Barhait Vidhan Sabha: 4 दशक से बरहेट में झामुमो अजेय, हेमंत सोरेन तीसरी बार चुनावी मैदान में सामने गमालियल हेम्ब्रम की चुनौती
Barhait Vidhan Sabha बरहेट विधानसभा सीट को जेएमएम का गढ़ माना जाता है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण इस सीट पर आज तक बीजेपी नहीं जीत सकी है. माना जाता है कि यहां की जनता चेहरा नहीं चुनाव चिन्ह देखकर वोट देती है.
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Barhait Vidhan Sabha : झारखंड के संताल परगना का बरहेट विधानसभा सीट पिछले 4 दशक से झामुमो के कब्जे में हैं. शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को अबतक कोई पार्टी यहां से पराजित नहीं कर पाई है. इस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट विधानसभा सीट से विधायक हैं. वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में लगातार दो बार उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की और तीसरी बार 2024 में वे एक बार फिर इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. उनके सामने हैं बीजेपी के गमालियल हेम्ब्रम और जेएलकेएम के थाॅमस सोरेन. बरहेट में भी 20 नवंबर को मतदान होगा.
साहिबगंज जिले में है बरहेट विधानसभा
बरहेट (एसटी) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र झारखंड राज्य के 81 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में एक है. यह अनुसूचित जनजाति यानी ST के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है. यह साहिबगंज जिले में है. बरहेट विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति यानी SC के मतदाताओं की संख्या 8,324 (लगभग 4.26 प्रतिशत) है.
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बरहेट में लोग प्रत्याशी को नहीं, तीर-धनुष को देते हैं वोट
इस विधानसभा सीट पर प्रत्याशी को देखकर नहीं, बल्कि चुनाव चिह्न तीर-धनुष पर जनता वोट देती है. आदिवासियों के परंपरागत हथियार तीर-धनुष को यहां के लोग देवता के रूप में पूजते हैं. यही वजह है कि वर्ष 1990 से लगातार वर्ष 2019 तक इस सीट पर जेएमएम का कब्जा रहा. यहां तक कि पूर्व विधायक हेमलाल मुर्मू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा, तो उन्हें यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा.
आदिवासी समाज तीर-धनुष को देते हैं भगवान का दर्जा
तीर-धनुष झारखंड मुक्ति मोर्चा का चुनाव चिह्न है. भगवान बिरसा मुंडा के इस अस्त्र को आदिवासी समाज में भगवान का दर्जा प्राप्त है. झारखंड की बरहेट विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या किसी दूसरी पार्टी के लिए हमेशा से चुनौती भरी रही है. आज तक बीजेपी इस सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई. यहां के आदिवासी कहते हैं कि तीर-धनुष हमारा देवता है, हम इससे गद्दारी नहीं कर सकते.
2019 में बरहेट से जीते हेमंत सोरेन, साइमन मालटो को हराया
वर्ष 2019 में बरहेट विधानसभा सीट पर झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने 73725 (53.49 प्रतिशत) वोट प्राप्त कर जीत हासिल की. भाजपा से साइमन मालटो को 47985 (34.82 प्रतिशत) वोट मिले. इस चुनावी वर्ष में कुल मतदाताओं की संख्या 195453 थी. इसमें से 137822 यानी 70.51 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
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2014 में हेमंत सोरेन ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को हराया
बरहेट विधानसभा सीट पर वर्ष 2014 के चुनाव में कुल मतदाताओं की जनसंख्या 185700 थी. इसमें से 135382 (72.90 फीसदी) लोगों ने चुनाव के महापर्व में भाग लिया यानी वोटिंग की. दोबारा इस सीट से चुनाव लड़ रहे झामुमो के उम्मीदवार हेमंत सोरेन ने 62515 (46.18 प्रतिशत) वोट प्राप्त हुए. वह विजयी घोषित किये गये. बीजेपी के प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को 38428 (28.38 प्रतिशत) वोट मिले. झामुमो छोड़कर भाजपा में आने वाले हेमलाल दूसरे नंबर पर रहे.
2009 में झामुमो के हेमलाल मुर्मू ने विजय हांसदा को हराया
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारा था. विजय हंसदा निर्दलीय चुनाव लड़ रह् थे. हेमलाल मुर्मू ने 40621 (40.04 प्रतिशत) वोट हासिल कर जीत दर्ज की. विजय हंसदा को 20303 (20.01 प्रतिशत) वोट मिले. इस वर्ष कुल मतदाताओं की संख्या 167515 थी. इसमें से 101448 यानी 60.56 फीसदी वोटर्स ने मतदान किया था.
2005 में झामुमो के टिकट पर जीते थॉमस सोरेन
बरहेट विधानसभा सीट पर वर्ष 2005 के चुनाव में झामुमो ने थॉमस सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया था. उनके खिलाफ भाजपा के सिमोन मालटो चुनाव लड़ रहे थे. थॉमस सोरेन 42332 वोट पाकर विजेता बने. भाजपा प्रत्याशी सिमोन मालटो को 28593 वोट मिले. इस वर्ष इस सीट पर कुल 92190 लोगों ने मतदान किया.
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बरहेट से अब तक कौन-कौन बने विधायक, पूरी लिस्ट यहां देखें
चुनाव का वर्ष | विधायक का नाम | पार्टी |
1957 | बाबूलाल टुडू | झारखंड पार्टी |
1962 | बाबूलाल टुडू | झारखंड पार्टी |
1967 | मसीह सोरेन | निर्दलीय |
1972 | मसीह सोरेन | निर्दलीय |
1977 | परमेश्वर हेंब्रम | जनता पार्टी |
1980 | थॉमस हांसदा | कांग्रेस |
1985 | थॉमस हांसदा | कांग्रेस |
1990 | हेमलाल मुर्मू | झामुमो |
1995 | हेमलाल मुर्मू | झामुमो |
2000 | हेमलाल मुर्मू | झामुमो |
2005 | थॉमस सोरेन | झामुमो |
2009 | हेमलाल मुर्मू | झामुमो |
2014 | हेमंत सोरेन | झामुमो |
2019 | हेमंत सोरेन | झामुमो |
झारखंड विधानसभा की आरक्षित सीटें
झारखंड विधासनभा की ये सीटें आरक्षित हैं. बोरियो (एसटी), बरहेट (एसटी), लिट्टीपाड़ा (एसटी), महेशपुर (एसटी), शिकारीपाड़ा (एसटी), दुमका (एसटी), जामा (एसटी), देवघर (एससी), घाटशिला (एसटी), पोटका (एसटी), जुगसलाई (एससी), सरायकेला (एसटी), खरसावां (एसटी), चाईबासा (एसटी), मझगांव (एसटी), जगन्नाथपुर (एसटी), मनोहरपुर (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी), सिमरिया (एससी), चतरा (एससी), जमुआ (एससी), चंदनकियारी (एससी), तमाड़ (एसटी), खिजरी (एसटी), कांके (एससी), मांडर (एसटी), तोरपा (एसटी), खूंटी (एसटी), सिसई (एसटी), गुमला (एसटी), बिशुनपुर (एसटी), सिमडेगा (एसटी), कोलेबिरा (एसटी), लोहरदगा (एसटी), छतरपुर (एससी), मनिका (एसटी) और लातेहार (एससी).
झारखंड की राज्य स्तरीय पार्टियां
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी (AJSU), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), राष्ट्रीय जनता दल (RJD)
झारखंड विधानसभा चुनाव कब है?
झारखंड विधानसभा के चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है. सितंबर के अंत में या अक्टूबर की शुरुआत में इलेक्शन डेट की घोषणा होने की उम्मीद है. झारखंड की वर्तमान सरकार का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 तक है. इसलिए इससे पहले चुनाव करा लिये जायेंगे. वर्ष 2019 की तरह इस बार भी नवंबर-दिसंबर में झारखंड विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे.
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