साहिबगंज. सदर अस्पताल में सभी सुविधाएं रहने के बावजूद मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है. चिकित्सकों की ड्यूटी को लेकर लगातार असमंजस की स्थित बनी है. चिकित्सक दो गुड में बटे हैं, जिसके कारण ड्यूटी रोस्टर का पालन नहीं हो रहा है. नये सिविल सर्जन के समक्ष व्यवस्था सुधारने की चुनौती है. सिविल सर्जन डॉ प्रवीण कुमार संथालिया ने शनिवार को दोपहर दो बजे सदर अस्पताल का निरीक्षण डीएस डॉ रंजन के साथ मिलकर किया. इसके बाद सिविल सर्जन ने डीएस कार्यालय में डीएस डॉ रंजन कुमार के साथ बैठकर कुछ चिकित्सकों के साथ ड्यूटी निर्धारण को लेकर उनका पक्ष जाना. बताया जा रहा है कि ड्यूटी रोस्टर में बदलाव किया जा सकता है. हालांकि दो माह में अब तक तीन बार सदर अस्पताल के चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर में बदलाव किया जा चुका है. 26 अगस्त से अस्पताल की नोडल पदाधिकारी सह डीडीसी सतीश चंद्रा, सिविल सर्जन डॉ प्रवीण कुमार संथालिया एवं अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रंजन कुमार के संयुक्त हस्ताक्षर से ड्यूटी रोस्टर जारी किया गया था. इसके बाद चर्चा था कि अब यही रोस्टर के अनुसार चिकित्सक डयूटी करेंगे. लेकिन जारी रोस्टर के बावजूद कुछ चिकित्सक नाइट डयूटी करने को तैयार नहीं है. सीएस ने बताया कि व्यवस्था सुधारने के प्रयास चल रहा है. डीसी के निर्देश पर एमडी और एमबीबीएस डॉक्टर्स की नाइट शिफ्ट तय की जायेगी. यह सदर अस्पताल की स्थिति सदर अस्पताल 100 बेड का अस्पताल है, जिसमें वर्तमान समय में प्रथम तल पर 45 से 50 बेड पुरुष व महिला मरीजों के लिए है. वहीं दूसरे तले 50 से 55 बेड प्रसूति महिलाओं के लिए डॉक्टर्स के सेंशन पोस्ट 40 है, जिसके विरुद्ध सदर अस्पताल में मात्र नौ चिकित्सक पदस्थापित हैं. इसमें से एक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ परमानंद काशी ने मात्र दो दिन की ड्यूटी के बाद अपनी प्रतिनियुक्ति रांची रिम्स में करा ली. यहां डॉक्टर फरोग, डॉ सचिन, शहबाज हुसैन, अलीमुद्दीन, भारती कुमारी, अनिता सिन्हा व केशव कृष्णा मौजूद थे. इनके अलावा डीएमएफटी मद से चार डॉक्टर्स डॉ मुकेश, तबरेज आलम, कुमारी स्नेहलता व डॉ राबिया हैं. डॉ मोहन मुर्मू, डॉ रणविजय, पूनम कुमारी व डॉ तरुण प्रतिनियुक्ति पर हैं. डॉ महमूद आलम की सप्ताह में एक दिन यहां ड्यूटी है, जबकि डॉ अनिता सिन्हा एमसीएच में महिला ओपीडी के कार्य को देखती हैं. सदर अस्पताल में तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती है. सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक, दोपहर 3 बजे से रात नौ बजे तक. फिर रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक. पहले दो शिफ्ट में छह घंटे की ड्यूटी डॉक्टर्स को करनी होती है, जबकि नाइट शिफ्ट 12 घंटे का होता है. ऐसे में नाइट शिफ्ट की ड्यूटी डॉक्टर्स करना नहीं चाहते. बताया जाता है कि डॉक्टरों में मोहन मुर्मू, डॉ मुकेश व डॉ केशव कृष्णा को ही नाइट ड्यूटी का भार अक्सर उठान पड़ता है, जबकि दिन की ड्यूटी में ओपीडी, जेल, एंबुलेंस, मेडिकल बोर्ड, डीएनए प्रोफाइलिंग, ओल्ड एज होम, नवोदय विद्यालय, पोस्टमार्टम जैसी सेवाओं का भार डॉक्टर्स को उठाना पड़ता है. जरूरत 40 चिकित्सक की, मात्र नौ हैं तैनात सदर अस्पताल जिले का सबसे बड़ा यानि 100 शैया का अस्पताल है. प्रतिदिन 250 से 350 की संख्या में मरीज इलाज कराने पहुंचाते है. आधुनिक सुबह सुविधाओं से लैस मॉड्यूलर ओटी सहित तीन ओटी, कमजोर व कम वजन वाले नवजात शिशुओं के लिए एसएनसीयू, फिजियोथैरेपी ब्लड जांच के लिए सेंट्रल लैब एसआरएल लब के अलावा तीन एक्स-रे की सुविधा के अलावा सभी तरह के उपकरण उपलब्ध है. इसके बावजूद मरीजों को इलाज के लिए बिहार के भागलपुर, पटना व पच्छिम बंगाल के मालदा, रामपुर हाट व कलकत्ता जाना पड़ता है. कर्मचारियों का 40 से 60 प्रतिशत पद रिक्त है. सदर अस्पताल की सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में चिकित्सक का स्वीकृत पद 40 है. वर्तमान समय में मात्र 09 चिकित्सक कार्यरत हैं. कर्मचारियों का 63 पद स्वीकृत है. मात्र 16 कर्मचारी कार्यरत हैं. ए ग्रेग नर्स का 24 पद स्वीकृत हैं. मात्र दो ए ग्रेड नर्स मंजूलि मुर्मू व चंद्रकला कुमारी कार्यरत हैं. कुल मिलाकर कहें तो सदर अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है. दो नर्स के भरोसे 60 मरीज सदर अस्पताल में महिला वार्ड, बर्न वार्ड, पुरुष सामान्य वार्ड, कैदी वार्ड में प्रतिदिन लगभग 60 मरीज भर्ती रहते हैं. इलाजरत 60 मरीजों की देखभाल सिर्फ दो नर्स के भरोसे होती है. यही कारण है कि सदर अस्पताल में आये दिन नर्स व मरीजों के परिजनों के बीच तू-तू, मैं-मैं होता रहता है. रात में प्रसूता वार्ड में ऑनकॉल ड्यूटी रहती है महिला चिकित्सक साहिबगंज. सदर अस्पताल के लेबर रूम व प्रसूता वार्ड में रात के समय महिला चिकित्सक नहीं रहती है. दिन में तो महिला चिकित्सक रहती है. सब ठीक-ठाक रहता है. लेकिन रात के नौ बजे के बाद प्रसूता वार्ड एवं लेबर रूम में महिला चिकित्सक नहीं रहती है. महिला चिकित्सक ऑन कॉल रहती है. रात में ए-ग्रेड नर्स एवं एएनएम रहती है. अगर जरूरत महसूस होती है या सिजेरियन ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है, तो ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड नर्स फोन कर ऑन कॉल महिला चिकित्सक को सदर अस्पताल बुलाती है. पदनाम- स्वीकृत बल- कार्यरत बल- रिक्ति- पदस्थापित पदाधिकारी व कर्मी का नाम उपाधीक्षक- 01- 00- 01- — चिकित्सा पदाधिकारी – 11- 01- 10- डॉ अनिता सिन्हा नाक, कान गला रो- 01- 00- 01- — नेत्र रोग विशेषज्ञ- 01- 00- 01- डॉ शहबाज हुसैन मूर्छक विशेषक- 01- 00- 01- — मूर्छक – 03- 00- 03- — महिला चिकित्सक पदाधिकारी – 01- 01- 00- डॉ किरण माला पैथोलोजिस्ट – 02- 01- 01- डॉ मो अलीमुददीन अंसारी फिजिशियन – 02- 00- 02- — वरीय दंत चिकित्सक – 01- 00- 01- — जिला दंत चिकित्सक – 01- 01- 00- डॉ भारती कुमारी सर्जन – 02- 00- 02- — मनो चिकित्सक 01- 00 01 — अस्थि रोग विशेषज्ञ – 02- 01- 01- डॉ सचिन कुमार रेडियोलोजिस्ट – 01- 00- 01- — चर्म एवं गुप्त रोग विशेषज्ञ- 02- 00- 02 – — स्त्री रोग विशेषज्ञ – 03- 01- 02- डॉ संजीव कुमार प्रसाद फॉरेसिक विशेषक- 01- 00- 01- — शिशु रोग विशेषक- 03- 02- 01- डॉ परमानंद काशी, डॉ फरोग हसन परि0श्र0ए0- 24- 02- 22- मंजुला मुर्मू, चन्द्रकला कुमारी प्रयो प्रावैधिक- 04- 03- 01- शाहवाज आलम, नौशाद अहमद अंसारी, सीमा जाफर फार्मासिस्ट- 04- 01- 03- अम्बुज कुमार सिंह एक्स-रे टैक्निशियन- 01- 00- 01- — लिपिक- 02- 02- 00- मुकेश कुमार सिन्हा, सुधांशु कुमार भंडारपाल – 01- 00- 01- — नेत्र सहायक – 01- 00- 01- — इ0सी0जी0 टैक्निशियन- 01- 00- 01- — डायटिशियन – 01- 00- 01- — ओ0टी0 असिस्टेंट- 01- 00- 01- — डेंटल असिस्टेंट- 03- 00- 03- — पुरूष कक्ष सेवक- 05- 02- 03- जगननाथ पंडित, अशफाक, म0क0सेविका- 02- 01- 01- सविता गोस्वामी झाडुदारीन – 02- 02- 00- रूपी मालतो, अजिनिशिया कुमारी रसोईया – 01- 00- 01- — रसोईया सह सेवक- 01- 00- 01- — परिधापक – 03- 00- 03- — चालक- 01- 01- 00- शिवचरण प्रसाद सिन्हा चपरासी- 01- 00- 01 नोट – यह डाटा सदर अस्पताल से ली गयी है. क्या कहते हैं सिविल सर्जन निश्चित तौर पर सदर अस्पताल में चिकित्सक एवं कर्मचारियों की घोर कमी है. हमारे पूर्व के सीएस के द्वारा भी मानव बल को बढ़ाने के लिए पत्र लिखा गया है. वर्तमान समय में उपलब्ध चिकित्सक को स्वास्थ्य कर्मचारी से ही किसी तरह कार्य कराया जा रहा है. डाॅ प्रवीण कुमार संथालिया, सिविल सर्जन
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