अमड़ापाड़ा : सर्पदंश से दो आदिवासी छात्राओं की मौत मामले में शुक्रवार को पदाधिकारियों की टीम ने फतेहपुर बाबा तिलका मांझी आदिवासी आवासीय विद्यालय की जांच की. टीम में सीओ सफी आलम, बीइइओ सुरेश राम व बीसीओ अभय कुमार शामिल थे. टीम में शामिल पदाधिकारियों ने विद्यालय में मौजूद छात्रों व स्कूल के प्रधान शिक्षक सह संचालक मुकेश कुमार से पूछताछ की. बताया कि बाबा तिलक मांझी आदिवासी आवासीय विद्यालय फतेहपुर स्थित जर्जर व पुराने प्रोजेक्ट विद्यालय भवन में संचालित है. घटना मंगलवार देर रात की है. संचालक ने बताया कि छात्राएं जमीन पर सोयीं थी.
मिली जानकारी के अनुसार सांप के काटने के बाद स्कूली शिक्षकों ने झाड़-फूंक का सहारा लेना चाहा, लेकिन उक्त जगह पर ओझा के न हो पाने के कारण आनन-फानन में छात्राओं को कोलखीपड़ा लाया गया. झाड़-फूंक के बाद छात्राओं की स्थिति नहीं सुधरने पर सोनाजोड़ी अस्पताल लाया गया. जहां मौके पर मौजूद डॉक्टरों ने छात्राओं को मृत घोषित कर दिया. बीसीओ अभय कुमार ने स्कूल जाकर जांच की. बीसीओ ने कहा कि गलत ढंग से स्कूल का संचालन हो रहा है, समुचित व्यवस्था नहीं है. इलाज में देरी के कारण बच्चों की जान गयी है. इसके लिए स्कूल प्रबंधन सीधे तौर पर दोषी है. सीओ ने बताया कि टीम के द्वारा जांच की जा रही है, शाम तक रिपोर्ट दी जायेगी. वरीय अधिकारी को सारी वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए प्राप्त निर्देश के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी. सर्पदंश से दो छात्रों की मौत लापरवाही के कारण हुई या अंधविश्वास के कारण यह जांच का विषय है. बच्चों की जिम्मेवारी उठाने वाले उनके संरक्षण की दिशा में लापरवाह हैं. प्रथमदृष्टया विद्यालय के शिक्षकों ने झाड़-फूंक का सहारा लिया. समय पर हॉस्पिटल प्रबंधन को खबर होने पर जान बचाया जा सकता था. हॉस्पिटल में सारे व्यवस्था उपलब्ध है. झाड़ फूंक व अंधविश्वास का सहारा लेना शिक्षण संस्थान की सारी कलई खोलता है.