रांची : झारखंड राज्य में प्राकृतिक रूप से पेयजल की उपलब्धता सतही स्रोत के रूप में ज्यादा नहीं है. राज्य में मात्र छह से सात नदियों में ही 12 माह पानी उपलब्ध रहता है. शेष नदियां बरसाती हैं. भूगर्भीय संरचना पथरीला होने के कारण इनमें पानी की उपलब्धता मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले कम होती है. नल से जल पहुंचाने में राष्ट्रीय औसत की तुलना में झारखंड की प्रगति काफी धीमी है.
इस अभियान में राष्ट्रीय औसत 47.83 प्रतिशत है. वहीं झारखंड का औसत 19.33 प्रतिशत ही है. झारखंड राष्ट्रीय औसत से 28.50 प्रतिशत पीछे चल रहा है यानी झारखंड के 80 फीसदी घरों तक नल से जल नहीं पहुंचा है.
जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक राज्य के 59.23 लाख घरों में नल के माध्यम से जल पहुंचाना है. कार्ययोजना के अनुसार 34.64 लाख परिवारों को वृहद् जलापूर्ति योजना और शेष 24.59 लाख परिवारों को लघु जलापूर्ति योजना के माध्यम से पानी पहुंचाना है. 20 मार्च 2022 तक राज्य के सिर्फ 11.44 लाख घरों तक ही पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा सका है.
वर्तमान में 542 बड़ी एवं 21,443 छोटी जलापूर्ति योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वर्तमान में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी 4.22 लाख नकलूप पर निर्भर है. राज्य में चिह्नित 82 फ्लोराइड एवं एक आर्सेनिक प्रभावित टोलों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सतही स्रोत आधारित योजना एवं इलेक्ट्रो डिफ्लोराइडेशन यूनिट के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम हो रहा है.
जल जीवन मिशन के तहत रामगढ़ के लगभग 48 प्रतिशत घरों में शुद्ध पेयजल पहुंच गया है. यहां के 1.45 लाख घरों में से 69 हजार घरों में पाइपलाइन से पानी पहुंचाया जा चुका है. राज्य में सबसे खराब स्थिति पाकुड़ जिला की है. यहां के सिर्फ 4.69 प्रतिशत घरों में ही पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जा सका है.
पाकुड़ के 2.18 लाख घरों में सिर्फ 10 हजार घरों तक ही शुद्ध पेयजल पहुंच पाया है. वहीं पलामू के 9.92 प्रतिशत, गढ़वा के 10.24 प्रतिशत, लातेहार के 10.68 प्रतिशत और जामताड़ा के 11. 67 प्रतिशत घरों तक पाइप लाइन से पानी पहुंच चुका है. राजधानी रांची के 33. 85 प्रतिशत घरों में पानी पहुंचाया गया है.
पेयजल स्वच्छता विभाग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 12 लाख घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृत योजनाओं को शामिल कर 12,169 जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण किया जायेगा.
इसके लिए राज्यांश के रूप में 1530.10 करोड़ व केंद्रांश के रूप में 1579.50 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा 2022-23 में 133 बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं और 38 हजार लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं शुरू की जायेंगी. वहीं विधायकों की अनुशंसा पर प्रति पंचायत पांच नलकूपों का निर्माण कार्य किया जायेगा. इसके लिए बजट में 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
वर्ष 2024 तक 59.23 लाख घरों तक पाइपलाइन से पहुंचाना है पानी, अब तक सिर्फ 11. 44 लाख घरों तक पहुंचा
राज्य में सबसे खराब स्थिति पाकुड़ जिला की, राजधानी रांची के 33. 85% घरों तक पानी पहुंचाया गया
वर्तमान में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की 80% से अधिक आबादी 4.22 लाख नकलूप पर निर्भर
झारखंड राष्ट्रीय औसत से 28.50 प्रतिशत पीछे चल रहा है
नल से जल पहुंचाने में राष्ट्रीय औसत 47.83 प्रतिशत है, झारखंड का औसत 19.33 प्रतिशत ही है
रांची. सिकिदिरी हाइडल पावर प्लांट एक सप्ताह चलकर फिर से बंद हो गया है. वजह है कि रुक्का डैम का जलस्तर निर्धारित मानक से कम हो गया है. सिकिदिरी हाइडल से उत्पादन 19 मार्च को बंद कर दिया गया है. बताया गया कि रुक्का डैम का जलस्तर 2020 फीट पर आ गया है. सिकिदिरी हाइडल चलाने के लिए मार्च का न्यूनतम जल स्तर 2040 फीट निर्धारित था.
इससे कम होने पर हाइडल को बंद कर दिया जाता है. जल संसाधन विभाग द्वारा मार्च में 2040 जल स्तर आने पर 15 मार्च को हाइडल चलाने की अनुमति दी गयी थी. इसके बाद से पीक आवर में सिकिदिरी हाइडल को चलाया गया और इससे प्रतिदिन 110 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन हो रहा था. इस दौरान जल स्तर कम हो गया.
मार्च के निर्धारित 2040 फीट से कम होने पर हाइडल को बंद करने का आदेश दिया गया. 19 मार्च को जल स्तर 2020 फीट ही रह गया. इसके बाद हाइडल से उत्पादन बंद कर दिया गया है. बताया गया कि अब बारिश के मौसम में ही डैम का जल स्तर बढ़ने पर हाइडल को दोबारा चालू किया जा सकेगा.
Posted By: Sameer Oraon