Year Ender 2022: साल 2022 खत्म होने को है. अच्छी बुरी यादों के साथ यह साल भी गुजर जायेगा. इस साल झारखंड में कई ऐसे लोगों रहे, जिन्होंने अपने बेहतरीन काम से झारखंड का नाम रौशन किया है. झारखंड की नहीं बल्कि देश में भी अपनी जगह बनाई है. हम बात कर रहे हैं झारखंड के 6 ऐसे शख्सियतों की, जो देश के प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार(2019, 2020,2021) के लिये चुना गया है. इस साल विभिन्न कला-विधाओं से जुड़े देशभर के 128 लोगों व संस्थाओं का चयन अकादमी पुरस्कार के लिये किया गया है, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जायेगा.
इन हस्तियों का पुरस्कार के लिये चयन
झारखंड से चुनी गयी शख्सियतों में स्वतंत्र रंगकर्मी अजय मलकानी, रायकेला शैली के छऊ नृत्य सह कलाकार ब्रजेंद्र कुमार पटनायक, ट्राइबल फोक व म्यूजिक के लिये नायक टोली हटिया के महावीर नायक को अमृत अवॉर्ड, संथाली म्यूजिक के लिए जादूगोड़ा पूर्वी सिंहभूम के दुर्गाप्रसाद मुर्मू, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार-2020 के लिए सिमडेगा के जगदीश बड़ाईक, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार-2021 के लिए बोकारो के बिनोद महतो का नाम शामिल है.
रंगकर्मी अजय मलकानी
मारवाड़ी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर व रांची विवि के परफॉर्मिंग एंड एंफाइन आर्ट विभाग के निदेशक पद से सेवानिवृत्त रंगकर्मी अजय मलकानी फिलहाल एनएसडी एकेडमिक काउंसिल के सदस्य हैं. प्रोफेसर मलकानी को थियेटर में निर्देशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है. वह नाट्य संस्था युवा रंगमंच के संस्थापक हैं. देश भर मेंमंचित 50 सेभी ज्यादा नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं. राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से 1986 में निर्देशन में डिप्लोमा करने वाले मलकानी संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सैलरी एंडएं प्रोडक्शन ग्रांट कमेटी के सदस्य, झारखंड सरकार की फिल्म नीति के अंतर्गत तकनीकी सलाहकार परिषद के सदस्य व गोवा में आयोजित 48वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2017 के फिल्म रिव्यू के सदस्य भी रहे हैं. अजय मलकानी पिछले 42 सालों से झारखंड में रंगमंच को जीवित रखने का काम कर रहें हैं. कइ नाटकों के माध्यम से कला को जीवंत करने के बाद अजय मलकानी को यह सम्मान प्राप्त हुआ है.
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छऊ नृत्य गुरु ब्रजेंद्र कुमार पटनायक
सरायकेला शैली के छऊ नृत्य गुरु सह कलाकार ब्रजेंद्र कुमार पटनायक (65) को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड-2019 से सम्मानित किया जायेगा. 22 सितंबर 1958 को जन्मे ब्रजेंद्र कुमार ने 10 वर्ष की उम्र में छऊ नृत्य का पहला पाठ अपनेपिता छऊ कलाकार चितरंजन पटनायक से पढा. पद्मश्री सुधेंद्र नारायण सिंहदेव, पद्मश्री केदार नाथ साहू व गुरुगु लिंगराज आचार्य से छऊ नृत्य की शिक्षा प्राप्त की. किशोरावस्था में कई नृत्यों में पारंगत हो गये थे. वर्तमान में पटनायक सरायकेला स्थित अपने घर पर बच्चों को छऊ नृत्य की शिक्षा देते हैं.
दुर्गाप्रसाद मुर्मू का साहित्य में भी योगदान
संगीत नाटक अकादमी की ओर से झारखंड की ‘मायं माटी भाषा आऊर संस्कृति’ के तहत जिन कलाकारों को पुरस्कार दिया गया, उनमें संथाली संगीत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2020 और 2021 के लिए दुर्गाप्रसाद मुर्मू को चयनित किया गया. बानाम वाद्ययंत्र वादक दुर्गाप्रसाद मुर्मूनाट्यकर्मी, लेखक, गीतकार, संगीतकार और गायक भी हैं. तीन मार्च 1953 को जन्मेदुर्गा प्रसाद नेदसवीं तक की पढ़ाई की है. पंडित रघुनाथ मुर्मू के सहायक रहे दुर्गाप्रसाद मुर्मू का साहित्य में भी योगदान है. उन्होंनेचिकि चितर, एलखा, जोड़ तिरियो गुला गु छी बानाम, पाराब पुनाई आर बोंगा बुरू, मदाड़िया और जोनोम खोन गोज गुरगु आदि किताब लिखी है. दुर्गाको भुवनेश्वर मेंगुरुगु गोमके रघुनाथ मुर्मूफेलोशिप अवार्ड-2004, राउरकेला मेंसंताली लोक संगीत पुरस्कार-2005 और कोलकाता में बेस्ट संताली आर्टिस्ट-2009 का अवार्ड मिले.