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परमार कंस्ट्रक्शन होगी ब्लैक लिस्टेड, दूसरी कंपनी जलापूर्ति योजना करेगी पूरा

साहिबगंज में जलापूर्ति योजना का एस्टिमेट रिवाइज, 10 करोड़ में पूरा करना होगा काम

साहिबगंज. साहिबगंज में शहरी जलापूर्ति योजना का कार्य पूरा करने में लगी बनारस की परमार कंस्ट्रक्शन कंपनी को कार्य में शिथिलता एवं अनियमितता बरतने के आरोप में विभाग ने ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. साथ ही कंपनी द्वारा ली गयी 6.40 करोड़ रुपये की राशि की रिकवरी के लिए नीलाम पत्र दायर कर सर्टिफिकेट केस किया है. विभाग ने एस्टीमेट को एक बार फिर से रिवाइज करते हुए साहिबगंज में शहरी जलापूर्ति योजना को पूरा करने के लिए तकरीबन 10 करोड़ रुपये की लागत से टेंडर के माध्यम से पूरा करने की जिम्मेदारी रांची के राजगीरी कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपी है. इसके लिए सोमवार को एग्रीमेंट की प्रक्रिया पूर्ण करने की उम्मीद है. कंपनी को 6 माह के भीतर इस योजना को पूर्ण करनी होगी. हाई कोर्ट की निगरानी में इस योजना को क्रियान्वयन करने की प्रक्रिया की जा रही है.बता दे की शहरी जलापूर्ति योजना के अंतर्गत पहले चरण में तकरीबन 19 हजार घरों में नल का कनेक्शन किया जाना था, लेकिन 4 हजार घरों में ही कनेक्शन किये जा सके हैं. कार्य में लगातार कोताही बढ़ते जाने को लेकर झारखंड हाइकोर्ट के कड़े तेवर और निर्देश के बाद अगस्त 2024 में विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता गोविंद कच्छप को निलंबित कर दिया गया था. क्या है पूरा मामला शहर में घर-घर नल से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की सरकारी मंशा तकरीबन 23 वर्षों बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. शहरवासियों को शुद्ध पेयजल के लिए आज भी मशक्कत करनी पड़ रही . 2002 में साहिबगंज शहरवासियों को घर-घर नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से नगर परिषद साहिबगंज को तकरीबन 2.5 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया गया था. लेकिन योजना शुरू नहीं होने पर सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धेश्वर मंडल ने मामले में हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. फिर भी बात नहीं बनी, तब उक्त सामाजिक कार्यकर्ता ने वर्ष 2009 में एक बार फिर से उच्च न्यायालय की शरण ली. इसके बाद हाइकोर्ट के निर्देश पर साहिबगंज में जलापूर्ति योजना को लेकर कार्यवाही शुरू की गयी. वर्ष 2011-12 में 50.86 करोड़ की लागत से टेंडर के माध्यम से इस कार्य करने को पूरा करने की जिम्मेदारी गुजरात के दोशियन कंपनी को सौंपी गयी थी. कंपनी ने 2013 में पाइपलाइन बिछाने का कार्य शुरू किया गया. कंपनी ने योजना पूरी करने के लिए पेटी कॉन्ट्रेक्टर को दे दिया. इसके बाद अनियमितताएं बढ़ती गयी और धीमे कामों की शिकायत के बाद विभाग ने उक्त कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया. तब तक कंपनी को 30.86 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया था, जो किये गये काम से आठ करोड़ रुपये अधिक था. बाद में सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धेश्वर मंडल ने वर्ष 2018 में योजना को पूर्ण करने को लेकर एक बार फिर हाइकोर्ट में दस्तक दी. कोर्ट के कड़े तेवर के बाद वर्ष 2018 में 22 करोड़ की लागत से एक बार फिर से टेंडर के माध्यम से शेष कार्यों को पूर्ण करने की जिम्मेदारी बनारस के परमार कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपी गयी थी. लेकिन कंपनी द्वारा लगातार कार्य में अनियमितता और शिथिलता बरतने के चलते टेंडर तय होने के छह साल बाद भी लोगों को घर-घर नल जल नसीब नहीं हो सका. परमार कंस्ट्रक्शन कंपनी पर राशि की रिकवरी के लिए सर्टिफिकेट केस इसके बाद हाइकोर्ट के कड़े तेवर के बाद विभाग ने उक्त कंपनी को भी एक बार फिर से ब्लैकलिस्टेड करने की प्रक्रिया शुरू करते हुए किए गए कार्य से लिये गये 6.40 करोड़ रुपये की अधिक राशि को रिकवरी के लिए एक सर्टिफिकेट केस भी किया गया है. हालांकि कंपनी को तकरीबन 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. घपले की भेंट चढ़ती रही है जलापूर्ति योजना साहिबगंज में जिला पूर्ति योजना घपले की भेंट चढ़ता रही है, सही करने की योजना शुरू होने के तकरीबन 14 वर्षों बाद भी इसे पूर्ण नहीं किया जा सका है. सूत्रों की माने झारखंड हाइकोर्ट ने योजना शुरू होने से लेकर अब तक साहिबगंज पर स्थापित कार्यपालक अभियंताओं की सूची मांगी है, ताकि उन अभियंताओं के द्वारा योजना को लेकर ठीक है प्रयासों की जांच करा कर संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. अब यह जांच का विषय है कि आखिर, काम का अवलोकन किये बगैर कंपनियों को इतनी बड़ी राशि कैसे ओवर पेमेंट कर दी गयी. कहते हैं विभाग के कार्यपालक अभियंता हाइकोर्ट की निगरानी में योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. योजना को पूर्ण करने के लिए टेंडर के माध्यम से रांची के राजगीरी कंस्ट्रक्शन कंपनी को जिम्मेदारी तय की गयी है. निर्धारित समय सीमा के भीतर कंपनी को कार्य पूर्ण करने होंगे. शशि शेखर सिंह कार्यपालक अभियंता, साहिबगंज क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता शहरवासियों को जलापूर्ति योजना का लाभ दिलाने के लिए कृत संकल्पित हूं. इस दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. अब समय आ गया है कि जल्द ही शहर वासियों को घर-घर नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सकेगा. सिद्धेश्वर मंडल, याचिकाकर्ता

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