साहिबगंज. सदर अस्पताल की विधि व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. कभी चिकित्सकों के विलंब से आने, कभी मूक्षक चिकित्सक के नहीं रहने के कारण प्रसूति महिला का सिजेरियन ऑपरेशन नहीं कर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिये जाने तो कभी मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं किये जाने का मामला सामने आता रहता है. सदर अस्पताल में मरीजों को इलाज कराने के लिए बेड तक नसीब नहीं हो पा रहा है. शनिवार को सदर अस्पताल में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज कराने आये मरीज बेड के लिए भटकते रहे. स्थिति यह रही की बेड नहीं मिलने पर कई मरीज बिना इलाज कराया सदर अस्पताल से लौट गये. अस्पताल सूत्रों के अनुसार इमरजेंसी में प्रतिदिन 40 से 50 मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है. बेड कम होने के कारण बरामडे पर इलाज किया जा रहा है. कुछ मरीजों ने मजबूरी में स्ट्रेचर, व्हील चेयर व कुर्सियों पर इलाज करवाया. स्लाइन चढ़वाया. सड़क दुर्घटना में घायल खेला मुर्मू जो स्ट्रेचर पर इलाज करा रहे थे, उनके परिजनों ने बताया कि सदर अस्पताल के सभी बेड मरीजों से भरा पड़ा है. पूरा सदर अस्पताल का वार्ड घूम कर देख लिया. पर कहीं बेड खाली नहीं मिला. अंत में क्या करें. स्ट्रेचर पर ही मरीज का इलाज करवा रहे हैं. वहीं कुर्सी पर एक पुरुष मरीज बैठकर स्लाइन चढ़ावा रहा था. बताया की सदर अस्पताल का सभी बेड फूल हैं और हमें स्लाइन चढ़वानी थी. इसलिए कुर्सी पर बैठकर ही चढ़ावा रहा हूं. वहीं सदर अस्पताल में बेड नहीं मिलने पर अन्य मरीजों ने बताया कि सदर अस्पताल प्रशासन को अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करनी चाहिए थी. क्योंकि जिला सदर अस्पताल का यह हाल रहा तो गरीब व नि:सहाय मरीज इलाज के लिए कहां जायेंगे. इस संबंध में अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ रंजन कुमार ने कहा कि मरीज की संख्या बढ़ जाने व बर्न वार्ड के ऊपर निर्माण होने के कारण बर्न वार्ड को खाली कर देने के कारण बेड की कमी हो गयी है. जगह देखकर अतिरिक्त बेड लगाने की व्यवस्था की जायेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है