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प्रवचन : बाहर गये बिना भी आप समूचे विश्व को जान सकते हैंसत्य के अन्वेषक : बाह्य यात्राएं अंतर्यात्रा की ही द्योतक हैं क्योंकि अंतर्यात्रा प्रत्येक के लिए हर समय संभव है. यात्राओं में इतनी अधिक वृद्धि का एक संभावित कारण यह भी है कि हमारे जीवन में अर्थ तथा उद्देश्य का अभाव है और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 7:22 PM

प्रवचन : बाहर गये बिना भी आप समूचे विश्व को जान सकते हैंसत्य के अन्वेषक : बाह्य यात्राएं अंतर्यात्रा की ही द्योतक हैं क्योंकि अंतर्यात्रा प्रत्येक के लिए हर समय संभव है. यात्राओं में इतनी अधिक वृद्धि का एक संभावित कारण यह भी है कि हमारे जीवन में अर्थ तथा उद्देश्य का अभाव है और चूंकि हम भीतर देखने की कला भूल गये हैं, इसीलिए हमने मनुष्य की सत्य, ज्ञान तथा शांति की खोज की मौलिक आकांक्षा को बाहरी यात्राओं पर आरोपित कर दिया है. लाओ त्से कहता है-बाहर गये बिना भी आप समूचे विश्व को जान सकते हैं. सच्ची यात्रा जो सैर-सपाटे से भिन्न हैं, हमें अपना पूरा परिक्षण करने का अवसर प्रदान करती है. हम जीवन के बारे में बहुत सी बातें सीख सकते हैं. भूख, सर्दी, गर्मी, अकेलापन, चतुराई तथा श्रद्धा खुले आकाश के नीचे सहते हैं. जिस तरह प्याज को छीलते जायें तो अंत में कुछ नहीं बचता उसी प्रकार यात्रा हमारी पुरानी धारणाओं व व्यवहारों में इतना परिवर्तन लाती है कि हमारे पुराने व्यक्तित्व का नामो-निशान भी शेष नहीं रह जाता.

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