पूरे देश में आज विश्व आदिवासी मनाया जा रहा है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में फिलहाल अनुसूचित जनजातियों की आबादी 10.45 करोड़ हो चुकी है. तो वहीं पूरे झारखंड में आदिवासियों की आबादी 86,45,042 है. इतनी जनसंख्या होने के बावजूद इस समाज के बारे में आज भी लोगों को नहीं पता है. लोग आज भी इनकी परंपरा और संस्कृति से अनभिज्ञ हैं. ऐसे में आज हम आपको आदिवासी शब्द के मतलब को बताएंगे. जिनके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है
आदिवासी प्रकृति के पूजक और इसके संरक्षक हैं.
इन्हें जंगल, पेड़, पौधों और पशुओं से बेहद प्रेम है
इनका मुख्य हथियार तीर-धनुष है, ये शिकार में माहिर होते हैं
सादा जीवनशैली व पारंपरिक भोजन सहज, शालीन और शर्मीला स्वभाव इनकी पहचान होती है
अतिथियों के स्वागत-सत्कार को लेकर ये आतुर रहते हैं
कुनबे में रहना और उसका खयाल रखना इनकी खासियत है
जड़ी-बूटियों और औषधियों का ज्ञान इन्हें बहुत अच्छा से आता है
अपनी संस्कृति, भूमि व अपनी भाषा से इन्हें बेहद प्रेम है
पारंपरिक कला व गीत-संगीत से प्रेम
पूर्वजों द्वारा स्थापित परंपरा का ये आज भी पालन करते हैं.
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झारखंड में 32 जनजातियां हैं, जिनमें 24 प्रमुख जनजातियों की श्रेणी में हैं. बाकी आठ को आदिम जनजातियों की श्रेणी में रखा गया है. इनमें बिरहोर, कोरवा, असुर, परहिया, विरजिया, सौरिया पहाड़िया, माल पहाड़िया और सबर शामिल हैं.
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अनुसूचित जनजाति की आबादी के हिसाब से झारखंड देश में छठे स्थान ( 8.3%) पर है.
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राज्य में जनजातियों की संख्या 86,45,042 है, जो आबादी का 26.2% है. इसमें आदिम जनजाति 1,92,425 हैं, जो कुल आबादी का 0.72 % है.
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1951 में अविभाजित बिहार में आदिवासियों की संख्या 36.02% थी. यानी वर्तमान में आबादी में 10% गिरावट आयी है.
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संताल झारखंड की सबसे बड़ी जनजाति है. इनकी कुल जनसंख्या 27.54 लाख है. इसके बाद उरांव ( 17.16 लाख) और मुंडा (12.29 लाख) हैं.
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झारखंड में 91.7% आदिवासी आबादी आज भी गांवों में रहती है.
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झारखंड विधानसभा की 81 सीटों में 28 सीटें और 14 लोकसभा में पांच सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं.
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झारखंड की जनजातियां श्रीलंका की बेड्डा और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों से काफी हद तक मिलती-जुलती हैं.
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प्रजातीय तत्व के आधार पर झारखंड की सभी जनजातियों को ‘प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड’ वर्ग में रखा गया है.
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अधिकांश जनजातीय भाषाएं आस्ट्रिक समूह की हैं. सिर्फ उरांव जनजाति की कुड़ुख भाषा और माल पहाड़िया व सौरिया पहाड़िया की मालतो भाषा द्रविड़ समूह से संबंधित हैं.
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भारत में लगभग 705 जनजातीय समूह हैं. इनमें लगभग 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह हैं.
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1961 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 3.1 करोड़ ( कुल जनसंख्या का 6.9 %) थी.
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2011 के अनुसार अब देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 10.45 करोड़ हो चुकी है, जो कुल आबादी का लगभग 8.6% है.
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विश्व में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है
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ये पूरे विश्व की जनसंख्या का पांच प्रतिशत हैं.
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दुनिया में लगभग 5000 आदिवासी समुदाय हैं. इनकी सात हजार भाषाएं हैं.