रांची, राजीव पांडेय : कोरोना के बाद युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा है. चिंता की बात यह है कि बीपी और शुगर नहीं होने के बावजूद युवाओं को हार्ट अटैक हो रहा है. थ्रोम्बोटिक ऑक्लूजन (एक धमनी में खून का थक्का) वाला हार्ट अटैक देखने को मिल रहा है. रिम्स सहित निजी अस्पतालों में ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं. कुछ दिनों पहले रांची के 28 और 34 साल के दो युवाओं का हार्ट अटैक हुआ. दोनों बीपी व शुगर के मरीज भी नहीं थे. हालांकि, इन्हें कोरोना हुआ था.
वहीं, राजधानी की 40 साल की एक महिला को भी थ्रोम्बोटिक ऑक्लूजन से हार्ट अटैक हुआ. उक्त महिला को भी बीपी व शुगर नहीं था. रिम्स के डाॅ प्रशांत कुमार ने बताया कि ज्यादा उम्र वालों में हार्ट अटैक होने पर कई आर्टरी प्रभावित होती है, लेकिन युवाओं में एक ही आर्टरी में ब्लॉकेज हो रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के बाद यह समस्या झारखंड में ही नहीं, पूरे देश में बढ़ी है. चिंता की बात यह है कि हार्ट अटैक के साथ-साथ ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी बढ़े हैं. एक युवा को हार्ट अटैक के बाद एंजियोप्लास्टी कर स्टेंट डाला गया, लेकिन कुछ दिन बाद उसे ब्रेन स्ट्रोक हो गया. हालांकि, समय पर इलाज होने से उसकी जान बच गयी.
युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले के बीच डब्ल्यूएचओ ने जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी है. खाने में प्रतिदिन पांच तरह की सब्जी और फल को शामिल करने को कहा गया है. इससे प्रर्याप्त मात्रा में न्यूट्रेंट्स शरीर को मिलेंगे. वहीं, फास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक और अल्कोहल का सेवन नहीं करने की सलाह दी गयी है.
कोरोना के बाद हाथ और पैर की नसों में भी ब्लॉकेज की समस्या बढ़ी है. हाथ और पैर की जांच कराने पर इसकी जानकारी मिल रही है. इसको भी पोस्ट कोविड की समस्या से जोड़ कर देखा जा रहा है. युवाओं में थ्रोम्बोटिक ऑक्लूजन से हार्ट अटैक ज्यादा हो रहा है. अस्पताल में तीन दिनों में 28 से 35 साल के तीन से चार युवाओं की एंजियोप्लास्टी की गयी है. कोरोना के बाद ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं. इससे बचने के लिए सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तेजी से चलें और नियमित योगाभ्यास करें.
डॉ राजेश झा, कार्डियोलॉजिस्ट, राज हॉस्पिटल