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अंतर्कलह व आपसी सामंजस्य न होने के कारण भाजपा की हुई हार

2024 में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीट भाजपा हार गयी

साहिबगंज. जिले की तीनों विधानसभा सीटों से भाजपा की करारी हार के कई कारण हैं. यूं तो जिले की बरहेट सेट कभी भी भाजपा की झोली में नहीं गयी. पर बोरियो और राजमहल की सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रही है. राजमहल से केवल दो बार कांग्रेस को जीत का स्वाद चखने का अवसर प्राप्त हुआ, तो बोरिया सीट पर 2005 और 2014 में भाजपा की जित ने कार्यकर्ताओं को आशान्वित किया था. पर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीट भाजपा हार गयी. इसके बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है. भाजपा के कुछ कार्यकर्ता जहां हार के लिए सबसे बड़ा जिम्मेवार आपसी सामंजस्य का ना होना और सुनियोजित तरीके से चुनाव का न लड़ना मान रहे हैं, तो वही कुछ लोगों का मानना है कि राज्य सरकार के द्वारा पिछले चार महीने पहले शुरू की गयी मंईयां सम्मान योजना भी भाजपा के हार की प्रमुख वजह है. कार्यकर्ताओं की माने तो जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा कार्यकर्ताओं का आपसी सामंजस्य पूरी तरह से बिखरा था. भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने का भी किसी ने कोई प्रयास नहीं किया. राजमहल विधानसभा भाजपा की परंपरागत सीट रही है. पर इस बार राजमहल विधानसभा से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. कई कार्यकर्ता इस बात को मानते हैं कि पूर्व विधायक केवल अपने चहेतों के साथ बिना किसी रणनीति के चुनाव लड़े. इसका परिणाम समाने आ गया है. संचालन समिति बनी जरूर. पर कोई बैठक नहीं हुई और न ही संचालन समिति के सदस्यों को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेवारी दी गयी. कुछ कार्यकर्ताओं का तो मानना है कि हमारा बूथ, सबसे मजबूत नारे के साथ भाजपा काफी पहले से केवल कागजों में ही मजबूत दिखायी पड़ती रही. नारे को हकीकत में बदलने का कोई प्रयास पहले से किया जाता तो परिणाम कुछ और हो सकता था. बोरियो विधानसभा क्षेत्र की स्थिति की अगर बात की जाये तो यहां भी कमोबेश ऐसा ही नजारा देखने को मिला. कुछ लोग दबी जुबान से यह भी कहते सुने गये की जिन्हें बोरियो विधानसभा का प्रभारी बनाया गया था. वह अपना ज्यादातर समय राजमहल विधानसभा में ही व्यतीत कर रहे थे. दूसरी बात बोरियो से नये प्रत्याशी होने के कारण पुराने नेताओं में नाराजगी दिखायी पड़ी. चुनाव के बीच में सिमोन मालतो का भाजपा छोड़ कर जेएमएम में जाना भी एक वजह हो सकती है. बरहेट विधानसभा में भी युवा प्रत्याशी कुछ कमाल नहीं कर पाये. बताया जाता है कि बरहेट विधानसभा में भी आपसी सामंजस्य का अभाव देखने को मिला. पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिलना भी हार की बड़ी वजह रही. कुल मिलाकर सामंजस्य की कमी. बिना रणनीति के चुनाव और संचालन समिति केवल कागजों तक सिमट कर रह जाना जिले में भाजपा की हार की प्रमुख वजह है. अब देखना यह होगा कि भाजपा की अगली रणनीति क्या होती है, क्योंकि कुछ लोगों का तो मानना यह है कि जिले में भाजपा को नये सिरे से खड़े करने की आवश्यकता है . अपने ही गांव में पिछड़े भाजपा प्रत्याशी अनंत ओझा राजमहल से भाजपा प्रत्याशी अनंत कुमार ओझा अपने ही गांव के तीनों मतदान केंद्रों पर निर्दलीय प्रत्याशी से पीछे नजर आये. 23 नवंबर को हुई मतगणना में शोभनपुर भट्ठा के मतदान केंद्र संख्या 44, 45 और 46 में इसी गांव से चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशी सुनील यादव ने अच्छी खासी बढ़त बनायी थी. मतदान केंद्र संख्या 44 में कुल मतदान 886 दर्ज किया गया. इसमें निर्दलीय प्रत्याशी सुनील यादव ने 551 मत प्राप्त किया, जबकि भाजपा के प्रत्याशी को केवल 233 मत पर संतोष करना पड़ा. मतदान केंद्र संख्या 45 में 551 में से 331 मत निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में गये, जबकि 175 पर ही भाजपा प्रत्याशी को संतोष करना पड़ा. मतदान केंद्र संख्या 46 में हुए मतदान में से 332 निर्दलीय प्रत्याशी सुनील यादव के पक्ष में व 137 ही भाजपा प्रत्याशी अनंत ओझा को प्राप्त हुआ. मतदान केंद्र पर 495 लोगों ने वोट डाला था.

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