‘LGBTQ समुदाय को महज लैंगिकता के धरातल पर न तौलें मीडिया, इनके हित में उठनी चाहिए पत्रकारों की कलम की आवाज’

नई दिल्ली के साकेत इलाके के होटल हिल्टन में मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए लिखो एलजीबीटीक्यू प्लस नाॅर्दन रीजन समिट का आयोजन हुआ, जिसमें झारखंड-बिहार के पत्रकारों ने भाग लिया. समिट में कहा गया कि LGBTQ समुदाय को महज लैंगिता के तराजू में तौलकर लिखा जाता है जो सही नहीं है.

By Lata Rani | August 4, 2023 2:39 PM

‘वो कहते हैं तुम ऐसे हो तुम वैसे हो

मैं कहती हूं कि तुम ऐसे वैसे जैसे हो

तुम बस तुम ही हो

तुम तुम ही रहो’

लिखो एलजीबीटीक्यू प्लस नाॅर्दन रीजन समिट के आयोजन में उपरोक्त पंक्तियां जमशेदपुर की वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने सुनाया. इन पंक्तियों को तालियों की गड़गड़ाहट मिली क्योंकि ये पंक्तियां यह सीख देती है कि बतौर पत्रकार हम किसी को जज न करें, बल्कि जो जैसा है उसकी आवाज बनें. हालांकि, पत्रकार भी एक इंसान होता है और समाज की सोच का असर होता है लेकिन कोशिश यही होनी चाहिए कि निजी या सामाजिक सोच हावी न हो. आज एलजीबीटी +समुदाय के बारे में काफी बातें हो रही हैं, इनमें से थर्ड जेंडर को सुप्रीम कोर्ट ने 2014 से मान्यता भी दे दी, लेकिन महज कानूनी अधिकार काफी नहीं बल्कि समाज में स्वीकार्यता भी अहम है. इसमें मीडिया का अहम रोल होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमसफर ट्रस्ट और नेटरीच ने नई दिल्ली के होटल हिल्टन गार्डेन इन में मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए नाॅर्दन रीजन समिट का आयोजन किया.

कार्यक्रम में ट्रस्ट से जुड़े प्रतिनिधियों, एलजीबीटीक्यूप्लस के लिए आवाज उठाने वाले विवेक, मनोज परदेसी, याज्ञवेन्द्र, निखिल और अन्य ने कहा कि मीडिया जितनी संवेदनशीलता के साथ इस +समुदाय के बारे में लेखन प्रस्तुत करेगा, उससे न सिर्फ कई प्रकार की भ्रांतियां दूर होंगी बल्कि एक इंसान और भारतीय होने के नाते एलजीबीटी +समुदाय सहज जिंदगी जी सकेंगे. मीडिया की कलम में वह ताकत है कि वह लोगों के माइंड सेट बदल सकती है. उन्होंने +समुदाय के हित में पत्रकारों की कलम की आवाज को दूर तलक पहुंचाने की बात कही.

मीडिया एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय से संबंधित खबरों को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर लिखता है

कार्यक्रम में वक्ताओं ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि कैसे ज्यादातर मीडिया एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय से संबंधित खबरों को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर लिखता है, जैसे–गे पार्टनर की हत्या, समलैंगिक हुए लूटपाट का शिकार, गे फिल्म मेकर ने बनायी फिल्म…..वक्ताओं ने कहा कि इस समुदाय के लोगों को महज लैंगिता के तराजू में तौलकर लिखा जाता है जो कतई सही नहीं लगता. गे फिल्ममेकर भी किसी दूसरे फिल्म मेकर की तरह या उससे ज्यादा प्रतिभावान हो सकता है. उस शीर्षक में ‘गे’ का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं था फिर भी मीडिया इसे इस्तेमाल करता ही है.

झारखंड से 10 पत्रकारों और बिहार से एक पत्रकार ने लिया भाग

इस समिट में उत्तर और पूर्वी क्षेत्र के राज्यों कश्मीर, त्रिपुरा, बिहार, यूपी, झारखंड और अन्य इलाकों से पत्रकारों ने भाग लिया.

झारखंड से इन पत्रकारों ने भाग लिया- अन्नी अमृता, अंतरा बोस, पूजा भारती, विनय कुमार मुर्मू, सचिन गोस्वामी, चंदन चौधरी, विनय कुमार, मनीष झा और सुभाष शेखर, जूही ने शिरकत किया. वरिष्ठ पत्रकार सह यू ट्यूब चैनल टीवीसी की संस्थापक अंतरा बोस ने कार्यक्रम में बताया कि वे बतौर गूगल मीडिया लिटरेसी ट्रेनर किस प्रकार ट्रांसजेंडर समुदाय को जागरुक कर रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता और झारखंड/बिहार के अन्य पत्रकारों ने भी एलजीबीटीप्लस समुदाय के हित से जुड़े मुद्दों पर अपनी सलाह देने के साथ-साथ इस समुदाय से जुड़ी मीडिया न्यूज कवरेज को संक्षिप्त में साझा किया.

वक्ताओं ने खुलकर एचआईवी और एड्स पर बातचीत की

कार्यक्रम का संचालन हमसफर ट्रस्ट की रीजनल प्रोग्राम मैनेजर आकृति कपूर ने किया. कार्यक्रम में अतिथियों ने एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लीगल अपडेट साझा किए. वक्ताओं ने खुलकर एचआईवी और एड्स पर बातचीत की. हालांकि, वक्ताओं ने कहा कि एलजीबीटी क्यू प्लस समुदाय के बारे में यह मिथ है कि वह एचआईवी का करियर है. दरअसल, इस समुदाय में शिक्षा और अवसर के अभाव की वजह से कई लोग आजीविका के लिए ऐसा रास्ता पकड़ लेते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है. कई जब एचआईवी के शिकार हो जाते हैं तब वे अपने अधिकारों के बारे में भी नहीं जानते. ऐसे में मीडिया में जागरुकता भरे लेखन लोगों को जागरूक कर सकते हैं.

Also Read: झारखंड : यूनिसेफ का जागरूकता अभियान, जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान कराना पहले टीके का करता काम

Next Article

Exit mobile version