बरहरवा : प्रखंड क्षेत्र के बरहरवा पश्चिमी पंचायत के कहार पारा गांव वार्ड संख्या 9 में विगत एक माह से गांव में फैली डेंगू बीमारी से लोग भयभीत हैं. रोजाना डेंगू के नये-नये मरीज मिल रहे हैं. इसके बावजूद भी स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई समुचित व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक नहीं की गयी है.
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अब तक पांच दर्जन लोग आ चुके हैं डेंगू की चपेट में
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बरहरवा : प्रखंड क्षेत्र के बरहरवा पश्चिमी पंचायत के कहार पारा गांव वार्ड संख्या 9 में विगत एक माह से गांव में फैली डेंगू बीमारी से लोग भयभीत हैं. रोजाना डेंगू के नये-नये मरीज मिल रहे हैं. इसके बावजूद भी स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई समुचित व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की ओर से […]

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हालांकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहरवा के चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर कौशल किशोर सिंह का कहना है कि उक्त गांव में विभाग की ओर से कई व्यक्तियों का ब्लड सैंपल जांच को लेकर रांची व धनबाद पीएमसीएच भेजा गया था. जांच रिपोर्ट आ गया है. उनमें से कुछ लोगों को डेंगू है. उक्त रोगियों के इलाज को लेकर व्यवस्था करायी जायेगी. वहीं डॉक्टर के के सिंह का कहना है
कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहरवा में यदि रोगी पहुंचती हैं तो उनके प्लेटलेट्स की व्यवस्था को लेकर जिला मुख्यालय भेजने की तैयारी की जायेगी ब्लड की जरूरत होने पर जिला मुख्यालय स्थित ब्लड बैंक से ब्लड उपलब्ध करायी जायेगी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पश्चिम पंचायत के कहार पारा गांव के अलावे बरहरवा पूर्वी व पश्चिमी पंचायत के सभी वार्डों में टीमों द्वारा मच्छर नाशक दवा कीटनाशक का
छिड़काव कराया गया. कई ग्रामीणों ने पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद, जंगीपुर, बहरामपुर, कोलकाता, वर्धमान के अलावे भागलपुर मायागंज अस्पताल से कई रोगी को इलाज करवा कर वापस आये हैं. इस संबंध में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अभी स्थिति सामान्य है परंतु डेंगू का इलाज चल रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि दुख इस बात की होती है कि डेंगू का इलाज स्थानीय स्तर पर ना होना यह बहुत दुखद बात है.
यदि पश्चिम बंगाल में इसका इलाज ना होता तो आज उक्त गांव में अनेकों की जाने भी जा सकती थी. इसके बावजूद भी विभाग अब तक ब्लड सैंपल लेकर ही उसका रिपोर्ट हम लोगों को नहीं दिया है. यह बहुत दुखद व विभाग की लापरवाही है.
पिछले वर्ष भी डेंगू से हुई थी एक की मौत
पिछले वर्ष डेंगू की चपेट में आ जाने से उधवा चौक के समीप पतौड़ा पंचायत के एक मदरसा शिक्षक नुरुल हक की मौत हो गयी थी. बताया जाता है कि इलाज के अभाव के कारण उनकी मृत्यु हुई थी. परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार डेंगू की चपेट में आ जाने के बाद शिक्षक नूरुल हक का इलाज मालदा एवं भागलपुर में कराया गया था इलाज संपन्न होने के बाद भागलपुर से जब वे घर लौटे थे इसी क्रम में फिर से उन्हें डेंगू हो गया था तत्कालीक रुप से इलाज की व्यवस्था ना रहने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी.
कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहरवा के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर के के सिंह का कहना है कि उक्त गांव में मलेरिया कालाजार व डेंगू के रोकथाम को लेकर बरहरवा पूर्वी और पश्चिमी पंचायत के सभी वार्डों के सभी घरों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करवाया गया है. रोगियों को प्लेटलेट्स व ब्लड की जरूरत है. वह अस्पताल में आकर संपर्क करें. उनकी व्यवस्था करवायी जायेगी विभाग पूरी तरह सतर्क है.
गंदगी है मुख्य कारण
उक्त गांव में सिर्फ अब तक कीटनाशक दवा का छिड़काव किया गया है परंतु उस गांव की सबसे बड़ी समस्या है गांव के मध्य ही मछुआ पोखर उक्त पोखर में वर्षों से जमे गंदे पानी वह बड़े-बड़े जलकुंभी के कारण डेंगू की बीमारी फैली हुई है. इसके बावजूद भी विभाग उक्त गांव के मछुआ तालाब को साफ नहीं करवाया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ कीटनाशक दवा छिड़काव करने से ही उनके गांव की डेंगू की समस्या समाप्त नहीं हो जायेगी. जबतक गांव के मध्य तालाबों व जोला की सफाई नहीं होती है. दिन प्रतिदिन यह बीमारी बढ़ता चला जायेगा. विभाग को गंभीर होकर जल्द गांव के बीच मछुआ पोखर की सफाई जल्दी
करनी चाहिए.
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