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बरहरवा रेलखंड बना तस्करों का सेफ जोन 16 नवंबरफोटो संख्या-02 व 03-बरहरवा से जा रहा हैकैप्सन-बरामद कछुआ व गिरफ्तार आरोपीप्रतिनिधि, बरहरवामालदा-साहेबगंज रेलखंड तस्करों का सेफ जोन बन गया है. इन रेलखंडों से गुजरने वाली एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों से कभी कछुआ, कभी हथियार तो गांजा की बरामदगी से यह साबित होता है कि पुलिस के […]
बरहरवा रेलखंड बना तस्करों का सेफ जोन 16 नवंबरफोटो संख्या-02 व 03-बरहरवा से जा रहा हैकैप्सन-बरामद कछुआ व गिरफ्तार आरोपीप्रतिनिधि, बरहरवामालदा-साहेबगंज रेलखंड तस्करों का सेफ जोन बन गया है. इन रेलखंडों से गुजरने वाली एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों से कभी कछुआ, कभी हथियार तो गांजा की बरामदगी से यह साबित होता है कि पुलिस के लाख प्रयास के बावजूद भी ट्रेनों में धड़ल्ले से तस्करी होती है. ताजा मामला बरहरवा रेलवे स्टेशन पर क्रॉसिंग के लिये खड़ी आनंद बिहार-मालदा साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन में अचानक आरपीएफ की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की. जिसमें 305 कछुआ बरामद हुआ. आरोपी पूछताछ के क्रम में बताया कि एक कछुआ का वजन डेढ़ से दो किलो है. अमेठी में वह 50 रुपये प्रति पीस की दर से खरीदा है और उसे बंगलादेश के बॉर्डर पर ले जाकर डेढ़ से दो हजार रुपये किलो की दर से बेचता है. इस धंधे में शामिल अन्य लोगों का नाम अभी तक तस्कर ने पूछताछ में आरपीएफ को नहीं बताया है.प्रत्येक माह जाता है कछुआयूपी के अमेठी से बंगलादेश के बॉर्डर पर बरहरवा के रास्ते कछुआ प्रत्येक माह जाता है. जिसका खुलासा पूछताछ के क्रम में गिरफ्तार तस्कर ने आरपीएफ के समक्ष किया है. तस्कर ने आरपीएफ को बताया कि प्रत्येक माह अलग-अलग आदमी कछुए को लेकर बंगलादेश के बॉर्डर पर जाते हैं.गंगा नदी में छोड़े जायेंगे कछुएआरपीएफ इंस्पेक्टर अजय कुमार ने बताया कि बरामद 305 पीस कछुए को सीजर लिस्ट तैयार कर वन विभाग को सौंपा जायेगा. जिसके बाद आरपीएफ व वन विभाग संयुक्त रूप से सभी कछुआ को गंगा नदी में ले जाकर छोड़ दिया जायेगा.बड़े गिरोह का होगा पर्दाफाशगिरफ्तार तस्कर से पूछताछ के के बाद आरपीएफ ने बताया कि कछुओं का तस्करी करने वाले बड़े गिरोह का खुलासा करने में अभी थोड़ा समय लगेगा. इस तस्करी में कई लोग शामिल हैं. जिनकी सूची तैयार की जा रही है. जिसके बाद बड़े मामले का पर्दाफाश किया जायेगा.तीन वर्ष पूर्व भी बरामद हुआ था कछुआबरहरवा रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ की टीम ने करीब तीन वर्ष पूर्व दर्जनों कछुआ के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया था. उस वक्त आरपीएफ की टीम अगर सख्ती से मामले का अनुसंधान करती तो उक्त गिरोह में शामिल कई लोग अब तक सलाखों के पीछे होते. लेकिन आरपीएफ ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया.