विश्व आदिवासी दिवस : उजड़ते जा रहे हैं राज्य के जंगल- दयामनी बारला

देश आजादी के 75वें वर्ष का अमृत महोत्सव भी मना रहा है. हम अंग्रेजों की गुलामी से देश की मुक्ति के लिए बलिदानी संघर्ष के नायकों को याद कर रहे हैं. 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है. हजारों आदिवासी-मूलवासी वीर नायकों ने जल, जंगल व जमीन पर अंग्रेज शोषकों के खिलाफ शहादती संघर्ष का नेतृत्व किया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2022 4:58 PM
an image

World Indigenous Day 2022: 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है. आदिवासी दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं. क्योंकि, देश के सर्वोच्च पद (राष्ट्रपति) पर आदिवासी समुदाय से द्रौपदी मुर्मू आसीन हैं. जो देश की पांचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची की विशेष संरक्षक (कस्डोडियन) भी हैं. देश आजादी के 75वें वर्ष का अमृत महोत्सव भी मना रहा है. हम अंग्रेजों की गुलामी से देश की मुक्ति के लिए बलिदानी संघर्ष के नायकों को याद कर रहे हैं. ऐसे समय में आदिवासी समुदाय के उन नायकों को भी विशेष रूप में याद करना होगा, जिन्होंने खुंखार जंगली जानवरों से लड़ कर जंगल-जमीन को आबाद किया है.

तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो, वीर बुधू भगत, तेलंगा खड़िया, सिंदराय मानकी, बिंदराय मानकी, बिसु मानकी, रूदु मुंडा, कोंता मुंडा, वीर बिरसा मुंडा, लाल विश्वनाथ ठाकुर सहित हजारों आदिवासी-मूलवासी वीर नायकों ने जल, जंगल व जमीन पर अंग्रेज शोषकों द्वारा कब्जा करने के खिलाफ शहादती संघर्ष का नेतृत्व किया था. इनके ही खून से सीएनटी-एसपीटी एक्ट लिखा गया है.

तमाम शहीदों को उलगुलानी जोहार और श्रद्धांजलि. झारखंड अलग राज्य की नींव डालने वाले जननायकों- कॉमरेड एके राय, बिनोद बिहारी महतो, मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, ठेबले उरांव, एनइ होरो, सामुएल होरो सहित सभी आदिवासी-मूलवासी समुदाय का संघर्षशील इतिहास गढ़ने वालों को हूल जोहार. इनके संघर्ष और बलिदान की देन है सीएनटी एक्ट 1908, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खुंटकटी अधिकार, विलकिनसन रूल, 1932 का खतियान, विलेज नोट, पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून.

Also Read: World Tribal Day 2022: संताल परगना की पहाड़ियों में कभी रहती थी 26 जनजातियां, 11 हो गयी खत्म, 10 पर संकट

जिस आदिवासी स्वशासन को पुर्नस्थापित करने का संघर्ष शुरू किया गया था, वह संघर्ष आज भी जारी है. आजादी के बाद विकास के नाम पर 20 लाख एकड़ से ज्यादा जंगल, जमीन उद्योग, खदान, कल कारखानों और शहरों को बसाने के लिए अधिग्रहण किया गया है.

Exit mobile version