भारत में वामपंथियों का इतिहास रहा बुरा

साहिबगंज : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री केएन रघुनंदन ने मंगलवार को अमख पंचायत भवन में अभाविप के तीन दिवसीय प्रांत समीक्षा सह योजना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बामपंथियों का इतिहास की सबसे बुरा रहा है. बामपंथियों ने हर समय राष्ट्र विरोधी कार्य किया है. कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2016 6:32 AM

साहिबगंज : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री केएन रघुनंदन ने मंगलवार को अमख पंचायत भवन में अभाविप के तीन दिवसीय प्रांत समीक्षा सह योजना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बामपंथियों का इतिहास की सबसे बुरा रहा है. बामपंथियों ने हर समय राष्ट्र विरोधी कार्य किया है.

कहा : जेएनयू में नौ फरवरी को जब एसएफआइ सीपीएमए, एमआइएसएफ सीपीआइ, आइसा नक्सलवादी, डीएसयू माओवादी संगठनों को विश्वविद्यालयों द्वारा कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी गयी, तो फिर संगठनों के लोगों ने कार्यक्रम क्या किया, क्योंकि कश्मीर बार काउंसिल ने नौ फरवरी एवं 11 फरवरी को अफजल के समर्थन में कोर्ट बहिष्कार का निर्णय लिया था.

जब दंतेवाड़ा में देश के जवानों को माओवादी हत्या करते हैं तो जेएनयू कैंपस में खुशियां मनायी जाती है. दशहरे के दिन मां दुर्गा महिसासुर का बध करती है तो उस दिन जेएनयू में महिसासुर की जयंती मनाते हैं.

श्री रघुनंदन ने कहा कि जिस देश में बामपंथी शासन रहा है. वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं रही. प्रेस की आजादी नहीं रही. लोकतंत्र नहीं रहा. सर्वहारा की बात तो करते थे पर पोलित ब्यूरो में एक भी सर्वहारा नहीं रहा. 1947 में देश का विभाजन द्वी राष्ट्र के सिद्धांत पर हो गया. फिर भारत में बहुराष्ट्रीयता की बात कर देश के अलगाबबादी आंदोलन का समर्थन किया.
कहा : कुल मिलाकर बामपंथियों ने हर समय राष्ट्रीय एकता को खंडित करने को कार्य में लगा है. मौके पर राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री केएन रघुनंदन, क्षेत्रीय संगठन मंत्री गोपाल शर्मा, प्रांत संगठन मंत्री या वल्कय शुक्ला मौजूद थे.

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