अगर डॉक्टर होती तो बच जाती मेरी पत्नी

साहिबगंज : काश डॉक्टर ने देखा होता यह मलाल उस महिला के पति के जुबान से निकला जिस की मौत बुधवार को सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी थी. मिली जानकारी के अनुसार उधवा प्रखंड के दक्षिण पलाशगाछी के बानुटोला निवासी मिठू शेख की पत्नी गर्भवती थी और उसका प्रसव के लिये उधवा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2017 5:43 AM

साहिबगंज : काश डॉक्टर ने देखा होता यह मलाल उस महिला के पति के जुबान से निकला जिस की मौत बुधवार को सदर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी थी. मिली जानकारी के अनुसार उधवा प्रखंड के दक्षिण पलाशगाछी के बानुटोला निवासी मिठू शेख की पत्नी गर्भवती थी और उसका प्रसव के लिये उधवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां महिला एक पुत्र को जन्म दिया. परंतु अधिक रक्तश्राव होने के कारण उसे आनन फानन में साहिबगंज सदर अस्पताल रेफर किया गया.

उक्त प्रसूता को बुधवार यानि 6 नवंबर की सुबह 8:30 बजे सदर अस्पताल में इंट्री कराया गया. दुर्भाग्य की बात यह है कि जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी वह उपस्थित नहीं थीं. परंतु मौके पर उपस्थित ए ग्रेड नर्स निलिमा टोप्पो ने डॉ किरण माला को फोन कर पूरी स्थिति से अवगत करायी. डॉ किरण माला ने अस्पताल न लाकर फोन पर ही दवाइयां लिखवा दी. ए ग्रेड एनएन ने डॉक्टर के निर्देश पर सभी दवाइयां व सूई लगा दी. परंतु प्रसूता की स्थिति धीरे धीरे बिगड़ते चला गया और महज अस्पताल एक से डेढ़ घंटे तक ही जिंदा रह पाई. वहीं मौके पर उपस्थित प्रसूता के पति मिठू शेख ने डॉक्टर के नहीं आने पर काफी शोर शराबा किया परंतु किसी ने एक ना सुनी. इस संबंध में प्रसूता के पति मिठू शेख ने बताया कि जब डॉक्टर से फोन पर ही दवा लिखवाना था तो यह काम उधवा में भी हो सकता था आखिर क्यों मैं अपनी पत्नी को सदर अस्पताल इलाज के लिये लाया, कहा काश डॉक्टर मेरे पत्नी को देख लेता तो जान बचायी जा सकती थी.

कहती है डॉ किरण माला
प्रसूता की हालत की जानकारी मुझे फोन पर मिली. मैं सोची कि पहले फोन से ही आवश्यक दवा बता देती हूं, फिर मरीज को जाकर देख लूंगी. मैं मरीज को देखने अस्पताल की ओर निकली, तभी मेरे बाद की ड्यूटी करनेवाली डॉक्टर काे देख मैं लौट आयी. इसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं मालूम.
क्या कहते हैं उपाधीक्षक
खासकर महिला डॉक्टरों की डियूटी 24 घंटा भी होती है. जिसे ऑन कॉल के रूप में लिया जाता है. परंतु डॉक्टर अपनी तैनात रहने की जरूरत है. सूचना पाते ही डॉक्टर को आना चाहिए या फिर जांच किया जायेगा.
डॉ सुरेश प्रसाद, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

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