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प्रवचन:::: गहरी लययुक्त श्वास के प्रति सचेत होइये अब आप बगीचे में दौड़ तथा खेल रहे हैं. आप इतने सुखी हैं कि आनंद से खिलखिला कर हंस रहे हैं. चारों ओर वृक्षों पर सुंदर रंग-बिरंगे पक्षी चहक रहे हैं. उनकी सुरीली आवाजें ध्यानपूर्वक सुनिये. वृक्षों के बीच से शीतल, सुखद, मंद वायु बह रही है. […]
प्रवचन:::: गहरी लययुक्त श्वास के प्रति सचेत होइये अब आप बगीचे में दौड़ तथा खेल रहे हैं. आप इतने सुखी हैं कि आनंद से खिलखिला कर हंस रहे हैं. चारों ओर वृक्षों पर सुंदर रंग-बिरंगे पक्षी चहक रहे हैं. उनकी सुरीली आवाजें ध्यानपूर्वक सुनिये. वृक्षों के बीच से शीतल, सुखद, मंद वायु बह रही है. हवा से होने वाली पत्तों की खड़खड़ाहट सुनिये तथा अनुभव कीजिये कि सामने से हवा के थपेड़े आपके चेहरे पर पड़ रहे हैं. इस जीवनदायिनी शीतल व ताजी हवा में श्वास लेते जाइये. गहरी लययुक्त श्वास के प्रति सचेत होइये. श्वास-प्रश्वास के साथ शरीर की सहज स्वाभाविक गतिविधियों के प्रति सचेत होइये. अब अपने पूरे शरीर के प्रति जो ध्यान के आसन में बैठा है, सचेत होइये. स्वयं से मन ही मन पूछिये कि मेरे शरीर को कैसा लग रहा है. आसपास से आने वाली ध्वनियों के प्रति सचेत होइये. तीन बार ऊं का उच्चारण कीजिये, आसपास के वातावरण के प्रति सचेत होइये तथा आंखें खोलिए.