राजमहल, दीप सिंह – गंगा दशहरा के अवसर पर झारखंड के एक मात्र राजमहल में प्रवाहित उत्तरवाहिनी गंगा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने रविवार को गंगा स्नान किया. गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा पूजन भी किया. अनुमंडल मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों के अलावे पाकुड़, आमडापाडा, लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर , गोड्डा, बोआरीजोर, महागामा, सुंदर पहाड़ी, दुमका, काठीकुंड व गोपीकांदर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान एवं गंगा पूजा कर गंगा दशहरा पर स्नान दान किया. शहर में पूरे दिन श्रद्धालुओं का आवागमन होने के कारण यातायात व्यवस्था अस्त-व्यस्त रही.
गंगा दशहरा पर उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान से 10 विधि पापों का होता है नाश- पुरोहित जनार्दन
राजमहल प्यारेलाल ठाकुरबाड़ी एवं सुर्यदेव गंगा घाट मंदिर के पुरोहित जनार्दन उपाध्याय ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि राजमहल में उत्तर वाहिनी गंगा प्रवाहित होती है. गंगा दशहरा के तिथि पर गंगा स्नान कर गंगा पूजन एवं दान का विशेष महत्व है. वहीं इस तिथि को उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान से 10 विधि पापों का नाश होता है. इस तिथि को अगर कोई श्रद्धालु गंगा में स्नान दान एवं संकल्प आदि करते हैं तो धार्मिक शास्त्रों के अनुसार उन्हें कई फायदे मिलते हैं. गंगा के पृथ्वी पर अवतरणी की तिथि गंगा दशहरा को माना जाता है. जब सूर्य की तीग्म किरणों से जीव जंतु त्रस्त हो रहे थे. जेष्ठ मास में सूर्य किरणों प्रखरता सर्वाधिक है. इस मास के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त दशमी तिथि को मां गंगा धरती पर अवतरित हुई. जब देवताओं के आग्रह पर धरती से मां गंगा स्वर्ग की ओर रुख की थी तब उसे मूल्य स्थल को उत्तरवाहिनी गंगा के रूप में जाना जाता है. इसलिए गंगा दशहरा पर उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान – दान का विशेष महत्व है. झारखंड राज्य के राजमहल में उत्तर वाहिनी गंगा होने का सौभाग्य क्षेत्र वासियों को प्राप्त है.
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