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झारखंड समेत देश में तेजी से बढ़ रही है मधुमेह की समस्या, योग के इन आसनों से आपको मिलेगा फायदा

मधुमेह बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर समय किचन या फिर ऑफिस के चेयर पर गुजारने से हो रहा है. प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाएं मधुमेह से पीड़ित हो रही हैं. इसका कारण है हार्मोनल डिस्बैलेंस.

झारखंड में पूरे देश में मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या तेजी से बढ़ रही है. पहले जहां शहरों के लोग इस समस्या की चपेट की जल्दी आज जाते थे तो अब गांव के लोग भी तेजी से इसके शिकार होते जा रहे हैं. इसका बड़ा कारण लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर है. डायबिटीज से शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग : हार्ट और किडनी प्रभावित होते हैं. इससे पैंक्रियाज से इंसुलिन का निर्माण होना बंद या प्रक्रिया धीमी हो जाती है. महिलाएं भी अब इस बीमारी का शिकार बन रही हैं.

इसका मुख्य कारण अधिकतर समय किचन या फिर ऑफिस के चेयर पर गुजारने से हो रहा है. प्रेग्नेंसी के दौरान भी कई महिलाएं मधुमेह से पीड़ित हो रही हैं. इसका कारण है हार्मोनल डिस्बैलेंस. कोरोना महामारी के बाद देशभर में मधुमेह से ग्रसित लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है. ऐसे में योग ही एक ऐसी विधा है, जिससे बिना किसी दवा के मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है. नियमित योगाभ्यास से पैंक्रियाज एक्टिव होता है और इंसुलिन का निर्माण होने लगता है.

एक्टिव होता है पैंक्रियाज और होने लगता है इंसुलिन का निर्माण

1. सूर्य नमस्कार : इस योग से संपूर्ण शरीर को लाभ पहुंचता है. इस आसन के बाद कोई अन्य आसन की जरूरत नहीं होती. सूर्य नमस्कार करने से कई बीमारियों से निजात मिलता है. शरीर की मांसपेशियां और धमनी सक्रिय होती है.

2. कटिचक्रासन : मधुमेह की समस्या में यह आसन लाभ पहुंचाता है. रोजाना आसान करने से पेट की समस्या दूर होती है. कब्ज और गैस जैसी समस्या से राहत मिलती है. सांस संबंधी रोग में यह आसन लाभप्रद है.

3. मेरुबक्रासन : इस आसन में शरीर को टेढ़ा करना पड़ता है. आसन में रीढ़ टेढ़ी व मुड़ी हुई अवस्था में करनी होगी. इस आसन से पैंक्रियाज (अग्नाश्य) को एक्टिव किया जा सकता है. पैंक्रियाज एक्टिव होने से शरीर में इंसुलिन का निर्माण होने लगता है, जो मधुमेह को नियंत्रित रखने में कारगर है.

4. धनुरासन : इसे धनुष आसन (बो पाेज) भी कहते हैं. इस आसन में शरीर धनुष की तरह हो जाता है. इससे पेट पर दबाव पड़ता है. इससे पैंक्रियाज एक्टिव होता है और इंसुलिन का उत्सर्जन होता है.

5. भुजंगासन : इसे कोबरा पोज भी कहा जाता है. योगासन के दौरान शरीर सांप की आकृति में बन जाता है. इससे गले के साथ-साथ पेट की स्ट्रेचिंग होगी. नियमित रूप से योगासन करने से पैंक्रियाज एक्टिव होकर इंसुलिन उत्सर्जन को बढ़ावा देता है.

6. मर्कटासन : इस आसन से शरीर का वजन घटता है. सबसे ज्यादा लाभ जांघ और पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मिलता है.

7. शीर्षासन : इस आसन को सिर के बल करना होता है, जिसे हेडस्टैंड पोज भी कहा जाता है. इससे रक्त का प्रवाह बढ़ेगा और पैंक्रियाज तेजी से काम करेगा. इससे खून में शर्करा की स्थिति सुधरने लगती है.

8. मंडूकासन : इसे मेंढक आसन भी कहा जाता है. योगासन के क्रम में शरीर मेंढक की आकृति का हो जाता है. इससे पेट पर खिंचाव पड़ता है, जो पैंक्रियाज को एक्टिव करने में मददगार है.

9. अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन : इस आसन में शरीर को आधी मछली के समान करना होगा. इसमें रीढ़ की हड्डी, पैर समेत पूरे शरीर का व्यायाम हो सकेगा. आसन से पेट पर दबाव पड़ने से पैंक्रियाज जागृत होता है.

10. कपालभाति : इस आसन से शरीर का अतिरिक्त वजन कम होता है. शरीर संतुलित होता है. आसन का सबसे ज्यादा असर पेट पर पड़ता है. मांसपेशिया और धमनियां एक्टिव होने पैक्रियाज तेजी से काम करता है.

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