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भारतीय रेल और तकनीक का साथ

भारतीय रेल इस वर्ष अपनी स्थापना के 160वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. अपने लंबे सफर में रेलवे देश की रफ्तार के साथ लगातार खुद भी आगे बढ़ रहा है और अपनी शक्तिशाली भूमिका के चलते इसने राष्ट्र के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया है. आज रेलवे के बिना भारत की परिकल्पना संभव […]

भारतीय रेल इस वर्ष अपनी स्थापना के 160वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. अपने लंबे सफर में रेलवे देश की रफ्तार के साथ लगातार खुद भी आगे बढ़ रहा है और अपनी शक्तिशाली भूमिका के चलते इसने राष्ट्र के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया है. आज रेलवे के बिना भारत की परिकल्पना संभव नहीं है.

हालांकि देश की लाइफ लाइन मानी जानेवाली भारतीय रेल यात्रियों की उम्मीदों के बोझ को पूरी तरह नहीं उठा पा रही. भारतीय रेल अपनी लंबाई-चौड़ाई और मुसाफिरों की तादाद को लेकर भले ही इतराये, पर सुविधा, रफ्तार, सुरक्षा, क्षमता और तकनीक के मामले में दुनिया के बहुत से छोटे देशों से भी पीछे है.

फिर भी साल 2013 को इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा सकता है, क्योंकि इस साल रेलवे ने नयी तकनीक अपनाने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम बढ़ाये. कुछ ऐसी ही नयी तकनीकों की जानकारी दे रहा है आज का नॉलेज..

भारतीय रेल न केवल देशवासियों को सुगम यातायात मुहैया कराती है, बल्कि कश्मीर से कन्याकुमारी और लेखापानी (पूर्वी सीमा) से ओखा (गुजरात) तक देश की एकता और अखंडता कायम रखने में भी इसका अहम योगदान है.

रेल मंत्रालय का दावा है कि बीते वर्ष के दौरान यात्रियों को सुविधायुक्त यात्रा मुहैया कराने समेत अन्य तमाम प्रकार की सहुलियतों के लिए व्यापक तकनीकों के आधार पर रेलवे में उन्नयन के कार्य हुए हैं, जिससे प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर देशवासियों को फायदा हो रहा है. एक नजर डालते हैं कुछ ऐसी तकनीकों पर, जिन्हें 2013 में रेलवे में अपनाया गया है.

हाइ स्पीड रेल यात्रा

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हाइ स्पीड रेल यात्रा के दो चरण हैं. एक 300 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से, जबकि दूसरी 200 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चलनेवाली रेल. प्रथम के मामले में सात गलियारों (कॉरिडोर) का चयन किया गया है और व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो गया है. इसमें मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर शामिल है.

ट्रैफिक मूल्यांकन का ब्योरा हासिल करने के लिए संभाव्यता अध्ययन किया जा रहा है. फ्रांस रेलवे भी इस कॉरिडोर के लिए व्यावसायिक विकास अध्ययन कर रहा है. विगत दिनों मौजूदा नेटवर्क पर ही 200 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलनेवाली रेलगाड़ियों पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

हाइ स्पीड रेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया

रेलवे ने पूर्व में हाइ स्पीड रेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एचएसआरसी) की शुरुआत की थी, जो रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएलएल) की एक सहायक संस्था है. एचएसआरसी को भारत में हाइ स्पीड रेल (एचएसआर) गलियारे विकसित करने का काम सौंपा गया था, जिस पर 350 किमी प्रति घंटा की गति से रेलगाड़ियां चल सकें. मुंबई-अहमदाबाद रेल मार्ग पर हाइ स्पीड रेलवे प्रणाली के संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन के लिए भारत और जापान ने सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं.

इसमें यह प्रावधान है कि दोनों देशों की सरकारें हाइ स्पीड मार्ग के संयुक्त संभाव्यता अध्ययन तथा सह-वित्तीय की व्यवस्था करेंगी. इस अध्ययन के प्रारंभ होने के बाद इसे पूरा करने में 18 महीने का समय लगेगा. इस अध्ययन में ट्रैफिक पूर्वानुमान, एलाइनमेंट सर्वेक्षण तथा हाइ स्पीड रेल प्रौद्योगिकी व प्रणाली का तुलनात्मक अध्ययन शामिल है.

भारत और फ्रांस के बीच सहमति-पत्र

रेलवे में तकनीकी सहयोग के लिए रेल मंत्रालय, भारत सरकार तथा सोसायटी नेशनल डे केमिल्स डे फॉर फ्रांसीस (एनएनसीएफ), फ्रेंच नेशनल रेलवे के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये. इस एमओयू में सहयोग के चार क्षेत्रों को चुना गया है.

ये क्षेत्र हैं- हाइ स्पीड और सेमी हाइ स्पीड रेल, स्टेशन पुनरुद्धार तथा संचालन, वर्तमान परिचालन व आधारभूत संरचना का आधुनिकीकरण, उप-नगरीय रेलगाड़ियां. हाइ स्पीड सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत, दोनों पक्षों ने मुंबई-अहमदाबाद हाइ स्पीड रेल परियोजना के ‘संचालन तथा विकास’ व्यवहार्यता अध्ययन करने का निर्णय लिया है.

वातानुकूलित इंजन

लोकोमोटिव युक्त कंपेक्ट ड्राइवर केबिन में वातानुकूलित यूनिट चालू कर दिया गया है. इस वातानुकूलित कैब से इंजन ड्राइवर तथा सहायक इंजन ड्राइवर को अपनी ड्यूटी करते समय राहत मिलेगी. डीजल लोकोमोटिव वर्क्‍स, वाराणसी द्वारा विकसित इस वातानुकूलित कैब में ठंडा करने तथा गर्म करने की क्षमता है.

पूछताछ के लिए संपर्क बढ़ा

भारतीय रेल का सूचना प्रौद्योगिकी विंग- रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआइएस) ने आम जनता को सूचना देने के उद्देश्य से वेबसाइट के लिए एक नया संपर्क सूत्र विकसित किया है.

रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र द्वारा विकसित राष्ट्रीय रेलगाड़ी पूछताछ प्रणाली (एनटीइएस) एक ऐसी प्रणाली है, जो शीघ्र ही रेलगाड़ियों के परिचालन के बारे में सूचना इकट्ठा करके राष्ट्रव्यापी नंबर 139, संबंधित वेबसाइट, मोबाइल संपर्क सूत्र आदि जैसे विभिन्न संपर्क सूत्रों के माध्यम से सूचना प्रसारित करती है. इस नये संपर्क सूत्र तक निर्दिष्ट वेबसाइट के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.

अग्रिम आरक्षण 60 दिन

आरक्षित रेल टिकट बुक करने के लिए अग्रिम आरक्षण अवधि (एआरपी) को 60 दिन (यात्रा की तिथि को छोड़ कर) कर दिया गया है. देश में जून, 2013 तक यात्री आरक्षण प्रणाली यानी पीआरएस की कुल संख्या 3139 हो गयी है. अनारक्षित टिकट प्रणाली वेंडिंग मशीनों की कुल संख्या 1029 हो गयी है.

भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) अपने लोकप्रिय इ-टिकट पोर्टल तक पहुंच बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है. इसमें उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि एक बार में ज्यादा से ज्यादा लोगों को टिकट मुहैया हो. यात्रियों को किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा के दौरान अपने पास 10 निर्धारित पहचान प्रमाणों में से किसी एक की मूल प्रति को साथ रखना होगा.

इसके साथ ही आइआरसीटीसी ने एक जुलाई, 2013 से बिना-इंटरनेट की सुविधावाले मोबाइल फोनों के माध्यम से टिकट बुकिंग करने की एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है. इससे बिना-इंटरनेट वाले मोबाइल फोन का इस्तेमाल करनेवाले लोग एसएमएस/ आइवीआरएस/यूएसएसडी के माध्यम से रेलवे टिकट बुक कर सकते हैं. यह योजना उपभोक्ता अनुकूल, सुरक्षित और पर्यावरण हितैषी भी है, क्योंकि इसके लिए प्रिंट की जरूरत नहीं है.

कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के बीच रेल संपर्क

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भारतीय रेल ने कश्मीर घाटी को जम्मू क्षेत्र से जोड़कर देश की अखंडता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. बनिहाल (जम्मू क्षेत्र)-काजीकुंड (कश्मीर घाटी) के बीच नवनिर्मित रेल लाइन को बनिहाल सी पीर पंजाल सुरंग के जरिये (जो भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है) देश से जोड़ा गया. इस 17.7 किलोमीटर लंबे रेल संपर्क के माध्यम से राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क के साथ कश्मीर क्षेत्र की भावी रेलवे कनेक्टिविटी का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

सुरक्षा चेतावनी प्रणाली

यह एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानक है. यह यूरोपीय रेलगाड़ी नियंत्रण व्यवस्था (इटीसीएस) लेवल-1 के अनुरूप है. यह रेलगाड़ियों में मानवीय चूक से होनेवाली दुर्घटना रोकती है. इसमें ट्रेनों का अत्यधिक गति से परिचालन या सिगनल पर न रोकना शामिल हैं.

रेलगाड़ियों को आपस में टकराने की घटनाओं को रोकने की व्यवस्था (टीसीएएस) एक स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा व्यवस्था है, जिसे देश में ही आरडीएसओ ने भारतीय विक्रताओं के साथ मिल कर विकसित किया. इस व्यवस्था का उपयोग करके सिगनल को नजरअंदाज करके, गतिसीमाओं का उल्लंघन करने तथा ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों द्वारा नियमों का पालन न करने से रेलगाड़ियों की दुर्घटनाएं इनके तथा आपसी टक्कर को रोका जा सकता है. दक्षिण मध्य रेलवे के तंदूर से कुरूगुंटा क्षेत्र में आरडीएसओ ने अगस्त-सितंबर 2013 में विस्तारित क्षेत्र परीक्षण किये. सितंबर, 2014 तक कई परीक्षण किये जायेंगे. इसके बाद रेलगाड़ियों में टीसीएएस प्रणाली लगाई जायेगी.

आधुनिक सिगनल व्यवस्था

रेलगाड़ियों में सुरक्षा और व्यवस्थाओं को बेहतरीन बनाने के लिए 214 स्टेशनों पर आधुनिक सिगनल व्यवस्था, जिसमें रूट रीले इंटरलॉकिंग (आरआरआइ)/ पैनल इंटरलॉकिंग (पीआइ)/इलैक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (इआइ) तथा मल्टी एस्पेक्ट कलर लाइट सिग्नलिंग (एमएसीएलएस) शामिल किये गये हैं. पुरानी मेकैनिकल मल्टी कैबिन सिगनल व्यवस्था को हटा दिया गया है.

चालू वर्ष के दौरान 12 प्रमुख स्टेशनों में रूट रीले इंटरलॉकिंग प्रणाली की शुरुआत की गयी. साथ ही, 90 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की व्यवस्था को अंजाम दिया गया. 112 स्टेशनों में पैनल इंटरलॉकिंग प्रणाली को शुरू किया गया.

जापान के मैसर्स क्योसान इलेक्ट्रॉनिक के लिए भी आरडीएसओ ने अक्तूबर, 2013 में स्वीकृति दी, ताकि अन्य विक्रेताओं को भी तैयार किया जा सके. लाइन क्षमता को बढ़ाने तथा ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग की शुरुआत 160 किलोमीटर पर की गयी है. लंबे ब्लॉक भागों को छोटे भागों में बांट कर लाइन क्षमता को बढ़ाने के लिए इंटरमीडिएट ब्लॉक सिगनल व्यवस्था (आइबीएस) 30 ब्लॉक खंडों में उपलब्ध करायी गयी. उनकी गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से टिकाऊ एलक्ष्डी सिगनल लगाये जा रहे हैं. 467 स्टेशनों पर एलक्ष्डी के ये सिगनल लगाये गये हैं.

नयी ट्रेनों का परिचालन

रेल बजट 2013-14 में 126 नयी ट्रेनों के चलाने, 60 ट्रेनों की दूरी का विस्तार करने और 27 मौजूदा ट्रेनों का परिचालन बढ़ाने की घोषणा की गयी थी. इसमें 24 दिसंबर, 2013 तक 60 नयी ट्रेनों को चलाने, 45 की दूरी का विस्तार करना और 10 का परिचालन बढ़ाने के काम को कार्यान्वित किया गया है. इस दौरान पिछले बजट में घोषित 29 ट्रेनों को भी चलाया गया.

राजधानी एक्सप्रेस में वाइ-फाइ

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हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस में वाइ-फाइ की सुविधा एक प्रायोगिक प्रोजेक्ट के रूप में अप्रैल, 2013 को शुरू की गयी थी. चलती गाड़ी में इंटरनेट उपलब्ध कराना एक तकनीकी चुनौती थी, क्योंकि ट्रेन विभिन्न तरह के भूभागों से होती हुई, विभिन्न जलवायु की परिस्थितियों से आगे बढ़ती है.

भारतीय रेल ने उपग्रह संचार लिंक के माध्यम से विभिन्न बोगियों में वाइ-फाइ उपलब्ध करायी गयी तकनीकी परीक्षणों के बाद भारतीय रेल ने नयी दिल्ली-हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस में प्रायोगिक परियोजना के तौर पर शुरू की गयी. यह सुविधा यात्रियों को नि:शुल्क उपलब्ध करायी गयी है.

डबल डेकर रेलगाड़ी

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साल 2013 में रेलवे ने एलएचबी एसी डबल डेकर ट्रेन की शुरुआत की है. फिलहाल ऐसी ट्रेनें पांच रेलमार्गो पर चल रही हैं. हबीबगंज-इंदौर, जयपुर-दिल्ली, मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-बेंगलुरु और हावड़-धनबाद.

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