विदेश में योग गुरु बनकर नाम कमा रहे झारखंड के युवा, प्रशिक्षण देने के लिए हर साल जाते हैं इतने लोग
झारखंड से विदेश जाकर योग गुरु बनने का क्रेज पिछले तीन-चार साल में बढ़ा है. कोरोना के पहले जहां झारखंड से 250 से अधिक युवा विदेश जाकर योग गुरु बने थे
आज कल लोग स्वस्थ रहने के लिए योग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना रहे हैं. ऐसे में रोजगार के रूप में भी योग एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है. अपने देश में जहां योग प्रशिक्षक बनकर युवा अपना करियर बना रहे हैं, वहीं विदेशों में भी सेवा दे रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में झारखंड के सैकड़ों योग प्रशिक्षकों ने विदेशों में प्रशिक्षण देना शुरू किया है. हाल के दिनों में इन युवाओं की संख्या बढ़ी है. झारखंड से हर साल 10 से 12 युवा विदेश जा रहे हैं और योग गुरु बन रहे हैं. वर्तमान में केवल झारखंड से ही 400 से अधिक योग प्रशिक्षक विदेश में सेवा दे रहे हैं.
तीन-चार साल में बढ़ा है विदेश जाने का क्रेज
झारखंड से विदेश जाकर योग गुरु बनने का क्रेज पिछले तीन-चार साल में बढ़ा है. कोरोना के पहले जहां झारखंड से 250 से अधिक युवा विदेश जाकर योग गुरु बने थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 400 से अधिक हो गयी है. इनमें प्रीति कुमारी, प्रवीण कर्मकार, जितेंद्र कुमार, निलेश कर्मकार, दीपक, सुजीत और सलोनी सहित अन्य शामिल हैं.
वहीं रांची से भी 100 से अधिक युवा योग गुरु बनकर प्रशिक्षण दे रहे हैं. रांची के गौरव शर्मा पिछले 10 वर्षों से वियतनाम में हैं और वहां अलग-अलग कंपनियों में योग का प्रशिक्षण देते भी हैं. साथ ही योग प्रशिक्षकों को भेजते भी हैं. अब गौरव वहां एक योग कंपनी का संचालन कर रहे हैं. रांची की प्रीति थाइलैंड में योग का प्रशिक्षण देती हैं और बताती हैं कि यहां योग को लेकर कितना क्रेज है.
छह जगहों पर सबसे अधिक योग का क्रेज
विदेश में भी कुछ जगह ऐसे हैं, जहां सबसे अधिक योग का क्रेज है. इनमें वियतनाम, बैंकॉक, थाइलैंड, मलयेशिया, कुवैत और चीन शामिल हैं. यहां सबसे अधिक भारत के योग गुरुओं का क्रेज है. योग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव संजय कुमार झा ने बताया कि विदेशों में योग प्रशिक्षकों को बेहतर करियर और पैसे का विकल्प मिलता है. इसलिए यहां के योग प्रशिक्षक विदेशों का रुख करते हैं. वियतनाम में सबसे अधिक योग प्रशिक्षक झारखंड से हैं.