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प्रवचन :: कर्मयोग पिछले संस्कारों को समाप्त करने का उपायकर्मयोग में हम देखते हैं कि हम कार्य कर रहे हैं तथा तत्क्षण हमें लगता है कि हम अपनी क्षमता भर काम कर रहे हैं. भले ही हम खिड़की दरवाजे पोंछ रहे हों अथवा भाेजन बना रहे हों. इस प्रकार कर्मयोग जीवन के साथ आंतरिक क्रियाशीलता है. चाहे हम काम करते, खेलते, खाते अथवा सोते हों, जीवन की सभी कठिनाइयां, बाधाओं जैसी दिखती है जिनका निराकरण कर्मयोग द्वारा होता है. आध्यात्मिक जीवन में कर्मयोग अपने पिछले संस्कारों को समाप्त करने का उपाय है. कर्मयोग द्वारा हम अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाते हैं तथा उन परिस्थितियों को टालते हैं जिनमें पड़कर संस्कार संचित होते हैं. साथ ही हम वैराग्य, विवेक, तितिक्षा सीखते हैं तथा सेवा के माध्यम से प्रेम और दान का सही अर्थ जानते हैं. इससे मन और शरीर शुद्ध होता है, जीवन में आध्यात्मिकता आती है और मन ध्यान के उपयुक्त बनता है.