मानवता शर्मसार : हाथों में छोटी बच्‍ची का शव लेकर भटकता रहा पिता, नहीं मिला वाहन

प्रतिनिधि, साहिबगंज नियम-कानून मानवता की हिफाजत के लिए बनाये जाते हैं. मगर कभी-कभी ये मानवता को शर्मसार कर देता है. ऐसा ही कुछ मामला साहिबगंज में देखने को मिला. दरअसल, राजमहल के पांचू टोला में घर की दीवार गिरने से एक बालिका गंभीर रूप से घायल हो गयी थी. उसे इलाज के लिए राजमहल अनुमंडलीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2019 10:47 PM

प्रतिनिधि, साहिबगंज

नियम-कानून मानवता की हिफाजत के लिए बनाये जाते हैं. मगर कभी-कभी ये मानवता को शर्मसार कर देता है. ऐसा ही कुछ मामला साहिबगंज में देखने को मिला. दरअसल, राजमहल के पांचू टोला में घर की दीवार गिरने से एक बालिका गंभीर रूप से घायल हो गयी थी. उसे इलाज के लिए राजमहल अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां से चिकित्सकों ने बच्ची को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया.

परिजन बालिका को 108 वाहन से सदर अस्पताल ला रहे थे. परिजन का कहना है कि तालझारी के करीब ही बालिका की मौत हो जाती है. जिसकी जानकारी वाहन में बैठी सहिया वाहन कर्मी को देती है. मगर कर्मियों ने बच्ची के परिजन को ऑक्सीजन चलने की बात बताते हुए सदर अस्पताल पहुंचाया. जहां चिकित्सक तरुण कुमार ने बालिका को मृत घोषित कर दिया.

उसके बाद बच्ची की माता-पिता रोने लगे और शव को वापस राजमहल ले जाने का अनुरोध करने लगे. मगर नियम कानून का दुहाई देते हुए शव को वाहन से उतार दिया गया. सहिया अजमीरा बीबी ने बताया कि वाहन कर्मी ने मानवता की दुहाई देने के बावजूद उसकी एक ना सुनी. वैसे भी वाहन को वापस खाली राजमहल ही जाना था. मगर बच्ची के शव को नहीं ले गया. अंत में बालिका के पिता शव को लेकर वाहन के लिये भटकते रहे. काफी देर बाद शव को टोटो से राजमहल ले गये.

धूल फांक रहा मोक्ष यात्रा वाहन

साहिबगंज में शव को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाला मोक्ष यात्रा वाहन धूल फांक रहा है. राजमहल विधायक अनंत कुमार ओझा के प्रयास से राज्य सरकार ने साहिबगंज जिला को दो मोक्ष वाहन आवंटित किये थे. मगर अभी तक इन वाहनों का इस्तेमाल शुरू नहीं किया गया है.

क्‍या कहते हैं डीएस

प्रभारी डीएस डॉ मोहन पासवान ने कहा कि मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है. उन्हें सूचना होती तो अपने स्तर से वाहन उपलब्ध करा कर शव को राजमहल भेजने का प्रबंध करते. उन्होंने बताया कि 108 वाहन से शव ले जाने का नियम नहीं है. लेकिन विकट परिस्थिति में मानवता के आधार पर शव ले जाया जा सकता था.

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