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यूपी में जीका वायरस को बढ़ता देख झारखंड में भी बरती जा रही सावधानियां, 150 सैंपल भेजे गए पुणे

उत्तर प्रदेश में जीका वायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है. जिसे देखते हुए झारखंड में भी सतर्कता बरती जा रही है. इसके लिए डेंगू और चिकनगुनिया की निगेटिव जांच रिपोर्ट पर अशंका जताकर 150 सैंपल को पुणे भेज दिया है.

Zika Virus In Jharkhand रांची : उत्तर प्रदेश में जीका वायरस के संक्रमण को देखते हुए झारखंड में भी सर्तकता बरती जा रही है. डेंगू और चिकनगुनिया की निगेटिव जांच रिपोर्ट को जीका की आशंका मानकर जांच करायी जा रही है. आइसीएमआर के निर्देश पर सैंपल को जांच के लिए एनआइवी पुणे भेजा गया है. जिलों से संग्रहित 150 सैंपल को जीका की जांच के लिए रिम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने पुणे भेजा है. हालांकि एनआइवी पुणे से इसकी रिपोर्ट अभी नहीं आयी है, इसके बावजूद जीका संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है.

विशेषज्ञों का कहना है कि जीका की निगेटिव रिपोर्ट आने पर ही राहत मिलेगी. रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने बताया है कि रांची, हजारीबाग, गढ़वा, पलामू, रामगढ़ आदि से डेंगू और चिकनगुनिया के सैंपल की जांच की गयी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आयी है. निगेटिव रिपोर्ट को जीका की आशंका को देखते हुए जांच के सैंपल भेजा गया है. चूंकि जीका वायरस भी उसी मच्छर से फैलता है. जीका का वायरस 400 मीटर के परिक्षेत्र में असर डालता है, इसलिए पूरे इलाके में दवा का छिड़काव किया जाता है. ऐसे में इसे लेकर सतर्कता बरती जाती है.

भुवनेश्वर भेजे गये कोरोना पॉजिटिव के सैंपल :

इधर, कोरोना के वैरिएंट की जांच के लिए अक्तूबर और नवंबर तक की पॉजिटिव रिपोर्ट को एनआइवी भुवनेश्वर में जांच के लिए भेजा गया है. हालांकि माइक्रोबायोलॉजी विभाग का कहना है कि यह रूटीन प्रक्रिया के तहत भेजा गया है. आइसीएमआर के निर्देश पर वह हर महीना कोरोना के नये वैरिएंट की जांच के लिए सैंपल भुवनेश्वर भेजता है. हालांकि सैंपल अभी तीन से चार दिन पहले ही भेजा गया है, इसलिए इसकी रिपोर्ट नहीं आयी है.

आइसीएमआर से गाइडलाइन आने के बाद रिम्स से 150 सैंपल एनआइवी पुणे भेजे गये हैं, जिसकी रिपोर्ट नहीं आयी है. चिकनगुनिया और डेंगू की रिपोर्ट निगेटिव आने पर जीका वायरस का खतरा बना रहता है, इसलिए जांच कराने का निर्देश है. कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट को वैरियेंट की जांच के सिलसिले मेें भुवनेश्वर भेजा गया है, लेकिन यह रूटीन प्रक्रिया है.

डॉ मनोज कुमार, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी

Posted By : Sameer Oraon

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