साहिबगंज के उपायुक्त रहे राजीव रंजन महिला चिकित्सक से बदतमीजी करने को लेकर विवाद में पड़ गये हैं. महिला चिकित्सक ने उनके खिलाफ शिकायत करते हुए मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव के अलावा महिला आयोग को भी पत्र लिखा है. यह कोई पहला मौका नहीं है, जब राजीव कुमार के खिलाफ सरकार में शिकायत की गयी हो. इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग के पूर्व सचिव एमएस भाटिया ने उनके मातहत रहे समाज कल्याण निदेशक राजीव रंजन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्मिक विभाग से कार्रवाई का आग्रह किया था.
रांची : सदर अस्पताल, साहिबगंज की महिला चिकित्सक डॉ भारती पुष्पम ने मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों व महिला आयोग को उपायुक्त साहिबगंज के अपमानजनक व्यवहार की जानकारी दी है. इन सबको भेजे अपने पत्र में डॉ पुष्पम ने 16 अक्तूबर की घटना की जानकारी देते हुए लिखा है : पूर्व में भी मैं अन्य उपायुक्तों/पुलिस अधीक्षकों से उनके परिवार का इलाज करने के क्रम में मिली हूं.
पर एेसा आचरण मैंने पहले कभी नहीं देखा. अत: विनती है कि उचित कार्रवाई कर मुझे अौर मेरे परिवार को भयमुक्त माहौल दें, ताकि मैं अपनी ड्यूटी ठीक से कर सकूं. गौरतलब है कि तत्कालीन उपायुक्त साहिबगंज, राजीव रंजन की बीमार पत्नी को देखने उनके आवास गयी डॉ भारती ने उपायुक्त द्वारा उन्हें अपमानित करने व धमकाने का आरोप लगाया है.
डॉ पुष्पम ने लिखा है कि उपायुक्त ने विलंब से पहुंचने का आरोप लगाते हुए उन्हें बदतमीज कहा तथा तुम करके बात की. अपने सिपाहियों द्वारा उन्हें धमकाया तथा महिला पुलिस बुला कर पिटवाने की बात कही. वहीं सुदूर इलाके में स्थानांतरण की धमकी दी.
पूर्व समाज कल्याण सचिव ने भी लिखा था सरकार को पत्र
राजीव रंजन मेरे कार्यकाल के सबसे बेकार अधिकारी
रांची : समाज कल्याण विभाग के पूर्व सचिव एमएस भाटिया ने तब अपने मातहत रहे समाज कल्याण निदेशक रहे राजीव रंजन (निवर्तमान उपायुक्त साहिबगंज) के बारे में मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तथा कार्मिक सचिव को पत्र लिखा था. सात नवंबर 2017 को लिखा गया यह पत्र किसी आइएएस अधिकारी के बारे में लिखा गया ऐतिहासिक पत्र है. श्री भाटिया ने खुद ही वह पत्र टाइप किया था तथा इसकी तीन हार्ड कॉपी बना कर उपरोक्त अधिकारियों की भेजा था.
इस शिकायत पत्र में श्री भाटिया ने राजीव रंजन को अपने 27 साल की तब तक की सेवा का सबसे खराब अधिकारी बताया था, जिसमें पेशेवर क्षमता, व्यक्तिगत निष्ठा, अपने सहकर्मियों के प्रति सही व्यवहार के अभाव की शिकायत थी. पत्र में लिखा था कि श्री रंजन के तहत समाज कल्याण निदेशालय व तेजस्विनी परियोजना में कार्यरत महिला कर्मियों में असुरक्षा की भावना थी.
उनमें महिला कर्मियों को व्यक्तिगत तौर पर अपने चेंबर में बुलाने से यह भावना अौर प्रबल होती थी. कुछ दिन पहले ही तेजस्विनी परियोजना में ज्वाइन करनेवाली एक महिला कर्मी ने उनसे मुलाकात कर एक गंभीर मुद्दा बताया था. यह बताते हुए वह जड़वत थी तथा उसे लग रहा था कि शिकायत का परिणाम नौकरी खोना भी हो सकता है. श्री भाटिया ने इस मामले की स्वतंत्र जांच का सुझाव दिया था. वहीं कार्मिक से इस पूरे मामले में राजीव रंजन के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था तथा अनुशंसा की थी कि बगैर व्यवहार में परिवर्तन लाये इस अधिकारी को किसी संवेदनशील काम का जिम्मा न दिया जाये.