मूक बधिर व नेत्रहीन विद्यालय में सुविधाओं की है कमी
इंस्ट्रूमेंट की व्यवस्था नहीं रहने के कारण निःशक्त बच्चों को नहीं मिल पा रही फिजियोथेरेपी
साहिबगंज. जिला मुख्यालय स्थित वान उडेन मूक-बधिर विद्यालय दिव्यांग बच्चों के लिए पालनहार साबित हो रहा है. यह विद्यालय करीब 27 वर्षों से जिले में दिव्यांग बच्चों को सेवा दे रहा है. त्योहार में गणमान्य व्यक्तियों, व्यवसायियों व स्वयंसेवी संगठनों की ओर से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यालय में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों की मदद की जाती है. वर्तमान में विद्यालय का संचालन दुमका के एसडीसी स्वयंसेवी संस्था की ओर से किया जा रहा है. जिला प्रशासन के सहयोग से विद्यालय में दिव्यांग बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. संस्था की ओर से कार्यरत शिक्षक, रसोइया व आया को मानदेय दिया जा रहा है. प्राचार्य सिस्टर अंकिता ने बताया कि मूक-बधिर विद्यालय में कक्ष केजी वन से कक्षा अष्टम तक की पढ़ाई होती है. कंप्यूटर की पढ़ाई जनवरी से चल रही है. विद्यालय में 72 दिव्यांग बच्चे हैं. जिससे 50 बच्चे विद्यालय के हॉस्टल में रहते हैं. प्राचार्या सिस्टर अंकिता, सिस्टर एलिनासिस्टर, अंबिका सिस्टर, निर्मला बेसरा, प्रभात कुमार सिंह बच्चों को शिक्षा देते हैं. अभी आठवीं तक पढ़ाई होती है. दसवीं तक करने की योजना है. विद्यालय की शुरुआत वर्ष 1997 में दिव्यांग उदय मरांडी ने झोपड़ीनुमा कमरे में की थी. प्रारंभ में चार से पांच दिव्यांग आदिवासी बच्चे ही झोपड़ीनुमा विद्यालय में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे. साल 2000 में जिला प्रशासन के सहयोग से विद्यालय के लिए पक्का भवन बनवाया गया. उदय मरांडी के निधन के बाद उनकी पुत्री विद्यालय का संचालन करती थीं. नेत्रहीन एवं स्पैष्टिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं 80 बच्चे साहिबगंज. पुराने जवाहर नवोदय विद्यालय में 2019 से नेत्रहीन व स्पैष्टिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय संचालित है. इसमें 100 बच्चे नामांकित हैं, जबकि 65 बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं. विकास युवा संगठन व जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित विद्यालय में दो-दो हॉल के कमरे कमरे में में बच्चे रहते हैं, जबकि दो रूम में पढ़ाई की जाती है. वॉर्डन राजकिशोर राय, सचिव संदीप कुमार, मो अमानुत्ला समेत 10 सदस्य 25 नेत्रहीन व 41 मंदबुद्धि के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. वर्ग एक से पांच तक के बच्चों को शिक्षा मिल रही है. स्कूल के प्रांगण में नप के वाहन रहने के कारण बच्चों को खेलने में दिक्कत होती है, तो गंदगी काे भी झेलना पड़ती है. जिला प्रशासन से सफाई व खेलकूद के लिए मैदान की व्यवस्था स्कूल के अंदर ही कराने की मांग की है.
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