मकर संक्रांति आज, खूब बिके तिलकूट व लड्डू

साहिबगंज समेत प्रखंडों के विभिन्न बाजारों में खरीदारी को लेकर चहल-पहल, गंगा तट पर जुटेगी श्रद्धालुओं की भीड़

By Prabhat Khabar News Desk | January 13, 2025 9:51 PM
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साहिबगंज. जिला मुख्यालय के चौक बाजार, पटेल चौक, विवेकानंद चौक, स्टेशन चौक, कॉलेज रोड, चैती दुर्गा मंदिर के आसपास, पूर्वी फाटक और जिरवाबाड़ी क्षेत्र में मकर संक्रांति के अवसर पर खरीदारी का खासा उत्साह देखा गया. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों ने चूड़ा, गुड़, बाजरा, सफेद तिल, काले तिल, सफेद तिल वाला तिलवा, काले तिल वाला तिलवा, मक्का और तिलकूट की जमकर खरीदारी की. इसके साथ ही खिचड़ी बनाने के लिए साप्ताहिक हाट से अरवा चावल और दाल की भी खूब बिक्री हुई. पंडित पंकज पांडेय बताते हैं कि, भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति को प्रकाश की उपासना का पर्व माना गया है. मंगलवार को दोपहर 2:46 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास की समाप्ति होगी. उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति का यह क्षण न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही पृथ्वी पर दिन बड़े होने लगते हैं और शरद ऋतु का अंत हो जाता है. इसके साथ ही बसंत ऋतु के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है. माघ मास आते ही ठंड कम होने लगती है, जिससे किसानों को खेती के लिए अनुकूल मौसम मिलना शुरू हो जाता है. यही कारण है कि यह पर्व उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है. साहिबगंज और इसके प्रखंड क्षेत्रों में मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में खासा रौनक देखी गयी. सोमवार को बाजारों में सुबह से ही चहल-पहल शुरू हो गई थी, जो देर रात तक बनी रही. चारों ओर तिल और गुड़ से बने तिलकूट और लाई की खुशबू फैली हुई थी. बाजार में तिलकूट और लाई की दर्जनों दुकानें लगी थीं, जहां ग्राहकों की भीड़ देखी गयी. चूड़ा मशीनों पर भी लोगों की भारी भीड़ नजर आयी. मकर संक्रांति के दिन गुड़़ और तिल से बने तिलकूट और लाई खाने की परंपरा को लोग आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है. खिचड़ी खाने और गरीबों को दान करने को भी इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.

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