रांची: झारखंड के आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए दर्जन भर से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. अनुसूचित जनजाति समुदाय के कमजोर तबके के उत्थान के लिए चिकित्सा, शिक्षा, भोजन से लेकर उनके लिए रोजगार की व्यवस्था और गांवों का विकास तक कराने के लिए अलग-अलग योजनाएं चलायी जा रही हैं. आदिवासी समुदाय के विकास के लिए चलायी जा रही इन योजनाओं का लाभ लाखों लोगों को मिल रहा है.
चिकित्सा अनुदान :
गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति के लोगों को इलाज के लिए अधिकतम तीन हजार रुपये तक चिकित्सा सहायता राशि दी जाती है. गंभीर मामलों में चिकित्सा सहायता देने के लिए 10 हजार रुपये तक के अनुदान की स्वीकृति का शक्ति उपायुक्त को दी गयी है.
जमीन का पट्टा :
अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकार की मान्यता) अधिनियम, 2006 तहत भूमि पट्टा देकर एसटी समुदाय को लाभांवित किया जा रहा है.
पारंपरिक ग्राम प्रधानों को सम्मान :
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पारंपरिक ग्राम प्रधानों को राज्य सरकार द्वारा सम्मान राशि उपलब्ध करायी जाती है.
गांवों का विकास :
झारखंड के आदिवासी बहुल गांवों के लिए मुख्यमंत्री एसटी ग्राम विकास योजना है. इसके तहत गांवों को शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और अन्य विकास योजनाओं से जोड़ कर विकासित करने का प्रयास किया जा रहा है.
वैधिक सहायता :
सिविल, क्रिमिनल फौजदारी व राजस्व मुकदमों का खर्च वहन करने के लिए गरीब अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को प्रति मुकदमा पर सुनवाई के लिए 125 रुपये से 1250 रुपये तक प्रति दैनिक शुल्क अलग-अलग दैनिक न्यायालयों के लिए निर्धारित किया है.
अत्याचार से राहत :
गैर अनुसूचित जनजाति द्वारा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार करने की स्थिति में उनको आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है.
छात्रावास :
स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले एसटी विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. विद्यार्थियों को उपस्कर, बर्तन व खेल – कूद की सामग्री भी प्रदान की जाती है.
साइकिल वितरण :
सरकारी विद्यालयों के कक्षा आठ में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को निशुल्क साइकिल दिया जाता है.
मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना :
आदिम जनजाति परिवारों को प्रत्येक माह 35 किलो मुफ्त अनाज उनके घर तक जाकर उपलब्ध कराया जाता है.
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