बरहेट/साहिबगंज : भोगनाडीह की जमीन सिदो कान्हू की यादों को आत्मसात करने के बजाय राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन करने की उपयुक्त जगह कही जा सकती है. 30 जून सोमवार को जो नजारा भोगनाडीह में दिन भर देखने को मिला वह किसी राजनीतिक स्टंट से भिन्न नहीं था. बड़े नेता अपनी उपलब्धि गिना कर जनता का दिल जीतने की कोशिश कर रहे थे तो छोटे नेता बड़े नेता की नजदीकी दिखा कर उसे भंजाने की फिराक में थे. हो भी क्यों नहीं! झारखंड के दिग्गज नेताओं का जो जुटान हुआ था. विशेष कर भाजपा व झामुमो के सभी दिग्गज पहुंचे थे.
दोनों पार्टी के विशेष मंच पर जो भी नेता दिखे उनके चेहरे पर शक्ति प्रदर्शन करने की होड़ साफ देखी जा सकती थी. जिसमें झारखंड की दोनों विशेष पार्टी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. हालांकि राजद, झाविमो व आजसू की ओर से कोई विशेष तामझाम नहीं देखा गया. लेकिन उपस्थिति को बरकरार रखा. कारण पूछने पर अपने को फिजूल खर्ची ना बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया.
पहली बार नहीं
हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह को राजनीतिक अड्डा बनाना कोई नयी बात नहीं है. हर बार कुछ ऐसा ही नजारा यहां ऐसे मौकों पर देखने को मिलता है. जिसकी सरकार होती है वे जिला मुख्यालय के परिसंपत्तियों का वितरण भी भोगनाडीह में ही कराते हैं. शायद शक्ति प्रदर्शन को हूल दिवस से जोड़ने की मंशा होती हो.