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By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2015 7:11 PM

प्रभात खास:: एक करोड़ 25 लाख की लागत से दुर्गापुर में बन रहा उपकेंद्र // चार साल बाद स्वास्थ्य केंद्र का भवन अधूरा 2011 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने किया था शिलान्यासप्राक्कलन के अनुरूप कार्य करने का संवेदक कर रहा दावाभवन का प्लास्टर व मुख्य गेट समेत कई कार्य है अधूराफोटो संख्या-15 बररहवा से जा रहा है.कैप्सन-स्वास्थ्य केंद्र का अर्द्धनिर्मित भवन.प्रतिनिधि, पतना.जिले के सरकारी अस्पतालों को आधुनिक सुविधाओं से लैस कर बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का सूबे के सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है. प्रखंड क्षेत्र के दुर्गापुर गांव में एक करोड़ 25 लाख की लागत से बननेवाला स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. वर्ष 2011 में सूबे के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने इसकी नींव रखी थी. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र का कार्य चार साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका. अधूरे भवन में प्लास्टर, मुख्य गेट सहित कई सुविधाएं अधूरी है. इससे ग्रामीणों में निराशा व्याप्त है. प्रखंड क्षेत्र के दुर्गापुर गांव में एमएसडीपी के तहत एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से बनने वाला स्वास्थ्य केंद्र बन कर तैयार नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिये दूसरे शहरों पर आश्रित होना पड़ रहा है. लोगों को काफी रकम खर्च करनी पड़ रही है.अस्पताल में नहीं है एंबुलेंस की व्यवस्था……….पतना प्रखंड में कुल 16 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं. पूरे प्रखंड क्षेत्र में कुल 23 एएनएम हैं, आवश्यकता से काफी कम हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रांगा में एंबुलेंस की भी व्यवस्था नहीं है. यहां चिकित्सा पदाधिकारी के अलावा दो चिकित्सक ही पदस्थापित हैं, जो पूरे प्रखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को संभालते हैं.क्या कहते हैं ग्रामीण……….इस मामले को लेकर ग्रामीण नूर मोहम्मद, असगर अली, जगरनाथ पंडित, मो इदरीश आदि ने बताया कि अगर स्वास्थ्य केंद्र चालू हो जाता तो दुर्गापुर, मोहब्बतपुर समेत दर्जनों गांवों के लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलता. हमलोगों को छोटी-मोटी बीमारी के इलाज के लिए भी बाहर जाना पड़ता है.क्या कहते हैं अभिकर्ता……….स्वास्थ्य केंद्र के अभिकर्ता त्रिवेणी कुमार दास ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र का प्राक्कलन 2008-09 में बनाया गया था. शिलान्यास 2011 में किया गया.वर्तमान में भवन निर्माण सामग्री के सामानों के दामों में काफी वृद्धि हो गयी है.बाकी बचे कार्य के लिए नया प्राक्कलन भेजा गया है. लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है. नतीजा भवन निर्माण कार्य अधूरा है.

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