ओके…. पहल:::: संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की पहल

– आदिवासियों के लिए आदिवासी चित्रकारी व घर बनाया- दिया जा रहा घर जैसा माहौल- छह महीने में बढ़ी है संस्थागत प्रसव की संख्या- सातों दिन 24 घंटे मिल रही सुविधा- आवश्यक दवाएं मिल रही है फ्री बोरियो . आदिवासियों को हॉस्पिटल के प्रति काफी भ्रांति होती है. जिस कारण ज्यादातर लोग घरों में ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2015 6:04 PM

– आदिवासियों के लिए आदिवासी चित्रकारी व घर बनाया- दिया जा रहा घर जैसा माहौल- छह महीने में बढ़ी है संस्थागत प्रसव की संख्या- सातों दिन 24 घंटे मिल रही सुविधा- आवश्यक दवाएं मिल रही है फ्री बोरियो . आदिवासियों को हॉस्पिटल के प्रति काफी भ्रांति होती है. जिस कारण ज्यादातर लोग घरों में ही दाई केे हाथों प्रसव करवाते हैं. ऐसे में जच्चा-बच्चा पर जान का खतरा बना रहता है. आदिवासियों के इसी मानसिकता को दूर करने के लिए उन्हें स्वास्थ्य विभाग की ओर से हॉस्पिटल में प्रसव कक्ष को एक घर जैसा माहौल देने का प्रयास किया है. जहां जाकर गर्भवती सहज महसूस कर सके. आदिवासी के घर के तर्ज पर बना प्रसव कक्ष: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कक्ष के बगल में गांव के तर्ज पर एक आवास बनाया गया है. जिसकी बाहरी दीवार पर आदिवासियों की परंपरागत चित्रकारी भी की गयी है. दीवार पर मुर्गा, मोर आदि उकेरा गया है. ताकि प्रसव के लिए आये परिजनों को लगे कि वह अपने घर में है. इस अनूठे प्रयास से संस्थागत प्रसव में वृद्धि आयी है. छह माह के आंकड़ों पर गौर करें तो कुल 412 गर्भवती का सुरक्षित प्रसव कराया.अन्य केंद्र भी कर रहे फोलो: इस कड़ी में ममता वाहन ने इस काम को आसान कर दिया. बोरियो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तर्ज पर मंडरो, मिर्जाचौकी व अन्य केंद्रों पर इस अनूठे प्रयास को अपनाया जा रहा है. वहीं संस्थागत प्रसव हेतु सातों दिन 24 घंटे सेवा व भोजन दिया जा रहा है. आवश्यक दवा जो अस्पताल में उपलब्ध नहीं है वह स्थायी दुकान से फ्री मुहैया कराने में एमओहू संस्था कारगार साहिब हो रही है. वहीं बच्चों के लिए अत्याधुनिक बेबी केयर मशीन एवं ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था से प्रसव की संख्या में वृद्धि आयी है.

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