दिल्ली कमाने गया अख्तर बन गया वैरागी

सन्यास . आठ साल पहले गया था, ट्रेन में योगियों से मिलकर हुआ प्रेरित, देवीपाटल में ली दीक्षा आठ साल पहले दिल्ली गया कमाने और अब घर लौटा वैरागी बनकर. योगियों के सानिध्य में रहकर देवीपाटल में ली है दीक्षा. मां से भिक्षा लेकर लौट जायेगा वापस. घर वाले उसके लौटने से खुश. बोरियो : […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2017 3:44 AM

सन्यास . आठ साल पहले गया था, ट्रेन में योगियों से मिलकर हुआ प्रेरित, देवीपाटल में ली दीक्षा

आठ साल पहले दिल्ली गया कमाने और अब घर लौटा वैरागी बनकर. योगियों के सानिध्य में रहकर देवीपाटल में ली है दीक्षा. मां से भिक्षा लेकर लौट जायेगा वापस. घर वाले उसके लौटने से खुश.
बोरियो : बचपन से घर की मुफलिसी से तंग वर्ष 2006 में 12 साल की उम्र में दिल्ली गया अख्तर वैरागी बनकर घर लौटा है. उसे देखकर घरवाले हैरान हैं. बोरियो के हरिजन टोला के समीप मुसलिम बस्ती में सोमवार को अख्तर के पहुंचने के बाद उसे देखने वालों का तांता लग गया. अख्तर ने अपना नाम बदल कर त्री रख लिया है. अभी उनकी उम्र 32 वर्ष है. गोरखपुर के गोरखनाथ की देवीपाटल शाखा से उसने दीक्षा ली है. त्री का कहना है कि वो मां से भिक्षा लेकर वापस देवीपाटल चला जायेगा.
त्री ने कहा फिलहाल वो दोनों धर्मों को मानता है. हिंदू धर्म के ग्रंथों को भी पढ़ता है और मुसलिम धर्म के ग्रंथों को भी. अख्तर उर्फ त्री ने कहा कि जब वह घर से निकला था तब उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी. दिल्ली रेलवे स्टेशन पर वह अपने सहयात्रियों से बिछड़ गया. परिजनों ने काफी ढूंढा लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला. रविवार रात जब अख्तर बैरागी बनकर लौटा तो सभी हक्के बक्के रह गये.
कैसे बैरागी बन गया अख्तर उर्फ त्री
अख्तर ने योगी बनने की पूरी कहानी प्रभात खबर को सुनायी. उन्होंने कहा आठ साल पहले घर में बहुत आर्थिक तंगी थी. दो वक्त का भोजन जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. कभी मजदूरी नहीं मिलती तो कभी उचित मजदूरी राशि. जिस कारण पिता को परिवार चलाना काफी मुश्किल था. वो कमाने की इच्छा जाहिर कर अपने कुछ सहपाठियों के साथ घर में बिना बोले दिल्ली चल गया. इसी क्रम में दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपने सहपाठियों से बिछुड कर एक ट्रेन के उस डिब्बे पर जा बैठा. जहां दर्जनों योगी सफर कर रहे थे. सफर के दौरान उक्त योगियों के कुछ बातों से प्रेरित होकर उनके साथ गोरखपुर चला गया. जिसके बाद में बैरागी बन गया. रविवार रात वह अपने घर पहुंचा. कहते हैं वो अपनी मां से भिक्षा लेकर वापस देवीपाटल चला जायेगा. इसके बाद उसे सन्यासी की उपाधि मिल जायेगी. उसने कहा वह मुसलिम धर्म को भी मानता है. स्थायी रूप से नहीं है इसलिए रमजान में रोजा नहीं रखा. नमाज भी नहीं पढ़ पाता.
रविवार रात घर लौटा तो सभी हक्के-बक्के रह गये
देवीपाटल में जाकर ली दीक्षा
मां से भिक्षा लेकर वापस लौट जायेगा देवीपाटल
मुसलिम धर्म को भी मानता है त्री
स्थायी रूप से नहीं है इसलिए नहीं रखा रोजा
हिंदू धर्म के सभी ग्रंथों को पढ़ता है अख्तर
खुश हूं, नहीं जाने दूंगी वापस : मां
बोरियो . अरसे बाद बेटे की घर लौटने से काफी खुश हूं. मां तो मां होती है इसलिये दोबारा बेटा को वापस गोरखपुर नहीं भेजना चाहती. उनके पिता जो कुछ भी कमाई करेगा उसी से उसके खाने पीने की सारी व्यवस्था करूंगा. लेकिन दोबारा जाने नहीं दूंगी.
क्या कहते हैं त्री उर्फ अख्तर
मां को छोड़ कर जाने की इच्छा नहीं हो रही लेकिन योगी का एक जगह बसेरा नहीं होता. कुछ दिन अपने परिवार के साथ रहने का इच्छा है.

Next Article

Exit mobile version