ से गुजर रहे हैं, तो अपने दोस्तों, परिवार व मनोचिकित्सक के पास जायें. अपने परिवार के बारे में सोचें और हेल्पलाइन पर बात कर अपनी समस्याएं साझा करें.
सीआइपी में सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन नंबर चलता है. यह 24 घंटे एक्टिव रहता है. यहां एक विशेष क्लिनिक भी है. यहां काउंसेलिंग, थेरेपी और ट्रीटमेंट की सुविधा है. 1800-345-1849 टॉल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सकता है.
रिनपास में सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन नंबर 9471136697 जारी किया गया है. यह पिछले छह महीने से चल रहा है. इसमें अब तक 1500 से अधिक कॉल आ चुके हैं.
दुर्गा मंडप, रातू रोड के रहनेवाले अशोक (बदला नाम) के बेटे ने 2019 में आत्महत्या कर ली. अशोक कहते हैं : बेटे ने किस परिस्थिति में यह कदम उठाया, आज तक समझ नहीं सका. बेटे के जाने का दुख आज तक नहीं भूल सका. उसके जाने के बाद जीने की इच्छा ही खत्म हो गयी है. सारी खुशियां उसी के साथ चली गयी. उसकी मां आज भी बदहवास रहती है. काश! वह मुझसे एक बार बात किया होता़ मैं उसकी परेशानी का हल निकाल पाता. लोगों से यही अपील है कि आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है. मुश्किलों से लड़ना और आगे बढ़ना ही जीवन है.
28 वर्षीय एक महिला ने कोरोना काल में अपने पति को खो दिया. कारण था बेरोजगारी़ वह कहती हैं : उनके जाने के बाद आज भी यकीन नहीं होता कि वह इतने कमजोर थे. उनको समझना चाहिए था कि हर समस्या का हल निश्चित है. घटना के दिन उन्होंने मुझसे बात भी की. नाश्ता किया और मुस्कुरा कर कहा कि खाना बनाओ साथ खाना खायेंगे. फिर अचानक दूसरे कमरे में जाकर आत्महत्या कर ली. आज तक उस पल को नहीं भूल पाती हूं. किसी को भी जाने से पहले सोचना चाहिए कि उनके परिवार का क्या होगा? परिवार सामूहिक जिम्मेदारी होता है.
झारखंड में आत्महत्या के मामले घटे हैं. नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 2021 में आत्महत्या के मामलों में 14.9% की गिरावट दर्ज की गयी है. वर्ष 2020 में 2145 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए थे, जो 2021 में घटकर 1825 पर पहुंच गये. आत्महत्या करनेवाले करीब 85 प्रतिशत लोग 12वीं कक्षा तक शिक्षित थे. इसका प्रमुख कारण रिश्तों में परेशानी, मानसिक बीमारी, परीक्षा में असफलता रहा है.
परिवार और दोस्तों ने ताकत दी
तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी भी एक समय डिप्रेशन के शिकार थे. एक चैट शो में खुलासा किया कि वह निजी और करिअर की समस्याओं की वजह से तीन बार आत्महत्या करने का मन बना चुके थे. लेकिन परिवार और दोस्तों ने ताकत दी. आज वह सफलता के ट्रैक पर दौड़ रहे हैं.
डिप्रेशन से खुद ही निकलना होगा
प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने 2015 में खुलासा किया कि एक समय वह भी डिप्रेशन का शिकार थीं. उन्हें लगता था कि जीवन में सब-कुछ खत्म हो गया. लेकिन उस मुश्किल समय से उबर कर बाहर आ गयीं. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ट्वीट किया था कि डिप्रेशन, कैंसर, डायबिटीज की तरह ही एक बीमारी है. आपको डिप्रेशन से खुद ही निकलना होगा.
व्यवहार में परिवर्तन, सुस्ती, अत्यधिक नींद या नींद की कमी, काम में मन न लगना, रोना आना, नकारात्मक सोच जैसे कई कारण अवसाद हो सकते हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया पर आत्महत्या संबंधित वीडियो या पोस्ट देखना, ध्यान में कमी, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण आत्महत्या के संकेत हो सकते हैं. इस परिस्थिति में उक्त व्यक्ति से बात करना आवश्यक है.
-डॉ केशव, मनोचिकित्सक