crime news : जॉब दिलाने के नाम पर युवकों से विदेशों में कराया जाता था साइबर फ्रॉड, दो एजेंट गिरफ्तार
रांची, कोडरमा व धनबाद के युवकों से कंबोडिया, थाइलैंड व लाओस में स्कैम सेंटर पर जबरन कराया जाता था साइबर फ्रॉड
वरीय संवाददाता, रांची़ विदेश में डाटा इंट्री का जॉब देने का झांसा देकर बेरोजगार युवकाें को अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड के लिए ट्रैफिकिंग कराने वाले दो एजेंट को सीआइडी की रांची स्थित साइबर क्राइम थाना ने गिरफ्तार किया है. इनमें यमुना कुमार राणा को कोडरमा के जयनगर से और वसीम खान को गिरिडीह के इसरी बाजार से गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से आपत्तिजनक साक्ष्य के साथ मोबाइल नंबर, लेन-देन से संबंधित पासबुक, एक लैपटॉप, एक पेन ड्राइव, विदेश भेजे गये लोगों का बायोडाटा, पासपोर्ट व वीजा का विवरण बरामद किया गया है. दोनों एजेंट कंबोडिया में भारतीय व चीनी नागरिकाें के साथ मिलकर काम कर रहे थे. यह गिरोह इन्वेस्टमेंट फ्रॉड व पार्ट टाइम जॉब फ्रॉड के माध्यम से लोगों का शोषण करने के लिए कुख्यात है. इस गिरोह ने रांची के दो, धनबाद के तीन और कोडरमा के एक युवक को गलत तरीके से विदेश भेजा था. एक अन्य युवक का भी सत्यापन किया जा रहा है. जहां पर इन युवकों का अमानवीय तरीके से शोषण कर डरा-धमका के उनसे कंबोडिया और लाओस के स्कैम सेंटर्स में जबरन साइबर फ्राॅड करने के लिए मजबूर किया गया. पीड़ितों की ओर से रांची के साइबर थाना में पांच अगस्त को प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद सीआइडी की टीम ने आरोपियों के वित्तीय ट्रांजेक्शन व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर नजर रखते हुए विस्तृत जांच की. पासपोर्ट कार्यालय से भी मामले में जानकारी ली. सीआइडी के अनुसार गिरफ्तार दोनों एजेंट पंजीकृत नहीं हैं. यह अवैध तरीके से लोगों को कम वेतन वाली नौकरियों के लिए विदेश भेजने का काम करते थे. यह गिरोह डाटा डाटा इंट्री की नौकरी के नाम पर लोगों को कंबोडिया, थाइलैंड व लाओस भेजता था. भारत से तस्करी कर लाये गये व्यक्तियों को लंबे समय तक कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. उनके पासपोर्ट जब्त कर लिये जाते थे और स्कैम सेंटर छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था. कैसे बेरोजगारों को फंसाता था यह गिरोह : कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड में डाटा एंट्री जॉब की पेशकश करने वाले अपंजीकृत एजेंटों द्वारा पीड़ितों से संपर्क किया जाता है. फिर उनसे वीजा और टिकट के लिए पैसे जमा करने को कहा जाता है. पीड़ितों को वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा जाता था. कंबोडिया आने पर उन्हें स्कैम सेंटर के संचालन में प्रशिक्षित किया जाता था. उन्हें व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाने और व्हाट्सऐप चैट के माध्यम से आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर के साथ संभावित पीड़ितों से संपर्क करने का निर्देश दिया जाता था. संपर्क किये गये पीड़ितों को फर्जी निवेश एप्लिकेशन और वेबसाइटों के लिंक भेजे जाते थे. फिर पंजीकरण करने के लिए कहा जाता है और विभिन्न खातों में पैसे जमा करने के लिए राजी किया जाता था.
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