अनिता कुमारी
इम्युनिटी सिस्टम के बिगड़ने से जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ती है. हाथ, घुटने और एड़ी में लगातार दर्द गठिया (रुमेटाइड अर्थराइटिस) की समस्या तैयार कर रही है. अमूमन लोग सामान्य दर्द के लक्षण की अनदेखी कर देते हैं. जबकि, जोड़ों में दर्द के कारण सूजन की समस्या बढ़ती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह समस्या आम हो चली है. स्ट्रेस और वातावरण में हो रहे परिवर्तन के कारण भी यह बीमारी होने लगी है. डब्लूएचओ ने भी बीमारी से बचने के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव लाने की सलाह दी है. ऐसे में योग के सामान्य आसनों के नियमित अभ्यास से गठिया जैसी बीमारी से कुछ हद तक राहत मिल सकती है.
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ताड़ासन : जांघ, घुटना, एड़ी, पैर व हाथ की उंगलियां मजबूत होगी. पैर में होनेवाले जोड़ के दर्द से राहत मिलेगी. खाली पेट में नियमित पांच से 10 बार अभ्यास करें.
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सेतुबंधासन : इसके नियमित अभ्यास से पीठ, गर्दन, पैर और हाथ की हड्डियां मजबूत होंगी. आसन से हाथ और पैर के जोड़ों पर दबाव पड़ेगा. इससे खून का प्रवाह ठीक होगा. जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी. गठिया मरीज इस आसन को सूक्ष्म व्यायाम के बाद करें.
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तितली आसन : अर्ध्य और पूर्ण तितली आसन गठिया के मरीजों के लिए लाभदायक है. इसे सूक्ष्म व्यायाम के तुरंत बाद करें. दंडासन की मुद्रा में बैठें. दोनों पैर को मोड़कर पेट के सामने लाकर आपस में जोड़ना होगा. दोनों हाथों से पैर पकड़ कर सांस लेते हुए पैरों को हिलायें.
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गोमुखासन : गठिया मरीजों के लिए लाभदायक है. नियमित अभ्यास से कूल्हा और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियां मजबूत होंगी. नियमित आसन से पीठ और बांह की मांसपेशियां में खिंचाव आयेगा. इसे जोड़ों के दर्द में राहत मिलेगी.
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अर्धमत्स्येंद्रासन : इस आसन को करने से कंधे और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव होगा. गठिया के मरीज अगर नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करें, तो कंधे के जोड़ का दर्द ठीक होगा. रीढ़ की हड्डी के दर्द में भी राहत मिलेगी.
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अनुलोम विलोग और भ्रामरी : गठिया के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम और भ्रामरी दोनों का अभ्यास भी कारगर है. इसके नियमित अभ्यास से गठिया के मरीजों को राहत मिलेगी. प्रतिदिन पांच से 10 मिनट तक अभ्यास करने से गठिया और जोड़ों के दर्द की समस्या नहीं होगी.
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सूक्ष्म व्यायाम : योग में अंगों के संचालन को सूक्ष्म व्यायाम कहा गया है. इसे बैठकर, लेटकर और खड़े होकर करें. दंडासन में बैठकर पंजे और एड़ी को सामान्य अवस्था से आगे-पीछे लाने व खींचने का प्रयास करें. हाथों की मुट्ठी को घुमाकर, उठक-बैठक कर घुटने का व्यायाम कर, गर्दन काे बायें से दायें और दायें से बायें की ओर घुमाने पर आराम मिलेगा.
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(योग एक्सपर्ट, आर्किड मेडिकल सेंटर)