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साल 2024 में झारखंड के इन माननीयों की चमकी तकदीर, लेकिन इन लोगों की रूठ गयी किस्मत

Year Ender 2024: वर्ष 2024 में झारखंड के कई नेताओं की किस्मत चमक गयी तो कई लोगों के लिए यह साल किसी बुरे सपने से कम नहीं था. इसमें चंपाई सोरेन, हेमंत सोरेन समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं.

रांची : झारखंड के कई राजनेताओं लिए साल 2024 खट्टी-मीठी रही. लेकिन कई राजनेता ऐसे भी रहे जिनकी किस्मत इस साल रूठ गयी. साल के शुरूआत से सियासी सरगर्मी तेज हो गयी थी. 31 जनवरी को सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हो गयी और सत्ता परिवर्तन हो गया. चंपाई सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन हुआ. बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसी के दुरूपयोग का आरोप लगा. इसका असर राजनेताओं के साथ आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ी. आदिवासी समाज ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का पुरजोर विरोध किया और आनन फानन में झारखंड बंद का ऐलान कर दिया. हालांकि, बाद में ये बंद वापस भी ले लिया गया. हेमंत की गिरफ्तारी का असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला और बीजेपी सभी आदिवासी रिजर्व सीटें हार गयी. इस सियासी उठापठक के बीच आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे यह साल किन लोगों के लिए अच्छा रहा तो किन लोगों के लिए खराब.

हेमंत सोरेन

इस लिस्ट में सबसे पहला नाम सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का है. उनके लिए यह साल खट्टा मीठा रहा. 31 जनवरी की रात को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. 5 माह जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उन्हें बेल दे दी कि उनके खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है. इसके बाद हेमंत सोरेन ने दूसरी बाद सीएम पद की शपथ ली. जब विधानसभा चुनाव की बारी आयी तो उन्होंने इंडिया गठबंधन को एकजुट रखा और पूरे आक्रमकता के साथ चुनाव लड़ा. इसका फायदा भी मिला. इंडिया गठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की.

कल्पना सोरेन

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी ने कल्पना सोरेन ने 4 मार्च को 2024 को सक्रिय राजनीति में कदम रखा. गिरिडीह के झंडा मैदान में उन्होंने पहली बार सभा को संबोधित करते हुए भावुक हो गयी. इसके तुरंत बाद जब लोकसभा चुनाव की बारी आयी तो पूरे इंडिया गठबंधन के साथ झामुमो का जोरशोर से प्रचार किया. इसका फायदा ये हुआ कि इंडिया गठबंधन ने बीजेपी से 3 सीटें छीन ली. खुद कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची.

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जयराम महतो

साल 2024 में झारखंड के एक और युवा नेता जयराम महतो का आगमन हुआ. यूं तो उन्होंने अपना लोहा लोकसभा चुनाव के दौरान मनवा ही लिया था. लेकिन न उन्हें सफलता मिली न ही उसकी पार्टी को. विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने भले ही एक सीट जीती लेकिन उन्होंने बीजेपी-आजसू के गठबंधन को तकरीबन 1 दर्जन से अधिक सीटों पर नुकसान पहुंचाया.

सीता सोरेन

हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा. उन्होंने झामुमो पर अपमानित करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी की सदस्यता ले ली. हालांकि उनका यह फैसला आत्मघाती साबित हुआ और वह लोकसभा के साथ साथ विधानसभा चुनाव भी हार गयी.

गीता कोड़ा

लोकसभा चुनाव से पहले ही गीता कोड़ा ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ चली गयी. जबकि पार्टी ने उन्हें प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी. हालांकि बीजेपी में आने के बाद से ही उनकी किस्मत रूठ गयी और लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी हार गयी. फिलहाल बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता है.

चंपाई सोरेन

चंपाई सोरेन के लिए भी यह साल खट्टा मीठा भरा रहा. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन 3 जुलाई को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. उन्होंने पार्टी पर अपमानित करने का आरोप लगाया. हालांकि विधानसभा चुनाव में उन्हें सरायकेला सीट से जीत मिली लेकिन भाजपा को कोल्हान में कोई खास फायदा नहीं दिला सके.

आलमगीर आलम

झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के लिए यह साल बुरे सपने की तरह रहा. ईडी ने उन्हें टेंडर घोटाला मामले में 16 मई 2024 को गिरफ्तार कर लिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी निसात आलम को टिकट दिया और बड़े अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रही.

समीर उरांव

भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने सुदर्शन भगत का टिकट काटकर लोहरदगा से चुनाव लड़ाया. लेकिन वह 1 लाख से अधिक मतों से चुनाव हार गये. विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने बिशुनपुर से टिकट दिया लेकिन झामुमो के चमरा लिंडा ने उन्हें 32 हजार से अधिक मतों से हरा दिया.

सुदेश महतो

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के लिए साल 2024 अच्छा नहीं रहा. क्योंकि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और 10 में से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल कर सकी. जबकि लोकसभा चुनाव में उसकी पार्टी के कैंडिडेट चन्द्रप्रकाश चौधरी की जीत का मार्जिन सिर्फ 80 हजार था.

बाबूलाल मरांडी

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए 2024 किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा. लोकसभा और विधानसभा, दोनों चुनावों में पार्टी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा.

अमर बाउरी

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी चंदनकियारी सीट से तीसरे स्थान पर खिसक गए. दो बार चुनाव जीतने के बाद 2024 में यह हार उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित हुई.

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