बरहेट. रोजी-रोटी की तलाश में जिले के मजदूर पलायन का दंश झेलने को मजबूर हैं. कोरोना के बाद प्रवासी मजदूरों के घर लौटने पर यहां उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत काम तो मुहैया कराया गया. लेकिन, हर दिन काम नहीं मिलने एवं मजदूरी मिलने में देरी की समस्या रही. इस वजह से कोरोना के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूरों का जिले से पलायन हुआ है. पहले इन प्रवासी मजदूरों का रिकॉर्ड नहीं होता था. लेकिन, सरकारी महकमे के प्रयास के बाद अब प्रवासी मजदूर विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज हैं. जिले में सबसे अधिक बरहरवा प्रखंड से 4,450 प्रवासी मजदूर तो वहीं सबसे कम तालझारी प्रखंड से 580 मजदूर रजिस्टर्ड है. जिले से हर महीने काफी संख्या में मजदूर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाते हैं. सरकार की नजर में जिले में प्रवासी मजदूरों की संख्या 16,001 है, जिन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है. लेकिन, काफी संख्या में ऐसे मजदूर भी हैं, जो बिना रजिस्ट्रेशन के ही मुंबई, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्य में काम कर रहे हैं. ऐसे में एक ओर जहां श्रम विभाग में रजिस्टर्ड मजदूरों की दुर्घटना में मौत या घायल होने पर उनके आश्रितों को सरकारी सहायता मिल पाती है. वहीं, दूसरी ओर अनरजिस्टर्ड प्रवासी मजदूरों के आश्रित सरकारी सहायता दिलाने में श्रम विभाग को काफी परेशानी होती है. बताते चलें कि जिले के बरहेट, बरहरवा, मंडरो, पतना, राजमहल, बोरियो इन प्रखंडों से ग्रामीण इलाकों से मजदूर दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं. ये मजदूर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों से आते हैं, जहां खेती सफल नहीं होने के कारण उन्हें काम के लिये भटकना पड़ता है और पलायन कर जाते हैं. आये दिन उनके साथ दुर्घटना या दुर्घटना में मौत की खबर मिलती रहती है. जिनके आश्रितों के सहयोग के लिये श्रम विभाग हमेशा तत्पर रहता है. काम के दौरान मौत पर आश्रित को मिलता है दो लाख रुपये मुआवजा क्षेत्र के जो मजदूर ऑनलाइन श्रम विभाग के पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर दूसरे प्रदेश में काम करने जाते हैं. इस दौरान अगर किसी कारणवश उनकी मौत हो जाती है, तो उनके आश्रितों को श्रम विभाग की ओर से 2 लाख रुपये की मुआवजा प्रदान की जाती है. जबकि बगैर रजिस्ट्रेशन दूसरे प्रदेशों में काम के दौरान मौत पर प्रवासी मजदूर के आश्रित को विभाग द्वारा डेढ़ लाख रुपये की मुआवजा राशि प्रदान की जाती है. इसके अलावे काम के दौरान मौत होने पर अगर वहां की कंपनी प्रवासी मजदूर का शव भेजने से इंकार कर देती है, तो राज्य सरकार शव लाने के लिये आश्रित को 50 हजार रुपये की सहायता प्रदान करती है. बीते वर्ष 2023-24 में जिले में 7 मजदूरों का शव लाने में 3.5 लाख रुपये की राशि प्रदान की गयी है. वहीं, वर्ष 2024-25 में 3 शव लाने में सरकार द्वारा 1.5 लाख रुपये की राशि दी गयी है. प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार चला रहीं हैं कई योजनाएं केंद्र एवं राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों के लिये कई प्रकार की योजनाएं चला रही है. ताकि, उन्हें अपने गांव में काम मुहैया कराया जा सके. इनमें से एक है मनरेगा योजना. इसके अलावे लघु व्यवसाय को लेकर विभिन्न स्कीम के माध्यम से उन्हें बैंकों से ऋण भी दिलाया जा रहा है. उद्योग विभाग भी इसमें लोगों को प्रशिक्षण देकर अपनी भूमिका निभा रहा है. लघु कुटीर उद्योग, किराना दुकान के अलावा स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने को लेकर सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. ताकि, प्रवासी मजदूर हो या मजदूर उन्हें अपने क्षेत्र के आस-पास काम मिल सके. प्रखंडवार प्रवासी मजदूरों का निबंधन प्रखंड निबंधन बरहेट 3500 पतना 2110 बरहरवा 4450 उधवा 2064 तालझारी 580 साहिबगंज 681 राजमहल 741 मंडरो 434 बोरियो 900 बरहरवा नपं 483 राजमहल नपं 18 साहिबगंज नपं 40 क्या कहते हैं पदाधिकारी जिला श्रम अधीक्षक धीरेंद्रनाथ महतो ने कहा कि जो भी मजदूर राज्य से बाहर काम करने जाते हैं. वे रजिस्ट्रेशन कराकर ही जाये. ताकि किसी प्रकार की घटना होने से परिजनों को आर्थिक सहायता में मदद मिल सके.
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