बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, साहिबगंज में फूटा गुस्सा
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ साहिबगंज में हिंदू संगठनों ने आक्रोश मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया.
प्रतिनिधि, साहिबगंज
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ साहिबगंज में हिंदू संगठनों ने आक्रोश मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया. यह मार्च मंगलवार को रेलवे जनरल इंस्टीट्यूट मैदान से शुरू होकर साहिबगंज शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए समाहरणालय तक पहुंचा. समाहरणालय के निकट प्रदर्शनकारियों ने धरना देकर अपनी मांगें रखीं. इस आक्रोश मार्च में अंतरराष्ट्रीय संस्था इस्कॉन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न संगठनों ने भाग लिया. इस अवसर पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के सहयोग और बलिदान से 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का निर्माण हुआ. लेकिन आज उसी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक हैं. इस मौके पर इस्कॉन कन्हाई नाट्यशाला के कृष्ण कृपा सिंधु ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर सत्ता के संरक्षण में खुलेआम अत्याचार हो रहे हैं. जब अल्पसंख्यक समुदाय ने संवैधानिक तरीके से प्रदर्शन करने की कोशिश की, तो इस्कॉन के स्वामी चिन्मयानंद जी को झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया. राजमहल के पूर्व विधायक अनंत कुमार ओझा ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों में वहां की सरकार और प्रशासन की भूमिका बेहद निष्क्रिय रही है. पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की कि वे इन अत्याचारों को रोकने और बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनाने के लिए हस्तक्षेप करें. वक्ताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के लिए वहां की वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का भूभाग, जो कभी भारत का हिस्सा था, वहां सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक रहते थे. लेकिन वर्तमान में स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि हिंदू समुदाय का वहां रहना मुश्किल हो गया है. इस प्रदर्शन में इस्कॉन कन्हैया स्थान के कृष्ण कृपा सिंधु, दीनबंधु रघुनंदन दास, प्राण कन्हाई दास, बल्लभ गोविंद दास, लक्ष्मण घोष, संजय यादव, बेचन घोष, भागीरथी देवी, निर्मल चंद्रदेव, तुलसी प्रसाद रजक, स्वामी कृष्ण दास, चंदन जी, संध्या देवी, मलोटी देवी सहित इस्कॉन बोरियो और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इसके अतिरिक्त केंदुआ बिशनपुर के संत सात्मत आश्रम के स्वामी परमानंद जी महाराज, संघ के विभाग प्रमुख अजय कुमार, नगर कार्यवाह अंकित सराफ, सुरेंद्रनाथ तिवारी, राजीव कुमार, व्यवस्था प्रमुख, राजमहल के पूर्व विधायक अनंत कुमार ओझा, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रामानंद शाह, भाजपा महामंत्री गौतम यादव, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष गरिमा शाह सहित सैकड़ों महिला और पुरुष उपस्थित थे. वक्ताओं ने एक स्वर में बांग्लादेश में हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की.क्या कहते हैं लोग
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को आगे आकर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. भारत सरकार को बांग्लादेश की सरकार के साथ बात कर शीघ्र समाधान निकाला जाना चाहिए.अनंत कुमार ओझा, पूर्व विधायक
——————————————-बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही हो रहे अत्याचार राजनीतिक और सत्ता के पोषण के कारण संभव है. बांग्लादेश की सरकार को ऐसे आतंक मचाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए.राजीव कुमार, विभाग व्यवस्था प्रमुख ——————————————
बांग्लादेश में संवैधानिक तरीके से आवाज उठाने वाले स्वामी चिन्मयानंद महाराज को जेल में डालना इस बात का प्रमाण है कि वहां की सरकार ही आतंक फैलाना चाहती है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर तुरंत लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है.स्वामी परमानंद जी महाराज, संतमत सत्संग आश्रम केंदुआ
———————–इस्कॉन जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था को बांग्लादेश में निशाना बनाया जाना निंदनीय है. भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को इस पर तुरंत रोक लगाने की पहल करनी चाहिए.कृपा सिंधु कृष्ण महाराज, इस्कॉन कन्हैया स्थान
——————————————आक्रोश मार्च. इस्कॉन और संघ का संयुक्त विरोध प्रदर्शन, केंद्र से कार्रवाई की मांग
हिंदुओं पर हमले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के लिए उठ रहीं आवाजेंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है