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Year 2020 Memories : ऐसा रहा हमारे लिए साल 2020, इन लोगों के योगदानों को किया जाएगा याद

हमारी पुलिस ने सड़क से लेकर वार्ड तक संभाला मोर्चा

By Prabhat Khabar News Desk | December 30, 2020 8:54 AM

रांची : साल 2020 अब अंतिम पड़ाव पर है. चंद घंटों में अटके इस साल को सब भूलना तो चाहते हैं, लेकिन भूल नहीं पायेंगे. कोरोना त्रासदी की कड़वी यादें ऐसा होने नहीं देंगी. हालांकि, खौफ, दर्द और गम के बीच कोरोना ने हमें मानवता का पाठ भी पढ़ाया. व्यवस्था को नये तरीके से परिभाषित किया.

जिंदगी जीने की स्थापित मान्यताएं बदल दी. ‘प्रभात खबर’ पिछले वर्ष की कड़वी यादों से कुछ ऐसी सुकून से भरी और सकारात्मक यादों को जोड़ रहा है, जो आनेवाले दिनाें में भी समाज के अंदर नयी चुनौतियों से लड़ने का जज्बा भरेगा. इसी कड़ी में पुलिस की छवि भी है.

हथियार से लैस, डंडा भांजनेवाली पुलिस का भी मानवीय चेहरा कोरोना काल के दौरान सामने आया. कोरोना ने पूरे नौ महीने तक प्रो-पीपुल पुलिसिंग का सबक दिया, जिसे हमारी पुलिस ने बखूबी निभाया. कोरोना काल में पुलिसकर्मियों ने निर्भीक होकर ड्यूटी की और लोगों का दिल भी जीता. गरीबों को खाना खिलाना, मरीजों को दवा पहुंचाना, जरूरतमंदों को राशन पहुंचाना, पुलिस ने यह सब किया.

इन सब के बीच जब पुलिसकर्मी ही कोरोना संक्रमित होने लगे, तो विभाग ने न सिर्फ उनके इलाज के लिए बेहद कम समय में एक अलग अस्पताल खोला, बल्कि पुलिसकर्मियों को ही प्रशिक्षण देकर संक्रमितों का इलाज किया गया. यानी हमारी पुलिस ने एक साथ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी.

जब बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित होने लगे, तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर पुलिस अधिकारियों ने धुर्वा विस्थापित भवन को कोविड अस्पताल में बदल दिया गया. अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी रांची रेंज के आइजी नवीन कुमार सिंह और रांची के ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग को मिली थी.

ट्रैफिक एसपी ने सीएसआर के तहत 20 लाख रुपये का इंतजाम कर उपकरण सहित अन्य सामान की खरीद की. लाइट के लिए पुलिस लाइन से जेनरेटर व अन्य सामान मंगाये गये. बाद में उन्होंने पुलिस मुख्यालय से करीब 25 लाख रुपये की व्यवस्था कर इलाज के अन्य संसाधन जुटाये. पुलिसकर्मियों के इलाज में सहूलियत के लिए ट्रैफिक एसपी ने 10 पुलिसकर्मियों को मेडिका से 10 दिनों का क्रैश कोर्स कराया.

ये पुलिसकर्मी संक्रमित पुलिसकर्मियों की देखभाल करते थे. किसी तरह की परेशानी पर वे डॉक्टर से वीडियो कॉलिंग पर बात कर मार्गदर्शन लेते थे. वहीं, दूसरी ओर नर्सिंग स्टाफ के तौर पर तीन पुलिसकर्मी रोजाना संक्रमित पुलिसकर्मियों की हेल्थ रिपोर्ट तैयार करते थे. मरीजों के इलाज पर निगरानी रखने और जरूरी संसाधन जुटाने के लिए एक कंट्रोल रूम भी तैयार किया गया था. इस तरह डंडा और हथियार संभालने वाले पुलिसकर्मी खुद से इलाज में सहयोग कर 762 पुलिसकर्मियों को ठीक किया.

विस्थापित भवन धुर्वा स्थित कोविड अस्पताल में इलाज करानेवालों का ब्योरा
महीना भर्ती            डिस्चार्ज                    रेफर

जुलाई 153 01 04

अगस्त 480 479 10

सितंबर 129 43 06

अक्तूबर 20 37 00

नवंबर 01 02 01

कुल 783 762 21

दृढ़ इच्छाशक्ति से कुछ भी काम संभव है. पुलिस ने सिर्फ अपना काम किया है. संक्रमित पुलिसकर्मियों के इलाज में सहयोग के लिए चुनिंदा पुलिसकर्मियों को मेडिका से कोर्स कराया गया. पुलिसकर्मियों को बेहतर चिकित्सा और खाने की सुविधा उपलब्ध करायी गयी, जिससे वे जल्द स्वस्थ हुए.

– अजीत पीटर डुंगडुंग, ट्रैफिक एसपी, रांची

कोरोना से मिलकर लड़े हम

762 पुलिसकर्मी हुए स्वस्थ इन सभी का इलाज मेडिकली प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की टीम ने खुद ही किया

मेडिकल टीम में शामिल पुलिसकर्मी : महिला आरक्षी जूली देवी, शिल्पा कुमारी, नूतन कच्छप, सुषमा कुमारी, अंजू उरांव, गौतम कुमार, सत्येंद्र कुमार यादव, संदीप टोप्पो, जितेंद्र कुमार, शुकर तिग्गा.

नर्सिंग स्टाफ : मंजू देवी, सुशील चौबे और धर्मवीर कुमार.

कंट्रोल रूम में तैनात पुलिसकर्मी : संदीप कुमार सिंह, रवींद्र कुमार, प्रमोद डुंगडुंग और अजय कुमार और कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल कुमार सिंह.

Posted By : Sameer Oraon

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