लहलहा रही अफीम की फसल

दुस्साहस. झारखंड व बंगाल का सीमावर्ती इलकों पर पुलिस की नजर नहीं अफीम की फसल के चारों ओर लगा दिया जाता है सरसों के पौधे सरसों के पौधों के घेरे का सहारा लेकर माफिया हो रहे मालामाल फसल लगे स्थल तक पहुंचने का एक मात्र साधन है नाव बरहरवा : पश्चिम बंगाल व झारखंड सीमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2017 1:10 AM

दुस्साहस. झारखंड व बंगाल का सीमावर्ती इलकों पर पुलिस की नजर नहीं

अफीम की फसल के चारों ओर लगा दिया जाता है सरसों के पौधे
सरसों के पौधों के घेरे का सहारा लेकर माफिया हो रहे मालामाल
फसल लगे स्थल तक पहुंचने का एक मात्र साधन है नाव
बरहरवा : पश्चिम बंगाल व झारखंड सीमा पर बसे उधवा प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी प्राणपुर, पश्चिमी प्राणपुर व दक्षिण पलासगाछी के सीमाई क्षेत्र गंगा नदी के बीचों बीच करीब 400 बीघा चर जमीन पर अफीम की फसल लहलहा रही है. अफीम की फसल में फूल आना अभी शुरू हो गया है. अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता है तो अफीम माफिया दो-तीन सप्ताह के अंदर अफीम के फल में चिरा लगा देंगे. हालांकि सभी पौधे में अभी फल नहीं आया है. कुछ पौधों में फूल आ गये हैं.
सैकड़ों बीघा जमीन पर अफीम की फसल की रखवाली करने के लिये हरवे-हथियार के साथ दिन-रात माफिया इसकी रखवाली करते हैं. झारखंड के राधानगर थाना क्षेत्र के प्राणपुर, पलासगाछी आदि गांवों के ग्रामीणों को मिलाकर इस अवैध धंधे को जोर-शोर से कर रहे हैं.झारखंड और बंगाल के सीमा विवाद का माफिया फायदा उठाते हैं.
400 बीघा में लगी है अफीम, पुलिस को चलाना होगा अभियान
मालामाल हो रहे हैं माफिया
झारखंड-बंगाल के सीमा पर स्थित गंगा के चर पर पश्चिम बंगाल के कलियाचक, मालदा के दर्जन भर माफिया इस धंधे में जुड़े हुए हैं. अफीम की फसल से निकलने वाली गोंद को 80 हजार से एक लाख रुपये किलो की दर से बेचते हैं. सीमा क्षेत्र के कारण इनपर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है.

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